Shehla Rashid को Anti National बताने वाले अब्बू सुन लें, अब कुछ नहीं हो सकता चचा!
जेएनयू वाली कॉमरेड शेहला राशिद शोरा (Shehla Rashid Shora) पर उनके अब्बू अब्दुल रशीद शोरा ने गंभीर आरोप लगाए हैं. बात सीधी और साफ़ है अपने क्रांतिकारी विचारों से देश बदलने के लिए जी जान एक करती शेहला राशिद क्रांति की शुरुआत घर से करें वहीं जो बातें पिता जी ने कही है उसपर एक संदेश है, अब तो वाक़ई कुछ नहीं हो सकता चचा.
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पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. लेकिन चूंकि कहावत पूत पर और पालने में बेटी थी, शोरा साहब ने इग्नोर मार दिया नतीजा ये हुआ कि अच्छी भली क्यूट सी लड़की बागी बन गई. ऊपर से जेएनयू सोने पर सुहागा निकला. बागी थी, कामरेड बनना ही था. बात बाक़ी ही ये है कि भले ही भारत में कॉमरेड भाई बहिन लोगों का ज्यादा स्कोप न हो लेकिन शौक़ बड़ी चीज है. शौक़ शौक में आदमी बहुत कुछ कर जाता है और जब बात समझ में आती है तब तक it's too late bro. इतना पढ़कर आहत या विचलित होने की कोई ज़रूरत नहीं है. आज अपन जेएनयू (JNU) की कॉमरेड शेहला (Shehla Rashid Shora) राशिद शोरा और उनके अब्बू अब्दुल रशीद शोरा (Abdul Rashid Shora) की बात करेंगे. बताते चलें कि कॉमरेड शेहला के घर घरेलू कलह का माहौल है ऐसे में जिन बातों का खुलासा उनके अब्बू ने किया है ट्रोल्स गुले गुलज़ार हो गए हैं. खुलासे के बाद जैसी स्थिति है ट्रोल्स का बस चले तो आज 1000-500 रुपए वो शेहला के अब्बू के नाम पटाखे जलाने के लिए कर दें.
अब्दुल रशीद शोरा ने शेहला रशीद का पर्दाफाश करते उनपर तमाम तरह के आरोप जड़ दिए हैं. मिस्टर शोरा ने अपनी बेटी पर जांच की मांग उठाते हुए जो भी कहा हो लेकिन मॉरल ऑफ द स्टोरी यही है कि, भइया सोचा था बिटिया पढ़ लिखकर नाम करेगी और कुछ बनेगी मगर अपनी मोड़ी तो हाथ से निकल गई. अब्बू जान ने बेटी जान के मद्देनजर कहा है कि,'शेहला के सामाजिक संगठनों की जांच की जानी चाहिए.
अब्बू इतना कहते तो फिर भी ठीक था. मुद्दा रुपया पैसा है. कॉमरेड शेहला अपनी रैलियों और भाषणों में भले ही capitalism के खिलाफ हो लेकिन जब बात घाटी की सियासत की आई तो उन्होंने अपने ईमान का सौदा कर दिया. हम ब्लेम गेम नहीं खेलते और अपनी तरफ से तो हम कोई बात कह ही नहीं रहे. ये बातें तो खुद उनके अब्बू ने कही हैं. मिस्टर शोरा के अनुसार शेहला ने कश्मीर घाटी की राजनीति में शामिल होने के लिए मोटी रकम ली थी.
शेहला के पिता के आरोपों ने ट्रोल्स को बड़ी ख़ुशी दी है
दरअसल बिटिया को हाथ से निकलता देख मिस्टर शोरा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पुलिस महानिदेशक को संबोधित तीन पन्ने का एक पत्र जारी किया था, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन्हें अपनी बेटी शेहला, उनके सुरक्षा गार्ड, बहन और उनकी मां से जान का खतरा है.
शोरा ने दावा किया, ‘उसने (शेहला) कश्मीर में राजनीति में शामिल होने के लिए पूर्व विधायक इंजीनियर राशिद और कारोबारी जहूर वताली से तीन करोड़ रुपये लिए थे.' आतंकवाद के वित्तपोषण में कथित संलिप्तता के लिए राशिद और वताली को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछल साल गिरफ्तार किया था. अपनी बातों में शोरा ने घाटी के आईएएस शाह फैसल को भी घेरा है और ये तर्क दिया है कि शेहला द्वारा चलाए जाने वाले गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), और अपनी बेटियों और उनकी मां के बैंक खातों की जांच होनी चाहिए.
अब्बू के आरोप ट्विटर पर जंगल की आग की तरह फैल गए हैं जिन्होंने शेहला के नर्म मुलायम गद्दे को अपनी चपेट में लिया है. खुद को आरोपों से घिरता देख शेहला ने ट्विटर पर बाण चलाया है और ट्वीट करते हुए कहा है कि, ‘आप में से कई लोगों ने मेरे पिता द्वारा मुझ पर, मेरी मां और बहन पर लगाए गए आरोपों का वीडियो देखा होगा. कम शब्दों में और स्पष्ट तौर पर कहूं तो वह अपनी पत्नी को पीटने वाले, गाली-गलौज करने वाले शख्स हैं. हमने उनके खिलाफ कदम उठाने का फैसला किया और इसके जवाब में उन्होंने यह हथकंडा अपनाया.'
1) Many of you must have come across a video of my biological father making wild allegations against me and my mum & sis. To keep it short and straight, he's a wife-beater and an abusive, depraved man. We finally decided to act against him, and this stunt is a reaction to that. pic.twitter.com/SuIn450mo2
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) November 30, 2020
शेहला ने आरोपों को ‘बेबुनियाद और बकवास'बताते हुए कहा है कि, ‘मेरी मां ने जीवन भर काफी हिंसा, प्रताड़ना का सामना किया. वह परिवार के कारण चुप रह गई. अब हम उनकी (पिता) इस हरकत के खिलाफ बोलने लगे तो उन्होंने भी हमें बदनाम करना शुरू कर दिया.' शेहला ने कहा कि किसी को भी उनके पिता द्वारा लगाए गए आरोपों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.
बहरहाल, भले ही ये शेहला और उनके अब्बा के बीच का इंटरनल मैटर हो. लेकिन बात तो बड़ी है. इतिहास गवाह है जैसा देश का माहौल है जब बात बड़ी होती है तो उसपर चर्चा होती ही है. खैर इस मामले में दो बातें हैं. पहली ये कि अपने क्रांतिकारी विचारों से देश बदलने के लिए जी जान एक करती शेहला राशिद शोरा को क्रांति की शुरुआत अपने घर से करनी चाहिए बात अगर शेहला के अब्बू यानी अब्दुल रशीद शोरा की हो तो उनसे हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि अब उम्र के इस पड़ाव में आप चाहे जितने भी खुलासे कर दीजिये लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता है चचा. चिड़िया उड़ चुकी है और उड़कर जेएनयू की एक ऐसी शाख पर बैठ चुकी है जो कहता है कि
दीप जिस का महल्लात ही में जले
चंद लोगों की ख़ुशियों को ले कर चले
वो जो साए में हर मस्लहत के पले
ऐसे दस्तूर को सुब्ह-ए-बे-नूर को
मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता
मैं भी ख़ाइफ़ नहीं तख़्ता-ए-दार से
मैं भी मंसूर हूं कह दो अग़्यार से
क्यों डराते हो ज़िंदां की दीवार से
ज़ुल्म की बात को जहल की रात को
मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता.
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