Lakhimpur Kheri में 'पॉलिटिकल डिश' प्रियंका ने बनाई, राहुल बस हरी धनिया जैसे काम आए!
प्रियंका गांधी और उनके तौर तरीके एक तरफ और लखीमपुर मामला दूसरी तरफ. जहां प्रियंका गांधी ने महफ़िल लूट ली है. दिलचस्प ये कि जो काम अखिलेश को करना चाहिए था वो प्रियंका ने किया और बढ़त बना ली.
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मजबूत विपक्ष क्या होता है? कैसे बनता है? किन परिस्थितियों में बनता है? इसके लिए जरूरी फैक्टर क्या होते हैं? जवाब भतेरे हैं. लेकिन इसका सबसे बेस्ट जवाब या तो कोई पॉलिटिकल साइंस का प्रोफेसर ही दे पाएगा या फिर बीए का वो पढ़ाकू छात्र जिसकी कम से कम 90 परसेंट अटेंडेंस हो और जो वाक़ई पढ़ कर परीक्षा दे रहा है. लेकिन चूंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव हैं और लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा का मामला हमारे सामने है तो लिबरल और सेक्युलर यही बता रहे हैं कि मजबूत विपक्ष कांग्रेस पार्टी और प्रियंका गांधी जैसा होता है. हंसने की जरूरत नहीं है. सच में मजबूत विपक्ष प्रियंका गांधी जैसा ही होता है. जो घटना के बाद अपनी राजनीतिक संभावनाएं तलाशने के लिए लखीमपुर जाने को आतुर दिखता है. सीतापुर के गेस्ट हाउस में रखा जाता है और चकाचक साफ कमरे में झाड़ू लगाता है. मीडिया को बाइट देता है. न केवल फ़ोटो क्लिक कराता है बल्कि उसे अपने ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर चेपता है.
लखीमपुर खीरी हिंसा में पीड़ित परिवार से कुछ इस अंदाज में मिले राहुल और प्रियंका गांधी
नहीं साहब हमारी कहां बिसात की हम किसी और की नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी में प्रियंका गांधी की खिल्ली उड़ाए. न ही हम सर्कास्टिक हो रहे हैं. हम तो बस वो कह रहे हैं जिस बात को दुनिया कह रही है. और दुनिया के मुताबिक प्रियंका मैडम ने लखीमपुर खीरी में सजी नेताओं की महफ़िल लूट ली है.
Can’t say much about dancing and action, but must say.. she’s got better acting skills than Tiger Shroff !! pic.twitter.com/pVDnPKcrKZ
— Yo Yo Funny Singh ?? (@moronhumor) October 4, 2021
वाक़ई इस बात में रत्ती भर भी शक नहीं है कि लखीमपुर हिंसा को एक घटना से मुद्दा जिस तरह कांग्रेस और कांग्रेस में भी प्रियंका गांधी ने बनाया है वो अपने में कमाल है. देश स्तब्ध है. आलोचक तक हैरत में पड़ मुंह में अंगुली दबाए इस बात को चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि लखीमपुर के लिए जो प्रियंका गांधी ने कर दिया है वो इतिहास की किताबों में दर्ज हो गया है.
प्रियंका के लखीमपुर अवतार के बाद कद और काठी में कैसा भी हो किसी भी कांग्रेसी नेता की टाइमलाइन देख लीजिए. तमाम बातें शीशे की तरह साफ़ हो जाएंगी. कांग्रेसी नेताओं के बीच चर्चा तेज है कि लखीमपुर में किसानों की मौत का मामला सामने आना भर था. नवरात्रि से पहले ही मां दुर्गा ने अवतार लिया है. हालांकि ये बातें क्यों हो रही हैं?
वजह चाटुकारिता तो है ही लेकिन एक अन्य कारण ये भी है कि वो कांग्रेसी नेता जिनके चाल चरित्र चेहरे के कारण जमाने ने उन्हें नकार दिया है या ये कहें कि सिरे से खारिज कर दिया है. प्रियंका के कंधों पर बंदूक रखकर अपने कमबैक के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं.
गिरफ़्तारी के दौरान “हवालात” में झाड़ू लगाती हुई इंदिरा गांधी की पोती और “राक्षसों”का वध करने वाली आदि शक्ति @priyankagandhi. pic.twitter.com/HzIssxzOvz
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) October 4, 2021
नहीं मतलब आप खुद बताइये.क्या कभी किसी ने सोचा था कि यूपी जैसे राज्य के लिए कांग्रेस और प्रियंका गांधी इतनी मेहनत करेंगी? लोगों को उम्मीद सपा और बसपा से थी. माना यही जा रहा था कि एक ऐसे वक्त में जब लखीमपुर खीरी में इतनी बड़ी घटना घट चुकी हो अखिलेश और मायावती जो स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं दौड़कर आएंगे और मुद्दे को लपक लेंगे. अखिलेश और मायावती सोचते ही रह गए और प्रियंका ने न केवल खीर पकाई बल्कि पलक झपकते ही उसे चट भी कर दिया.
सीधी सी बात है. सवाल जब उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने विपक्ष का होगा तो आदमी कांग्रेस को दरकिनार अखिलेश और मायावती का ही नाम लेगा मगर जिस तरह अखिलेश और मायावती ने लखीमपुर हिंसा को हल्के में लिया महसूस हुआ कि अब ये लोग वो बुझी हुई कारतूस में परिवर्तित हो गए हैं जिसने भाजपा के सामने 22 के युद्ध से बहुत पहले ही हथियार डाल दिये हैं.
Bahraich | Congress leader Priyanka Gandhi meets family members of Daljeet Singh & Gurinder Singh who lost their lives during violence in Lakhimpur Kheri on Oct 3 "They're demanding justice. MoS Home should resign from his post & accused should be arrested," she says pic.twitter.com/BI40pQ9uzk
— ANI UP (@ANINewsUP) October 7, 2021
सपा समर्पित राजनीतिक पंडित इस बात को लेकर अवसाद में हैं कि आखिर अपने टीपू को हुआ क्या है. मुद्दे की राजनीति से यूं इस तरह भटकने की वजह क्या है? इसी तरह बेचैनी बसपा के खेमे में भी है. वहां भी लोग भारी टेंशन में हैं कि आखिर बहनजी ने इतने बड़े और वोट जुटाने वाले मुद्दे पर अपनी नजरे इनायत क्यों नहीं की?
EXCLUSIVE: As per the internal sources, Samajwadi Party will be conducting an internal meeting to discuss the strategy on how to politically tackle Priyanka Gandhi.
— Aditya Ojha (@thispodcastguy) October 7, 2021
सवाल लगातार उठ रहे हैं. जवाब कुछ भी हो सकता है लेकिन जिस तरह प्रियंका गांधी ने न केवल लखीमपुर मुद्दे पर पैनी निगाह रखी बल्कि अपने पंजों से उसे दबोचा कहना गलत नहीं है कि इंदिरा की पोती में 25 परसेंट इंदिरा वाले गुण आ गए हैं.
चाहे भाजपा के कार्यकर्ता और एक पत्रकार की मौत हो. या फिर किसानों का स्वर्गवास लखीमपुर में जो हुआ है वो गहरा आघात देता है मगर जिस तरह प्रियंका ने उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर लखीमपुर खीरी में मोर्चा संभाला है दिल कहता है कि दादी का, डैडी का भाई की लगातार होती बेइज्जती का मम्मी के विदेशी टैग का सबका बदला लेगी ये प्रियंका.
चूंकि उत्तर प्रदेश चुनाव कुछ ही किलोमीटर दूर हैं और बात कांग्रेस के सिलसिले में हुई हैं लखीमपुर मुद्दे को अपने पंजे में जकड़ कर बैठने वाली प्रियंका गांधी के सिलसिले में हुई है तो हम भाई यानी राहुल गांधी को क्यों छोड़ दें.
यूं तो अमेजन प्राइम की वेब सीरीज मिर्जापुर में मुन्ना भइया की हरकतों से त्रस्त कालीन भइया ने मक़बूल से मुन्ना के संदर्भ में तमाम बातें पहले ही कह दी थीं मगर मुन्ना भइया को किंग ऑफ मिर्ज़ापुर बनना था तो ऐसी तमाम मूर्खताएं की जिसके बाद न ही माया मिली और न ही मिले राम. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके राहुल गांधी का भी मामला कुछ मुन्ना भइया जैसा है. जिनकी कारगुजारियों का खामियाजा किसी न किसी बहाने कांग्रेस पार्टी को भगतना पड़ता है.
आलोचक तो आलोचना में राहुल गांधी के लिए मोटे मोटे ग्रंथ पलक झपकते ही लिख देंगे मगर समर्थक तक दबे स्वर में ये कहते पाए जाते हैं कि जब बात फैसले लेने की आती है तो राहुल गांधी के दिमाग का प्रोसेसर स्लो है. जब तक निर्णय आता है देर हो जाती है और गाड़ी प्लेटफॉर्म छोड़ देती है.
बात बीते दिनों की है जिस वक़्त प्रियंका लखीमपुर-लखीमपुर खेल रही थीं. राहुल गांधी जिनका ध्यान कहीं और था जागे और उन्होंने ट्वीट कर जिम्मेदारी पल्ला झाड़ा.
प्रियंका, मैं जानता हूँ तुम पीछे नहीं हटोगी- तुम्हारी हिम्मत से वे डर गए हैं। न्याय की इस अहिंसक लड़ाई में हम देश के अन्नदाता को जिता कर रहेंगे। #NoFear #लखीमपुर_किसान_नरसंहार
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 4, 2021
बाद में प्रियंका को हिरासत में लिया गया तो फिर राहुल गांधी के अंदर का क्रांतिकारी जागा और उन्होंने अपने अंदर के दर्द को बाहर निकालने के लिए अपने पक्के दोस्त (हालांकि इस दोस्त ने भी अभी कुछ पहले ही उन्हें धोखा दिया था.) ट्विटर का सहारा लिया.
जिसे हिरासत में रखा है, वो डरती नहीं है- सच्ची कांग्रेसी है, हार नहीं मानेगी!सत्याग्रह रुकेगा नहीं।#FarmersProtest
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 5, 2021
इस ट्वीट के बाद राहुल गांधी चुप हो गए लेकिन प्रियंका मोर्चे पर एक्टिव रहीं। बाद में देश ने लखनऊ में राहुल गांधी को लखनऊ एयरपोर्ट पर बैठे देखा। राहुल भी बहन की तरह लखीमपुर खीरी जाना चाहते थे.
भाजपा सरकार की ‘अनुमति’!इतना डर किस बात का? #IndiaDemandsJustice pic.twitter.com/n5Y0dCfvHN
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 6, 2021
इस पूरे प्रकरण में जो सबसे दिलचस्प पहलू है वो ये कि अपनी मेहनत से डिश प्रियंका गांधी वाड्रा ने तैयार की थी वहीं बात अगर राहुल गांधी की हो तो वो हमेशा की तरह उस घरी धनिया की पत्ती जैसे निकले जिसका इस्तेमाल डिश को गार्निश करने के लिए किया जाता है.
शहीद लवप्रीत के परिवार से मिलकर दुख बाँटा लेकिन जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक ये सत्याग्रह चलता रहेगा।तुम्हारा बलिदान भूलेंगे नहीं, लवप्रीत।#लखीमपुर_खीरी pic.twitter.com/TklEi7e5Ok
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 6, 2021
अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि इस बार प्रियंका ने लखीमपुर में प्रियंका ने वो पारी खेली जिसकी उम्मीद हमें अखिलेश यादव या फिर मायावती से थीं वहीं बात अगर मुद्दे पर हरी धनिया बन गार्निशिंग के लिए आए राहुल गांधी की हो तो ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि लखीमपुर खीरी किसान हत्या मामले में अंगुली कटाकर उन्होंने भी शहीदों में नाम लिखा लिया है.
अच्छा, क्योंकि ये सारा सियासी नाटक आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए हुआ है तो ये कांग्रेस और प्रियंका/ राहुल गांधी को कितना फायदा पहुंचाएगा इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन क्योंकि प्रियंका ने कमाल किया है तो उनको मुबारकबाद और राहुल के लिए इतना ही कि माशाअल्लाह बॉय प्लेड वेल.
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