किसान नेताओं को समझ नहीं आ रहा कि Mia Khalifa को थैंक यू कहें, तो कहें कैसे?
पॉप स्टार रिहाना, फिर ग्रेटा थनबर्ग और इन सबके बाद पोर्न स्टार मिया खलीफा का किसान आंदोलन को समर्थन. वाक़ई इस वक़्त किसान और किसान नेता दोनों ही बहुत गफलत में हैं बेचारों को समझ में नहीं आ रहा कि यदि वो मिया को शुक्रिया कहें तो कहें कैसे?
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हां तो गुरु जिसका अंदेशा देश, देश की जनता और किसानों तीनों की था वो हो गया. किसान आंदोलन और प्रदर्शनकारी किसान आखिरकार इंटरनेशनल हो ही गए. विश्व की तमाम बड़ी शख्सियतें भारत के आंतरिक मामले पर मुखर होकर अपनी बात रख रही हैं. सवाल पूछ रही है कि आखिर भारत में क्या हो रहा है? विदेश की क्या ही बात करें. अपने ही देश में लोग अपनी बनियान और लुंगी के छेद इग्नोर कर सवाल पूछ रहे हैं कि कहां हैं नरेंद्र मोदी? क्या कर रहे हैं अमित शाह? आखिर क्यों नहीं सरकार इस कानून को वापस लेती. वहीं समर्थकों का गणित अपने में अलग है. इनका मानना है कि सरकार ने अगर कुछ किया है तो फिर कुछ समझ के ही किया है. मतलब किसान आंदोलन का तो ये है कि जितने मुंह उससे ज्यादा बातें. और बातें कितनी बड़ी उसके लिए रिहाना से लेकर ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा किसी का भी रुख कर लीजिए.
रिहाना और ग्रेटा थन बर्ग के बाद अब मिया खलीफा के समर्थन से किसानों का दिल बल्लियों उछल रहा है
पॉप सेंसेशन रिहाना चर्चा में बनी हुई हैं तो किसी और पर बात करने से बेहतर है इस पूरी चर्चा का 'श्री गणेश' उन्हीं से किया जाए. हां तो भारत में जो 'किसानों' की दुर्दशा हुई उससे रिहाना बहुत आहत हैं और इस हद तक जज्बाती हो गयीं कि ट्वीट कर दिया. रिहाना का ट्वीट कुछ यूं है कि उन्होंने अंग्रेजी वेबसाइट CNN का एक आर्टिकल उठाया है और लिखा है कि 'Why are'nt we talking about this. यानी हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे.
why aren’t we talking about this?! #FarmersProtest https://t.co/obmIlXhK9S
— Rihanna (@rihanna) February 2, 2021
अब रिहाना किसान आंदोलन के पक्ष में हैं या विरोध में इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता. लेकिन रिहाना की इस बात ने अपनी बब्बर शेरनी, मणिकर्णिका, रानी लक्ष्मीबाई और भविष्य की इंदिरा गांधी यानी कंगना रनौत को गुस्सा दिला दिया. मामले पर जिस तरह कंगना को गुस्सा आया है कोई कमज़ोर दिल का हो तो बॉडी से प्राण ही निकल जाए.
कंगना ने ट्विटर पर लिखा कि कोई इसके बारे में बात इसलिए नहीं कर रहा क्यों कि ये जो प्रदर्शनकारी हैं ये किसान नहीं आतंकवादी हैं जिनका उद्देश्य देश तोड़ना है ताकि इस टूटे हुए देश पर पहले से घात लगाया हुआ चीन अपना विजय का परचम लहरा दे. कंगना इतने पर चुप नहीं हुईं उन्होंने कायदे से रिहाना की धुनाई की.
No one is talking about it because they are not farmers they are terrorists who are trying to divide India, so that China can take over our vulnerable broken nation and make it a Chinese colony much like USA... Sit down you fool, we are not selling our nation like you dummies. https://t.co/OIAD5Pa61a
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) February 2, 2021
कंगना के इस ट्वीट को भी भांति भांति के रिएक्शन मिल रहे हैं और जिसकी जैसी श्रद्धा और पॉलिटिकल आइडियोलॉजी है वो वैसा जवाब दे रहा है.
रिहाना का मामला अभी ट्विटर पर चल ही रहा था कि ग्रेटा थनबर्ग को भी किसान दिख गए और उन्हें लाइम लाइट में आने का बहाना मिल गया. ग्रेटा ने भी रिहाना वाले आर्टिकल को उठाया और लिख दिया कि 'We stand in solidarity with the farmers protest in India. यानी इन मुश्किल हालात में हम भी भारतीय किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.
We stand in solidarity with the #FarmersProtest in India. https://t.co/tqvR0oHgo0
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) February 2, 2021
अच्छा चूंकि रिहाना और ग्रेटा ने एक ही आर्टिकल शेयर किया है तो कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए इस आर्टिकल पर बात करना बहुत जरूरी हो जाता है. इस ऐतिहासिक लेख को लिखा है ईशा मित्रा औरजूलिया हॉलिंग्सवर्थ नाम के दो पत्रकारों ने. लेख की शुरुआत हुई है इंटरनेट के ब्लॉक होने से. साथ ही बताया गया है कि पुलिस और प्रदर्शकारी किसानों में लगातार झड़प हो रही है.
पूरा लेख पढ़िये तो ये इतना विवादास्पद है या ये कहें कि प्रोपोगेंडा वाला चश्मा लगाकर लिखा गया है कि यदि इस लेख की आलोचना ही करने बैठें तो मतलब सच में एक किताब छप कर तैयार हो जाए जो साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ, बुकर, नोबेल सब दिलवा दे जिस पर भविष्य की एक वेब सीरीज तैयार हो जाए.
ईमानदारी से देखा जाए तो ये लेख इस हद तक फालतू है कि अगर कल की डेट में CNN वाले इसको पढ़ने के एवज में कुछ डॉलर या सेंट्स दें तो भी आदमी हिम्मत न करे. लेख में झूठ इतनी कायदे और साफगोई से बोला गया है कि एक बार कही हुई बातें सच लगेंगी. मगर, बट, किंतु, लेकिन इस लेख के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं और उनका सच्चाई से उतना ही संबंध हैं जितना कश्मीरी पुलाव का कश्मीर से.
रिहाना और ग्रेटा के बाद जो तीसरी शख्सियत किसानों की आड़ लेकर एन्टी इंडिया कैम्पेन में कूदी है, किसी से मिला हो न मिला हो किसानों को इस शख्सियत से बहुत 'मोटल सपोर्ट' मिला है. हम बात कर रहे हैं एडल्ट स्टार मिया खलीफा की जिनको अपने पक्ष में आता देख प्रदर्शनकारी किसानों की बांछें खिल गई हैं. मिया ने खुलकर प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन किया है और मामले के मद्देनजर डिटेल में दो ट्वीट किए हैं.
What in the human rights violations is going on?! They cut the internet around New Delhi?! #FarmersProtest pic.twitter.com/a5ml1P2ikU
— Mia K. (@miakhalifa) February 3, 2021
मिया ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि,'मानवाधिकार उल्लंघनों पर ये चल क्या रहा है? उन्होंने नई दिल्ली के आसपास के इलाकों में इंटरनेट काट दिया है?!'
इसके बाद अपने अगले ट्वीट में मिया ने एक्टर्स को निशाने पर लिया. मिया ने लिखा कि पेड एक्टर्स...मुझे उम्मीद है कि पुरस्कारों के मौसम में उनकी अनदेखी कतई नहीं की जाएगी. मैं किसानों के साथ हूं...#FarmersProtest'
“Paid actors,” huh? Quite the casting director, I hope they’re not overlooked during awards season. I stand with the farmers. #FarmersProtest pic.twitter.com/moONj03tN0
— Mia K. (@miakhalifa) February 3, 2021
मिया के ट्वीट की खास बात ये है कि इन्होंने न तो किसी वेबसाइट का लिंक दिया न ही कांग्रेस या राहुल गांधी के किसी ट्वीट को रीट्वीट करते हए ट्वीट लिखा. मिया ने फ़ोटो लगाई और सीधी और सपाट लगाई. दिलचस्प बात ये है कि मिया को इससे मतलब नहीं है कि भारत सरकार ने ग़ाज़ीपुर और सिंघु बॉर्डर को LOC में तब्दील कर दिया. या फिर उनको लाइट पानी नहीं मिल रहा.
मिया की समस्या इंटरनेट है. बात तो सही है. इंटरनेट बिरयानी, रोस्टेड, पनीर, काजू बादाम, लस्सी, ओरियो शेक से ज्यादा जरूरी चीज है सरकार को इसे नहीं काटना चाहिए था. वाक़ई बहुत गलत बात है. सरकार कानून वापस ले ये बात की बात है पहले उसे इंटरनेट शुरू करना चाहिए.
अरे नहीं. गलत मतलब मत निकालिये. हम जानते हैं कि इंटरनेट बंद होने से मिया को बहुत तकलीफ हुई होगी. हम लोगों से बेहतर मिया को एहसास होगा कि इंटरनेट जाने का दुःख क्या होता है.
बहरहाल कौन सपोर्ट में आ रहा है कौन नहीं अब तक किसानों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था मगर अब जबकि 'किसानों के सम्मान में मिया खलीफा मैदान में' सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर धरना देते किसानों का दिल गुले गुलजार है. मिया के रूप में उन्हें वो मिल गया है जिसका मिलना काजू बादाम और बिरयानी से भी ज्यादा सुखद है.
खैर किसान आंदोलन के मद्देनजर बातों का ये सिलसिला थोड़ा ज्यादा ही लंबा हो गया है अब कोई भाई बस ये बताकर हमारी तृष्णा को शांत कर दे कि 'मिया ख़लीफ़ा' को बॉयकॉट करना है या नहीं. बाक़ी रिहाना के गाने और ग्रेटा की स्पीच दोनों ही हम भारतीयों को कभी समझ न आए.
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