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Updated: 17 मई, 2015 12:52 PM
जितेंद्र कुमार
जितेंद्र कुमार
  @JeetuJourno
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एक प्रधानमंत्री होते थे जवाहरलाल नेहरू. सुना है कि उनके कपडे विदेश से धुलकर आया करते थे. एक प्रधानमंत्री हैं श्री नरेंद्र मोदी. लगता है ये देश में केवल कपडे धुलवाने ही आते हैं. जवाहरलाल के बाद प्रधानमंत्री तो श्री नरेंद्र मोदी को ही बनना था. लेकिन वक़्त का तकाजा था, उन्हें बीच में चाय भी तो बेचनी थी. इसलिए ऐसे ही कुछ लोगों को इस दौरान प्रधानमंत्री बनना पड़ गया.   

अब आखिर कर प्रधानमंत्री बन ही गए हैं. लेकिन समस्या ये है कि भारत में कपड़े धुलवाएं तो कैसे? सारे नारे तो उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ को ही दिए है. ‘वाश इन इंडिया’ का स्लोगन दिया होता तो अपने कपडे वे इंडिया में भी धुलवा सकते थे. अब मजबूरन उन्हें मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए नए कपडे पहनने पड़ते हैं. देश की समस्याओं के साथ-साथ विदेश के मसले भी तो सुलझाने हैं. लग रहा है कि पेट्रोल के दाम इसीलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि मोदी साहब के एयर इंडिया वन के ईंधन का पैसा भी हमसे ही वसूला जा रहा है.  

परसाई जी, वही हरिशंकर जी जबलपुर वाले. उनके साथ भी ऐसी ही समस्या पेश आई थी. बकौल परसाई जी "अभी हम अटलबिहारी वाजपेयी की पाकिस्तान यात्रा की तारीफ ही कर रहे थे कि वे मॉरीशस चले गए. अभी पिछली यात्रा की तारीफ ही पूरी नहीं हुई है. अटलजी दो विदेश यात्राओं के बीच इतना समय तो हम जैसे प्रंशसकों को दिया करें कि हम पिछली यात्रा का राग पूरा कर लें. हम भैरवी गा रहे हैं कि बीच में ही जैजैवन्ती उठाना पड़ता है." 

यहां तो मेक इन इंडिया वाला इशू भी है. टेलर कहते होंगे कि इतना समय तो दिया करें कि हम कपड़े अच्छे से सिल सकें. कपडे तैयार होते नहीं, आपको देश दुनिया की भलाई में निकलना पड़ता है. आखिर हमें भी तो जवाब देना होगा कि आपने क्या पहन रखा है. फिर से कोई विदेशी सूट जल्दबाजी में डाल लिया तो फिर किरकिरी होगी. नीलामी करवानी पड़ेगी अलग से. राहुल गांधी ने बोल दिया है सूट-बूट की सरकार. लीजिये, सरकार ने दिल पे ले लिया. चीन कुर्ते पजामे में ही चले गए. वैसे कुर्ते-पजामे में जाने के फायदे भी कई हैं. जेबें बड़ी-बड़ी होती हैं. नोकिया के ढेरों पतले पिन वाले चार्जर लाये जा सकते हैं. अखिल भारतीय अमीर हो या गरीब, सबको इस पतली पिन वाले चार्जर को ढूंढने में समस्या होती है.  

लालूजी ने भी फेसबुक पर मोदी जी की तस्वीर और अपने पजामे-बनियान वाली तस्वीर की तुलना कर दी है. साथ में चैलेंज दे दिया है कि आम कपडे पहनने वाला आदमी बेहतर होता है या सूट-बूट वाला. एक सूट के चक्कर में पूरी सरकार ही सूट-बूट की क्या कहलाई, मोदी जी इस बार कुर्ते-पजामे में चीन निकल गए हैं. वैसे है भी तो चीन पड़ोस में ही. अरुणाचल में रहिये, चीन कहेगा आप चीन में ही हैं. मोदी जी को चीन इतना पसंद है कि चीनी मीडिया ने जब अरुणाचल और कश्मीर को भारत के नक्शे से गायब कर दिया तब भी वे मौन ही रहे.  वैसे अगर इतने सारे MOU में एक समझौता XIOMI मोबाइल वालों से भी कर आते तो आज जनता बड़ा धन्यवाद देती.

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लेखक

जितेंद्र कुमार जितेंद्र कुमार @jeetujourno

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप (डिजिटल) की वेबसाइट आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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