पियक्क्ड़ों की बस एक पुकार, उन्हें मिले 'शुद्ध' दारू का अधिकार!
पियक्क्ड़ो के अधिकार के लिए आवाज़ उठी है. एक अकेली चीज़ यानी शराब, जो हर धर्म जाति को परे कर ऊंच नीच की दिवार गिराकर देश को एक करने का माद्दा रखती है. उसकी मिलावट पर सख्त से सख्त सजा का एलान होना चाहिए!
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नशा शराब में होता तो नाचती बोतल
मैकदे झूमते पैमानों में होती हलचल
लेकिन गोया क्यों कर होती? जब कयामत के दिन आने वाले हों तो बोतल क्या पीने वाले तक को नशा नहीं चढ़ रहा. ऐसा गुनाह! मतलब मिलावट करो जी भर के करो लेकिन दवा में मिलावट करते करते ये मिलावटी चोर दारू तक पहुंच गए. खैर हो इस दुनिया की.
जी जी. पीने वालों की जान को एक और ज़हमत. क्या पता कब कौन उन्हें नकली दारू /मय /शराब पकड़ा दे. ये मुये खुद ज़मीर बेच कर शराब पी गए और नकली वाली ग्राहक को पकड़ा दी. और ग्राहक बिल्कुल नए हिंदुस्तान का 'जागो ग्राहक जागो' पर नाचता गाता बड़ा हुआ होगा उसने इस गंभीर घटना की बकायदे शिकायत की.
नकली शराब का दुःख क्या होता है उसे वही समझ सकता है जो शराबी हो और जिसे नकली माल मिला हो
नकली शराब की होम मिनिस्टर से शिकायत
जी, मध्य प्रदेश के लोकेन्द्र सेठिया जी ने खरीदे मेड इन इण्डिया देसी दारू के चार पउए, और दो पी गए! अब पीने के बाद वो रह गए यही ज़मीन के ज़मीन पर. न सुरूर न नशा न पुरानी बातें न मोहब्बत के किस्से. कम्बख्त कुछ भी न हुआ. और होता कैसे नकली शराब टिका दी किसी ने सेठिया साहब को. मतलब हद ही है इण्डिया के नाम पर नकली सामान देश द्रोही कहीं के! कितनी शर्मिंदगी की बात है उफ़ -
ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यों
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया
सेठिया जी ठहरे दो दशक से पीने वाले वेटेरन, तुरंत पकड़ लिए की मिलावटी है शराब. झट से शराब की शराब और पानी का पानी कर लिए!
नशा कम मतलब पानी ज़्यादा माल कम.
उन्होंने आव देखा न ताव तुरंत नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश के होम मिनिस्टर को कम्प्लेन किया - जनाब व्हाट अत्याचार इन योर सरकार? साथ ही एक्ससाइज़ वालों को भी शिकायत कर दिए.
बिलकुल जागरूक ग्राहक!
उस पर से सबूत के तौर पर बाकि दो पउए भी दिए और सभी पीने वालो की ओर से गुज़ारिश की, कि ठेकेदार को सज़ा मिले. अब जब 6 मई तक कोई कार्यवाही नहीं हुई तो सेठिया जी ने कंज़्यूमर फोरम में जाने का निश्चय लिया है क्योंकि उनको पियक्क्ड़ो के अधिकार चाहिए.
सेठिया तुम आगे लड़खड़ाओ हम तुम्हारे अगल बगल आगे पीछे कहीं तो गिरे पड़े रहेंगे ही. ऐसे संदेश सेठिया जी को सभी मय -प्रेमी लोगों की ओर से मिल रहे हैं. सेठिया जी का कहना कि, 'आखिर मैं तो कमाता हूं तो पीता हूं ऐसे भी भोले भाले लोग हैं जो कमाते नहीं लेकिन पीने के शौकीन है बेचारे! (फ़िज़ूल जानकारी के लिए ये भोलेभाले पत्नी पिता से पैसे छीनने या फिर चोरी चकारी जैसे छोटे मोटे अपराध कर लेते है क्या करें! कोई चारा नहीं बेरोज़गारी है इतनी! कैसे पिए कोई शराब?)
कयामत की दस्तक है भाई. तुम्हीं बोलो, अब मिलावटी दुनिया ने एक अकेली उस चीज़ की ओर रुख किया है जो हर धर्म जाति को परे कर ऊंच नीच की दिवार को तोड़ कर देश को एक करने का माद्दा रखती है. भूल गए वो दिन जब कोविड में स्कूल बंद, दुकाने बंद लेकिन खुले थे तो दारू के ठेके मेरा मतलब है मयखाने ! दवा दारू को साथ बोलने का औचित्य उसी दिन समझ में आया था - थैंक्स टू अपने केजरीवाल जी.
वैसे इन्हें कुछ भी बोल लो बंदा दूरंदेशी है. अब यही देख लो दिल्ली सरकार लगी हुई है कि एक्ससाइज़ एक्ट,2009 में बदलाव लाने में ताकि ऐसे आपदा वाली स्तिथि में शराब की होम डिलिवरी हो सके.
ना बिलकुल नहीं. शक मत कीजिये उनकी नियत पर.
अरे होम डिलीवरी होगी तो लोग पीने और शराब खरीदने बाहर नहीं आएंगे और ड्रिंक एंड ड्राइव के केस कम होंगे - सी इंटेलिजेंस! और तो और डिलीवरी हॉस्टल कॉलेज में नहीं होगी (उनको लेने आना ही होगा ) विद्यार्थी जीवन में श्रम ज़रूरी है.
है, वो शराब के नशे में घर में हिंसा वाला - श श श
क्या चखने में कंकर जैसी बात कर रहे हो यार. वैसे भी असद मुल्तानी जनाब कह गए है कि
शराब बंद हो साक़ी के बस की बात नहीं
तमाम शहर है दो चार दस की बात नहीं
बेचने वाले भी आतुर बैठे हैं फार्म टू होम की तर्ज़ पर 'ठेका टू होम' के एप्प बनाने के लिए. क्या पता बन गया हो लांच न हुआ हो मेड इन इण्डिया एंट्रेप्रेन्योरशिप का ज़माना है और शराब के साथ चखना पकोड़े के बिज़नेस भी तो बढ़ेगा. कुल मिला कर शुद्ध पियेगा इण्डिया तभी तो लड़खड़ायेगा इंडिया.
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