नागिन डांस बचाना है!
जिस तरह राज्यों में शराब पर पाबंदी लग रही है, उसने भारत की इस प्राचीन नृत्य शैली के समाप्त होने की आशंका पैदा कर दी है. नागिन नृत्य नर्तक बिना मदिरा के उस तरह परफॉर्म नहीं कर सकता-जिस तरह यह नृत्य शैली डिमांड करती है.
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इसी हफ्ते झटके में तीन बारातों में जाना हुआ. और ये देखकर मेरी आत्मा रोने लगी कि बारातों से नागिन नृत्य तेजी से गायब हो रहा है. इसकी एक वजह तो शराब का महंगा होना हो सकता है, क्योंकि बिना शराब के नर्तकों के भीतर नागिन नहीं जागती. इसके अलावा कई लोग समझ नहीं पाते कि इस नृत्य को करने के नियम क्या हैं. लेकिन मेरी चिंता सामाजिक-सांस्कृतिक चिंता है. एक महान नृत्य परंपरा के विलुप्त होने की चिंता.
नागिन डांस भी एक नृत्य शैली है |
अब वक्त आ गया है जब नागिन नृत्य शैली डांस अकादमियों में सिखाई जाए. मुझे हैरानी है कि अभी तक डांस अकादमियों ने विषय में सोचा क्यों नहीं. ब्रेक-डिस्को-सांबा वगैरह नृत्य शैली का भविष्य में इस्तेमाल हो न हो लेकिन नागिन डांस के इस्तेमाल होने की प्रबल संभावनाएं हैं. इस देश में जब तक सड़कों से बारातें गुजरेंगी, तक तक बारातों की शोभा बढ़ाने के लिए नागिन डांस नर्तकों की आवश्यकता होती रहेगी.
कुछ लोग सवाल उठा सकते हैं कि नागिन नृत्य नर्तक किसी अकादमी में बनाया नहीं जा सकता. ये नर्तक नैसर्गिक रुप से पैदा होते हैं. नागिन नृत्य नर्तक एक गंध निरपेक्ष, शर्म निरपेक्ष, धरतीपकड़ टाइप का वो प्राणी होता है, जो अचानक बैंड पर नागिन धुन बजते ही ऐसा लोटा मारता है कि सामान्य हाथ-पैर-तोंद हिलाऊ श्रेणी के नर्तक तो बारात छोड़ किनारे हो लेते है. नागिन नृत्य नर्तकों में दो श्रेणियां होती हैं. पहली, जो कभी वास्तविक तो कभी अदृश्य रुमाल को बीन समझकर सड़क पर अर्धचंद्राकर अवस्था में लोटायमान होकर बीन बजाता है. दूसरी श्रेणी इसी बीन पर फन लहराते हुए नर्तकों की होती है, जिनमें धुन बजते ही अचानक सांपिन की आत्मा प्रवेश कर आती है.
रुमाल से बीन बजाना ज़रूरी है |
नागिन नृत्य नर्तक में लात सहने की अद्भुत शक्ति होती है तो बदबू सहने की भी. जिस गंदे भरे नाले के पास बारात की कुल क्षमता झटके में आधी रह जाती है, वहां भी नागिन नृत्य नर्तक बदबू से अप्रभावित रहकर नृ्त्य सेवा में लगा रहता है.
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नागिन नृत्य शैली का प्रादुर्भाव किस बारात से हुआ-कहना मुश्किल है. लेकिन-पौराणिक कहानियों से अंदाज लगाए तो यह नृत्य शैली संभवत: शिवजी की बारात से निकली होगी. भोले की बारात में ही भूतों का मेला लगा था, और शिवजी गले में सांप टांगे पार्वतीजी को ब्याहने निकले थे. उसी वक्त संभवत: कुछ चेले चांटों ने नागिन डांस कर अपनी अपनी पार्वती की सहेलियों को लुभाने की कोशिश की होगी.
लेकिन सवाल यह नहीं है कि नागिन डांस कहां से आया. सवाल यह है कि नागिन डांस बचेगा कैसे. क्योंकि जिस तरह राज्यों में शराब पर पाबंदी लग रही है- उसने भारत की इस प्राचीन नृत्य शैली के समाप्त होने की आशंका पैदा कर दी है. नागिन नृत्य नर्तक बिना मदिरा के उस तरह परफॉर्म नहीं कर सकता-जिस तरह यह नृत्य शैली डिमांड करती है.
नागिन नृत्य के विषय में एक खास बात और है. वो यह कि यह नृत्य सिर्फ 20 से 35 वर्ष आयु के युवा ही कर सकते हैं. कभी कभी 35 वर्ष आयु से अधिक के अधेड़ इस नृ्त्य शैली में हाथ आजमाने की कोशिश करते हैं तो उनके फेफड़े जवाब दे देते हैं. इस चक्कर में कई नागिन डांस नर्तक बारात से ही स्वर्ग का टिकट कटाते देखे गए हैं.
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तो अगर आप इस लेख को पढ़ रहे हैं तो कृपया ऐसा कभी न करें. नागिन डांस के लिए युवाओं को आगे लाएं. बारात में उन्हें नागिन डांस करने के लिए प्रेरित करें. अध्धा पउआ का खर्च जेब से करना पड़े तो करें, क्योंकि यह आपकी भी जिम्मेदारी है कि एक प्राचीन नृत्य शैली को आप बचाएं. यकीन जानिए आप युवाओं के लिए कुछ करेंगे तो वो भी इस नृत्य कला को मरने नहीं देंगे.
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