योगी बनाम उद्धव ठाकरे: कान के नीचे बजाने वालों के बीच जंग, अब आएगा मजा
उद्धव ठाकरे को थप्पड़ मारने की बात कहकर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे गिरफ्तार हुए फिर उन्हें जमानत मिली. वहीं उद्धव भी 2018 में योगी आदित्यनाथ को चप्पल से मारने की बातें कह चुके हैं. साफ़ है कि आने वाले वक़्त में जंग होगी. खूब होगी. घमासान होगी और देखने वालों को भरपूर आनंद मिलेगा.
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हां तो भईया खबर सुनी कि, उद्धव ठाकरे को थप्पड़ मारने की बात कहकर गिरफ्तार हुए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को जामनत मिल गई है. अच्छा हुआ कोर्ट कचहरी का चक्कर हो गया और राणे छूट गए वरना नारायण ही जानें इस मैटर पर अभी और कितना बवाल होता. मामले में सबसे सही सीन तो वो था जब नारायण राणे को अरेस्ट किया जा रहा था. भाऊ खाना खा रहे थे. उनके हाथ में अलग अलग आइटम्स से भरी प्लेट थी. नारायण राणे एक हाथ से प्लेट संभाले थे दूसरे से पुलिस वालों से उनकी तनातनी जारी थी. सीन देखकर क्लियर हो गया कि ईश्वर ने हम बंदों को दो हाथ क्यों दिए ? शायद एक हाथ खाना खाने के लिए. दूसरा थप्पड़ लगाने के लिए. सिंपल लॉजिक है.
बहरहाल बात जब थप्पड़ के मद्देनजर गिरफ्तारी तक पहुंच ही गई है तो फिर उद्धव ठाकरे का जिक्र बनता है. अब चूंकि कम ही होता है कि राजनीति में राज छुपे रह जाएं उद्धव ठाकरे के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. उद्धव के संदर्भ में राणे की गिरफ्तारी के बाद पहाड़ खोद दिया गया है और निकले हैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. दरअसल जैसी बात राणे ने उद्धव के लिए कही है ठीक वैसा ही उद्धव ने अभी कुछ समय पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए कहा था.
सवाल ये है कि योगी को चप्पल से मारने की बात कहने वाले उद्धव नारायण राणे के थप्पड़ से इतना आहत क्यों हो गए हैं
बात आज से तीन साल पुरानी यानी 2018 की है. हिम्मत की दाद देनी होगी तब उद्धव ने योगी को चप्पल से मारने की बात कही थी. विवाद खूब हुआ था और इसमें योगी आदित्यनाथ की तो नहीं हां लेकिन महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की खूब जमकर किरकिरी हुई थी. बताते चलें कि ठाकरे ने यह बयान 2018 में मई में महाराष्ट्र के पालघर में चुनाव प्रचार के दौरान दिया था.
दिलचस्प ये कि ये वो समय था जब दोनों ही घटक दलों यानी भाजपा और शिवसेना ने एक ही बोट पर बैठकर डुएट गाने से सदा के लिए तौबा कर ली थी. ये वो दौर था जब दोनों दलों के रिश्तों में दरार पड़नी शुरू हो चुकी थी. तब महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने योगी आदित्यनाथ से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया था और उस वाकये को भी याद किया था जब योगी आदित्यनाथ शिवाजी की प्रतिमा पर दशहरा के दिन माल्यार्पण कर रहे थे.
सभा को उद्धव ने बताया था कि शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते वक्त योगी आदित्यनाथ ने खड़ाऊं पहन रखे थे. उन्होंने ऐसा करके शिवाजी का अपमान किया. वहीं तब आगे उन्होंने ये भी कहा था कि , 'यह योगी तो गैस के गुब्बारे की तरह है, जो सिर्फ हवा में उड़ता रहता है. आया और सीधे चप्पल पहनकर महाराज के पास गया. ऐसा लग रहा है उसी चप्पल से उसे मारूं.'
चूंकि बयान योगी आदित्यनाथ के सन्दर्भ में था तो उड़ते उड़ते ये स्वयं योगी आदित्यनाथ के पास आया जिसपर योगी आदित्यनाथ ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मेरे अंदर उनसे (उद्धव ठाकरे से) कहीं ज्यादा शिष्टाचार है और मैं जानता हूं कि कैसे श्रद्धांजलि दी जाती है. मुझे उनसे कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है.’
अब चूंकि राजनीति में गड़े मुर्दे उखाड़ना हमारे राजनेताओं का पुराना शौक रहा है इसलिए वो तमाम लोग जो नारायण राणे को अपना रॉबिनहुड समझते थे काउंटर अटैक के लिए सामने आ गए. उद्धव ठाकरे का पालघर जनसभा का वीडियो निकाल दिया. मांग की जा रही है कि नीति यही कहती है कि जैसे नारायण राणे गिरफ्तार हुए हैं ठीक वैसी ही गिरफ्तारी योगी वाले मैटर पर उद्धव ठाकरे की भी होनी चाहिए.
योगी वाले 2018 के बयान पर उद्धव की कितनी गिरफ्तारी होगी? जनता इतनी भी बेवकूफ नहीं है जो इस अहम बात को न जाने. मगर अब जबकि बात चप्पल, जूतों, थप्पड़, लात घूसों तक आ ही गई है. तो देश मे कहीं भी किसी खाली पड़े ग्राउंड पर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को एक रिंग बनवा देनी चाहिए.
इससे होगा ये कि फिर भविष्य में जब कभी कोई नेता या फिर यही लोग कोई बयान देंगे तो इन्हें वहीं उसी रिंग में छोड़ दिया जाएगा. ले लें सबका बदला. ये तमाम लोग ढंग के नेता तो बन नहीं पा रहे क्या पता ढंग के पहलवान ही बन जाएं और आगामी ओलंपिक में या फिर किक बॉक्सिंग के किसी टूर्नामेंट में भारत को मेडल ही दिलवा दें.
खैर अब जबकि कान के नीचे बजानेवालों के बीच जंग हो ही चुकी है तो किसी को आए न आए इस देश की जनता को खूब मजा आएगा और ये सब तमाशा देखने के लिए न तो उसे OTT का सब्सक्रिप्शन चाहिए न ही उसे टिकट के लिए कहीं किसी कतार में लगना है.
बाकी चाहे वो नारायण राणे हों या फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और योगी आदित्यनाथ हम इन लोगों से बस इतना ही कहेंगे कि इन्हें इस बात को बखूबी याद रखना चाहिए कि इतिहास में ऐसे मंजर खूब आए हैं जब बिल्लियों की लड़ाई का पूरा फायदा बंदरों ने खूब उठाया है. इसलिए अब सीएम उद्धव ठाकरे अपना देख लें समझ लें. यूं भी कवि की कल्पना बहुत पहले से है कि क्या पता कल हो न हो.
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