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Updated: 17 दिसम्बर, 2021 09:42 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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हंसना मना है... इस बात की पहले से ही ताकीद और हिदायत इसलिए दी जा रही है. क्योंकि, इस लेख को लिखते समय मेरी स्थिति एक मशहूर गाने 'मैं रोऊं या हंसू, करूं मैं क्या करूं' टाइप हो रखी है. इतना ही नहीं, हालत ऐसी है कि इस बारे में सोचने का भी मन नहीं कर रहा है. क्योंकि, अगर ऐसा किया, तो हंसी आ जाएगी. जबकि, हंसने पर रोक है. आसान शब्दों में कहूं, तो भारत जैसे देश में जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर 'टुकड़े-टुकड़े' कर देने से लेकर 'चिकन नेक' दबाने तक की बात करने की खुली आजादी है. वहां इसी दुनिया में उत्तर कोरिया नाम का एक ऐसा देश भी है, जिसने लोगों के हंसने पर पाबंदी लगा दी है. उत्तर कोरिया में अगले 10 दिनों तक कोई नहीं हंसेगा. हालांकि, ये सोचकर भी हंसी आ रही है कि ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन, बात उत्तर कोरिया की है, तो इसमें 'इफ एंड बट' के लिए भी ज्यादा जगह नहीं है. ऐसा क्यों है, ये शायद बताने की जरूरत नहीं है.

Kim Jong Il Kim Jong Unउत्तर कोरिया के पूर्व दिवंगत सुप्रीम लीडर श्री किम जोंग इल जी की 10वीं बरसी पर 10 दिनों का शोक मनाने का ऐलान किया गया है.

'देवतुल्य' किम जोंग इल की बरसी पर कोई हंस कैसे सकता है?

बात ये है कि कंप्यूटर पर आंखें घुमाने के दौरान इस खबर पर नजर गई. जैसे-जैसे पूरी खबर पढ़ी, मन में श्रद्धा के भाव जागने लगे. खबर ये है कि उत्तर कोरिया के पूर्व दिवंगत सुप्रीम लीडर श्री किम जोंग इल जी की 10वीं बरसी पर 10 दिनों का शोक मनाने का ऐलान किया गया है. श्री किम जोंग इल जी उत्तर कोरिया के एक बड़े तानाशाह थे, और वर्तमान सूरमा किम जोंग उन के पिता जी थे. जिनको देशभर में एक देवता की तरह पूजा जाता था. किम जोंग इल जी को दुनिया भले तानाशाह कहे लेकिन इस देश के निजाम के मुताबिक उन्होंने 1994 से 2011 तक अपने कई 'मानवतावादी कार्यों' के दम पर वहां के लोगों के दिलों में राज किया. अब बात दिल की है तो श्री किम जोंग इल जी के लिए मेरे दिल की गहराईयों से भी सम्मान निकला है. अब इसे किसी डर का नाम न दिया जाए. वैसे भी उत्तर कोरिया के वर्तमान तानाशाह शासक किम जोंग उन जी की महिमा से मैं अच्छी तरह परिचित हूं. और, अपने साथ ही अपने देश से भी प्यार करने वाले एक नागरिक के तौर पर ये मेरा भी कर्तव्य बनता है कि अपने स्तर से ही सही, लेकिन देश सेवा करने का कोई मौका न छोड़ूं. क्या पता, इसी बहाने उत्तर कोरिया से संबंध और प्रगाढ़ होने में मदद मिले!

वैसे, किम जोंग उन जी ने अपने पिता किम जोंग इल जी के निधन के 10 साल पूरे होने पर शोक मनाने की बात कही है, तो इसमें गलत क्या है? हम भले अपने दिवंगत नेताओं को लानत-मलानत भेजते हों, लेकिन चाहिए तो यही कि हर देश अपनी महान हस्तियों की बरसी पर शोक जताए. अब शोक कहीं सख्त नियमों के साथ मनाया जाए, तो उसे लेकर कुछ गलत थोड़े ही कहा जा सकता है. न हंसने के अलावा भी और कई हिदायते हैं, जैसे-

1. गंभीर/उदास रहने के लिए एक शर्त और है. पूरे होशोवास में उदासी फील करना होगी. ये नहीं कि दारू पीकर दस दिन लुढ़के रहे. इसीलिए आगामी दस दिनों के लिए हंसने के साथ ही शराब पीना भी बैन है.

2. मॉल में शॉपिंग करने और खुश होने की हर तरह की गतिविधियों पर बैन से लोगों को सुकून मिलेगा. वे घर पर 10 दिन तक बैठकर आराम से शोक मना सकते हैं.

3. भूल से भी खुश होने वाला काम न हो जाए, इसलिए सिनेमा देखने पर भी पाबंदी है. 'स्पाइडरमैन: नो वे होम' (Spiderman: No Way Home) का क्‍या है, इस अमेरिकी सुपरहीरो का न भी देखा तो चलेगा, और देखना भी होगा तो दस दिन के बाद भी देखा जा सकता है.

4. इन 10 दिनों तक लोगों को दुख महसूस करने में कोई कमी न हो, इसके लिए बाकायदा पुलिस अधिकारियों की तैनाती की गई है. श्री किम जोंग इल जी के लिए दुख महसूस हो, इसके लिए दिसंबर महीने की शुरुआत से ही पुलिस ने उत्तर कोरिया में लोगों को दुख देना शुरू कर दिया था.

5. सोचिए कि एक तानाशाह अपनी जनता की कितनी ज्यादा फिक्र करता है. इन 10 दिनों के दौरान ना किसी को अपने दोस्तों को बर्थडे की पार्टी देने की टेंशन होगी और ना ही किसी को अंतिम संस्कार करने की इजाजत होगी. मतलब आराम से शव को घर में रखिए और अपने मृत परिजन के साथ 10 दिन और बिताने का मौका पाइए.

मतलब, इस दौरान लोगों को केवल श्री किम जोंग इल जी के लिए दुख महसूस करना है, बात खत्म. अब जिसके घर में किसी की मौत हो गई होगी, उसके लिए दो-चार आंसू किम जोंग इल जी के लिए बहा देना कोई मुश्किल बात थोड़े ही होगी.

वैसे, बड़ी बात ये है कि कम से कम दुनियाभर को ये सारी जानकारियां मिल तो रही हैं. वरना, वहां की मीडिया तो किम जोंग उन जी के अलावा किसी और के बारे में बात ही नहीं करती है. बताना जरूरी है कि उत्तर कोरिया की सीमा पर स्थित एक शहर में रहने वाले शख्स ने ये जानकारी लीक की है. और, किम जोंग उन जी के नाम की महिमा का आदर करते हुए उस शहर का नाम लिखने की हिमाकत नहीं की जा सकती है. क्योंकि, शहर का नाम देने से उस एक व्यक्ति के चक्कर में पूरे शहर के लपेटे में आने की संभावना है. इन भाई साहब ने बताया है कि 10 दिनों के इस शोक काल में अगर कोई नियमों को तोड़ते हुए पाया जाता है, तो फिर वो दोबारा नजर नहीं आता है. अब किम जोंग उन जी की महिमा को जानने के बाद भी कोई नियमों को तोड़ने की हिमाकत करेगा, तो उसके दोबारा नजर ना आने पर कोई दो राय नहीं होनी चाहिए. ऐसे लोगों को सजा देना अपराध नहीं कहा जा सकता है. अगर कोई नियम बना है, तो उसकी अवहेलना क्यों की जाए?

खैर, भारत के रहने वालों के लिए उत्तर कोरिया जैसे देश एक बड़ा उदाहरण हैं. यहां के आजादी समर्थकों को जितनी छूट मिलती है उत्तर कोरिया में तो नहीं मिलेगी. यहां कोई भी कश्मीर को आजाद करने की मांग कर सकता है. भारत के टुकड़े-टुकड़े करने की बात कह सकता है. सड़क पर नमाज पढ़ने की जिद कर सकता है. वैसे, चलते-चलते मुझे अमिताभ बच्चन का गुजरात टूरिज्म वाला वो विज्ञापन ध्यान आ रहा है, जिसमें बिग बी लोगों से कुछ दिन गुजरात में गुजारने के अपील करते थे. मेरा मानना है कि भारत में आजादी के इन तमाम समर्थकों को कुछ दिन उत्तर कोरिया में जरूर गुजारने चाहिए.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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