बनारस के पान - आम की तरह G I Tag पर हक़ कानपुर के गुटखे और मैनपुरी की तंबाकू का भी है!
बनारसी पान और बनारसी लंगड़े आम को जीआई क्लब में एंट्री मिली है जिससे पूरे बनारस में लोगों के बीच ख़ुशी की लहार है और उनका उत्साह देखने वाला है. अब बस कानपुर का गुटखा, मैनपुरी की तंबाकू और कन्नौज का इत्र इस लिस्ट में जगह बना ले तो बाकी के बचे कुचे प्रोडक्ट्स का रास्ता आसान हो जाए.
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चाहे छोटा हो या बड़ाकिसी शहर में सिर्फ लोग नहीं रहते. इसी तरह उसमें सिर्फ बिल्डिंग्स भी नहीं होती. कोई न कोई ऐसी चीज होती है जो उसे खास बनाती है और एक विशेष पहचान दिलाती है. अब बनारस को ही देख लीजिये. जैसे ही बनारस का नाम हमारे सामने आता था जो पहली चीज हमारे दिमाग में आती वो था बनारसी पान. मतलब बनारसी पान का क्रेज लोगों के बीच कुछ यूं है कि भारतीय आदमी लखनऊ से लक्सर लंदन तक और बैंगलोर से लेकर बेल्जियम तक कहीं भी जाए और वहां उसे पान की दुकान दिख जाए तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता. पान वाले भैया से अगले की डिमांड होती है कि उसके सामने बनारसी पान पेश किया जाए. यही हाल लोगों का लंगड़े आम के प्रति भी था.
आम के शौक़ीन आम को लेकर कई वर्गों में विभाजित हैं और इनमें भी एक बड़ा वर्ग वो है, जो इस बात का बखान डंके की चोट पर करता है कि आमों में राजा की हैसियत लंगड़ा रखता है. और लंगड़ा भी यहां वहां का नहीं खाटी बनारसी लंगड़ा. चूंकि बनारसी लंगड़ा और बनारसी पान दोनों ही बनारस की शान हैं इन्हें एक लंबे अंतराल के बाद इनका हक़ दे दिया गया है. इन दोनों ही आइटम्स को भौगोलिक संकेत यानी GI Tag से नवाजा गया है. बताते चलें कि जीआई टैग वह प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है. दिलचस्प ये कि जिस वस्तु को यह टैग मिलता है, वह उसकी विशेषता बताता है.
बनारसी पान और बनारसी लँगड़े आम को उचित सम्मान मिलना भर था बनारसियों की ख़ुशी देखने लायक है
ऐसा नहीं है कि सिर्फ बनारसी पान और बनारसी लंगड़े को ही जी आई टैग से प्राउड फील करने का मौका मिला है. इसके अलावा रामनगर भांटा (बैंगन) और आदमचीनी चावल को भी जीआई टैग मिला है. आम और पान को जी आई टैग दिए जाने के बाद पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में ख़ुशी की लहर है. बनारस अब इसलिए भी गर्व से अपने कॉलर चौड़े कर सकता है क्योंकि पान और आम के बाद बनारस वो क्षेत्र बन गया है जो अब 22 जीआई टैग उत्पादों का दावा करता है.
ध्यान रहे कि नाबार्ड उत्तर प्रदेश के सहयोग से, कोविडके दौरान 20 राज्य-आधारित उत्पादों के लिए जीआई आवेदन दायर किए गए थे. और क्योंकि ऐसा हो गया है लोग नाबार्ड के अलावा सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार का भी आभार प्रकट कर रहे हैं.
जैसा कि हम बता चुके हैं भारत में कई स्थान ऐसे हैं जिन्हें लोग जानते ही इसलिए हैं क्योंकि वहां का कुछ न कुछ फेमस है. बात जब फेमस की चली है और उत्तर प्रदेश के संदर्भ में चली है तो कुछ चीजों पर बात करना जरूरी है. क्यों? सिर्फ इसलिए क्योंकि अगर इन पर बात न हुई तो न केवल भावनाएं आहात होंगी बल्कि न्याय पूरा नहीं होगा. इतिहास गवाह है जब जब बात किसी शहर के फेमस आइटम्स की आएगी तो देश शायद ही कभी कानपूर के इतिहास में गुटखे को मैनपुरी के मामले में तंबाकू को, कन्नौज के केस में इत्र और लखनऊ के केस में रेवड़ी को (हर बार लखनऊ को टुंडे कबाबी और चिकन के कुर्ते की वजह से याद किया जाए बिलकुल भी जरूरी नहीं)
The famous Banarasi Paan and Banarasi Langda mango are the two latest products from the city to have got the Geographical Indication (GI) tag. As of now, UP has 45 GI goods, out of which 20 belong to the Varanasi. pic.twitter.com/nIeR5MzETD
— Sanjeev Upadhyay?? (@SanjeevUpadhy13) April 4, 2023
कितना अच्छा होता कि जो सम्मान बनारसी पान, बनरसी लंगड़े, रामनगर भांटा (बैंगन) और आदमचीनी चावल को मिला वही सम्मान अपने कानपुर के गुटखे, मैनपुरी के तंबाकू, कन्नौज के इत्र और लखनऊ की रेवड़ी को मिलता. कह सकते हैं कि अगर सरकार और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ आम और पान को गंभीरता से ले सकते थे तो फिर इन बेचारों ने किसी का क्या बिगाड़ा था?
नहीं सोचने वाली बात है कि जब शहरों को उनमें मिलने वाली चीजों को आधार बनाकर फेमस ही किया जा रहा है तो फिर कितना अच्छा लगता कि सरकार सबको साथ लेकर सभी का विकास कर रही है. खुद सोचिये आज जब आम और पान गुटखे, तंबाकू, रेवड़ी, इत्र या फिर फिरोजाबाद की चूड़ियों, अलीगढ़ के तालों के सामने आ रहे होंगे तो उनका हाल क्या हो रहा होगा? चीजें एक दूसरे के साथ एडजस्टमेंट कैसे कर रही होंगी.
बात बहुत सीधी है. अगर लोकप्रिय किया जाना ही है तो इसपर अधिकार सबका है और बराबर है. बाकी जिक्र लोकप्रियता का हुआ है तो हम एक बात जरूर कहेंगे कि जैसा क्रेज है भले ही एक बार लोग बनारस को पान से न जोड़कर बनारसी साड़ियों से जोड़ लें लेकिन इतिहास में जब जब जिक्र कानपुर का होगा तो लोगों के जेहन में गुटखा अपने आप आएगा. ऐसा ही कुछ कुछ मिलता जुलता हाल यूपी के दीगर शहरों और उनसे जुडी फेमस चीज के बारे में है. खैर एक लॉजिक ये भी आ सकता है कि गुटखा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तो ऐसे में हम इतना जरूर कहेंगे कि पान में कोई संजीवनी नहीं है. इंसान की हेल्थ के लिए नुकसानदायक वो भी है.
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