Rahul Gandhi resignation in CWC: और 'राहुल' ने राहुल का इस्तीफा अस्वीकार कर दिया!
कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में राहुल गांधी के इस्तीफे पर सबकी नजर रही है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस पार्टी में राहुल गांधी के सिवाय कुछ नहीं है, उसमें सारी बातें राहुल गांधी पर आकर ही खत्म हो जाती हैं. इस्तीफे पर अंतिम फैसला भी.
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23 मई को लोकसभा चुनावी नतीजों (Loksabha Election Results 2019) की तस्वीर जैसे ही साफ हुई, और उसमें कांग्रेस की एक बार फिर बुरी हार के परिणाम आते देख राजनीतिक गलियारे में ये सुगबुगाहट शुरू हो गई कि क्या राहुल गांधी इस बार कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे. राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी स्वीकार की थी. उसके कुछ देर बाद ही मीडिया में खबर आई कि राहुल गांधी ने सोनिया गांधी से इस्तीफे की पेशकश की है और सोनिया गांधी ने उनके इस्तीफे को ठुकरा दिया है. हालांकि कांग्रेस ने इस खबर का खंडन किया और कहा कि पूरी पार्टी अपने नेतृत्व के साथ मजबूती के साथ खड़ी है. अब इसको इस तरह से समझिए कि राहुल गांधी की पार्टी में हो क्या रहा है...
राहुल गांधी राहुल गांधी के सामने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश करते हैं. राहुल गांधी वैकल्पिक व्यवस्था होने तक राहुल गांधी को पद पर रहने को कहते हैं. फिर राहुल गांधी ने एक स्वर में कहा कि राहुल गांधी को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है. और राहुल गांधी पद पर बने रहेंगे. क्योंकि राहुल गांधी की पार्टी में दूसरा कोई राहुल गांधी है ही नहीं. और ना ही कोई राहुल गांधी, राहुल गांधी के पद को संभालने के लिए तैयार है. पद संभालना तो दूर कोई भी राहुल गांधी, राहुल गांधी को चुनौती देने की भी हिम्मत नहीं रखता. अगर किसी राहुल गांधी ने राहुल गांधी को चुनौती देने की कोशिश की तो फिर उसे राहुल गांधी छोड़ेंगे नहीं. क्योंकि पार्टी में किसी और को राहुल गांधी बनने की इजाजत ही नहीं है.
राहुल गांधी की पार्टी में राहुल गांधियों की कमी नहीं है
डेढ़ साल पहले राहुल गांधी की बहन के ननदोई के भाई ने राहुल गांधी के खिलाफ राहुल गांधी बनने की चुनौती देने की कोशिश भर की थी, फिर क्या था राहुल गांधी को ये नागवार गुजरा, उन्होंने राहुल गांधी बनने का सपना देखने की हिमाकत करने वाले को निपटा दिया. अब आप ही सोचिए कि राहुल गांधी की पार्टी में कौन हिम्मत करे राहुल गांधी के खिलाफ राहुल गांधी बनने की. इस तरह राहुल गांधी की पार्टी में राहुल गांधी की ही 'राहुल गांधीगिरी' जारी रहेगी.
दरअसल ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि राहुल गांधी की पार्टी में राहुल गांधियों की कमी नहीं है. राहुल गांधी के तमाम भाषणों को सुनने पर अक्सर मन में ये खयाल आता है कि राहुल गांधी का भाषण भी किसी राहुल गांधी ने ही लिखा है. राहुल गांधी जिस आईडिया पर काम करते हैं वो आईडिया भी किसी राहुल गांधी का ही रहता है. चाहे अलग-अलग भाषण में एक ही मामले पर अलग-अलग आंकड़े देना हो, या फिर राहुल गांधी को राहुल गांधी की जगह राहुल जनेउधारी गांधी बनाना हो, सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगना हो और फिर माफी मांगने वाली बात को ही दोहराना हो, ये सब सिर्फ राहुल गांधी ही कर सकते हैं. और कोई राहुल गांधी ही करवा सकता है.
अब सबसे बड़ा सवाल है कि राहुल गांधी की उम्र 50 साल से अधिक हो चली है, ऐसे में क्या राहुल गांधी में अब राजीव गांधी बनने की क्षमता बची है. लेकिन राहुल गांधी के पार्टी के कई राहुल गांधियों का ये कहना है कि एक 'गूंगी गुड़िया' जब 'आयरन लेडी' बन सकती है तो फिर राहुल गांधी राजीव गांधी क्यों नहीं बन सकते. लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि एक 'गूंगी गुड़िया' मात्र 5 साल में 'आयरन लेडी' बन गई थीं, लेकिन राहुल गांधी 20 साल से सक्रिय राजनीति में हैं पर उनमें 'आयरन मैन' बनने की खूबियां दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहीं.
जब किसी के साथ बहुत बुरा हो रहा हो तो कहते हैं कि सबका मालिक भगवान है, सब उन्हीं के भरोसे है. अब भगवान ही उसका भला करेगा. लेकिन राहुल गांधी की पार्टी के राहुल गांधियों ने राहुल गांधी के मामले में ये भी नहीं रहने दिया, क्योंकि राहुल गांधियों ने राहुल गांधी को ही 'भगवान' बना दिया है. ऐसे से में राहुल गांधी की पार्टी राहुल गांधी के भरोसे ही रहेगी और उनकी 'राहुल गांधीगिरी' जारी रहेगी. और राहुल गांधी जब तक 'राहुल गांधीगिरी' करते रहेंगे तब तक राहुल गांधी की पार्टी का हाल राहुल गांधी जैसा ही रहेगा.
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