पीएम मोदी की दाढ़ी पर बयान देने वाले रजा BJP से हैं, इन्होंने जो कहा वही परम सत्य है!
योगी के मंत्री कह रहे हैं कि मोदी दाढ़ी रखते हैं अतः वो मुस्लिम विरोधी नहीं हैं. इसके बाद तो वाकई कुछ बचता नहीं है. मंत्री जी ने कहा है तो इस पर शक करना अपराध और इसका परम सत्य होना लाजमी है.
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एक कहावत है तू डाल-डाल तो मैं पात-पात. एक अन्य कहावत है तू सेर तो मैं सवा सेर. इन दोनों ही कहावतों पर अगर नजर दौडाएं तो मिलेगा कि इनमें साहित्य, हास्य, व्यंग्य और कटाक्ष सब कुछ है. कहना गलत नहीं है ये कहावतें अपने में सम्पूर्ण हैं. न इनके पहले कुछ था. न इनके बाद कुछ होगा. अब इन कहावतों को उत्तर प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार के दो बड़े नेताओं, उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा और हज - वक्फ विभाग में राज्य मंत्री मोहसिन रजा के सन्दर्भ में रखकर देखिये.
पीएम मोदी पर बयान के बाद लाजमी था कि मोहसिन रजा की आलोचना हो
सीता माता पर बयान देकर और उन्हें विश्व का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी बताकर दिनेश शर्मा को डाल-डाल हुए ज्यादा वक़्त नहीं बीता है. अभी लोग डॉक्टर शर्मा के इस बयान पर ढंग से रिसर्च भी नहीं कर पाए थे कि बयानवीरों की सूचि में एक नया नाम जुड़ा है. ये नाम है उत्तर प्रदेश के हज और वक्फ विभाग में राज्य मंत्री मोहसिन रजा का. रजा ने प्रधानमंत्री और उनकी दाढ़ी पर बयान देकर डॉक्टर शर्मा से साफ कह दिया है कि अगर वो सेर हैं तो ये भी बयानबाजी में सवा सेर से कम नहीं हैं.
इससे पहले कि हमारे दिमाग में चंद सवाल आएं और हम मारे झुंझलाहट में ये कहें कि आखिर ऐसा कैसे कर लेते हैं ये लोग? तो हमारे लिए ये जानना जरूरी है कि आखिर मामला क्या है. उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा का मानना है कि पीएम मोदी सभी वर्गों को एक नजर से देखते हैं. वो किसी एक समुदाय या वर्ग के नहीं बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं. यहां तक तो बात ठीक थी मगर इसके बाद जिस तरह रजा की जुबान फिसली कहना गलत नहीं है कि इससे पार्टी बड़ी मुसीबत में फंस सकती हैं.
राजधानी लखनऊ के सरोजनीनगर स्थित मौलाना अली मियां मेमोरियल हज हाउस में शुरू हुए एक कैंप में उन्होंने उस वक़्त लोगों जो हैरत में डाल दिया जब उन्होंने ये कहा कि अगर पीएम मोदी को मुस्लिमों से नफरत होती तो वह 'दाढ़ी' नहीं रखते. अब रजा को ये दिव्य ज्ञान कहां से मिला इसके बारे में रजा जानें मगर जो उनका अंदाज है वो साफ बता रहा है कि वो भी वहीं कर रहे हैं जो पार्टी के नेता लगातार करते आ रहे हैं. मगर रजा के अंदाज को देखें तो मिलता है कि वो दूसरे नेताओं के मुकाबले समझदार थे. उन्होंने बहती गंगा में हाथ नहीं धोए बल्कि उसमें छलांग लगाई.
शायद पीएम मोदी भी सोचते हों कि ऐसे बयानवीर उन्हें मिले कैसे
एक ऐसे वक़्त में जब बीजेपी के नेता किसी झरने की तरह हो गए हैं और उनमें ज्ञान निकलने के बजाए ओवर फ्लो हो रहा है तो हम भी मोहसिन रजा की बात को मान लेते हैं. हम इस मामले में मोहसिन रजा का बिल्कुल भी विरोध नहीं करेंगे और यही कहेंगे कि मोदी दाढ़ी रखते हैं अतः वो मुस्लिम विरोधी नहीं हैं. अगर कल रजा ये कहते कि मोदी नेहरू जैकेट पहनते हैं तो हम ये भी मान लेते कि साक्षात नेहरू हमारे सामने खड़े हैं.
बाक़ी इसमें गलती रजा या इनके जैसे किसी भी व्यक्ति की बिल्कुल भी नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन बयानवीरों को बयान देने योग्य हम लोगों ने ही बनाया है. हमने ही इन्हें वोट दिया था. हम वही काट रहे हैं जो हमने बोया है. अगर हमने गेहूं बोया होता तो हमें गेहूं मिलता. जब हमने खुद जौ के बीज डाले थे तो जो फूट रहा है वो जौ ही है.
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