त्वाडा कुत्ता टॉमी, साडा कुत्ता कुत्ता: 2021 में कुत्तों को उचित सम्मान मिल ही गया!
सोशल मीडिया पर कब कोई चीज वायरल हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. अब शहनाज गिल (Shehnaz Gill) को ही देख लीजिये यूं तो त्वाडा कुत्ता टॉमी, साडा कुत्ता कुत्ता (Twada Kutta Tommy Sadda Kutta Kutta) बिग बॉस (Big Boss) का सिर्फ एक डायलॉग था, लेकिन अब नामी हस्तियां इसके म्यूजिकल वर्जन पर मटक रही हैं.
-
Total Shares
साल 1975. सलीम जावेद की फ़िल्म थी डायरेक्टर थे रमेश सिप्पी फ़िल्म का नाम था शोले. फ़िल्म सुपर डुपर हिट हुई. यूं तो फ़िल्म में धन्नो (हां बसंती की घोड़ी के हिस्से में भी डायलॉग आए थे) से लेकर गब्बर और सम्भा तक जिस जिस के हिस्से में डायलॉग आए बेमिसाल थे, कमाल थे, लाजवाब थे यूं तो इस फ़िल्म में सब एक से बढ़कर एक चीजें थीं मगर कुछ चीजें ऐसी भी थीं जिन्होंने इंसानों की तो नहीं हां मगर कुत्तों की भावना जरूर आहत की. याद है न जब गब्बर से मुखातिब होते हुए जय और बसंती की अध्यक्षता में वीरू ने गब्बर से कुत्ते कमीने और खून पीने वाली बात की थी. वो दिन है आज का दिन है कुत्तों की फ़िल्म में एंट्री तो खूब हुई लेकिन उन्हें कभी उचित सम्मान नहीं मिला. जैसा कि कहा गया है हर शाम के बाद सवेरा होता है कुत्तों के भी अच्छे दिन लौटे और ये सब हुआ बिग बॉस कंटेस्टेंट 'शहनाज़ गिल' (Shehnaz Gill) की बदौलत. कुत्तों को लेकर जैसे इन दिनों के हालात हैं उन्हें उचित सम्मान मिला है और भरपूर मिला. 'क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या सेलिब्रिटी, क्या आम आदमी देश से लेकर विदेशों तक त्वाडा कुत्ता टॉमी, साडा कुत्ता कुत्ता` (Twada Kutta Tommy Sadda Kutta Kutta) की धूम है. मामला ट्रेंडिंग है और जैसा सोशल मीडिया का दस्तूर है जो ट्रेंड फॉलो नहीं करता वो या तो असभ्य है या फिर उसे वर्तमान दुनिया में रहने का कोई अधिकार नहीं है.
शहनाज गिल के डायलॉग त्वाडा कुत्ता टॉमी, साडा कुत्ता कुत्तापर डांस करते क्रिकेटर शिखर धवन
होने को तो 'त्वाडा कुत्ता टॉमी, साडा कुत्ता कुत्ता' महज एक डायलॉग था और बहुत स्पॉनटेनियस था. जिसे बिग बॉस के दौरान उस वक़्त बोला गया जब सिद्धार्थ शुक्ला को लेकर शहनाज़ एक बहस में इन्वॉल्व थीं. बाकी जैसा इस डायलॉग को लोगों द्वारा हाथों हाथ लिया जा रहा है शहनाज़ ने शायद ही कभी ये सोचा हो कि उनकी कही बात दुनिया की बात बन जाएगी.
अब जबकि हर तरफ इसके उसके कुत्ते और टॉमी का जिक्र हो रहा है ये सिद्ध जो जाता है कि सोशल मीडिया जितना दिल फरेब है उससे कहीं ज्यादा दिलकश भी है. नहीं मतलब खुद सोचिये कि चाहे वो क्रिकेटर शिखर धवन हों या फिर अंकिता हसनंदानी और मोनालिसा जिस तरह लोग कुत्तों का जिक्र करते हुए अपनी कमर मटका रहे हैं, एक से एक मूव्स दिखा रहे हैं.
View this post on Instagram
त्वाडा कुत्ता टॉमी, साडा कुत्ता कुत्ता' पर अलग अलग वायरल वीडियो देखकर हैरत तो होती ही है साथ ही इस बात का यकीन भी हो जाता है कि कुछ हजार लाइक्स और कमेंट्स के अलावा शेयर्स पाने की लालच के लिए आज का आदमी हर वो चीज करेगा जो भले ही बेवकूफी हो लेकिन पॉपुलैरिटी और पहचान जो न कराए कम है.
View this post on Instagram
बात बेवकूफी की हुई है तो हमारे लिए भी जरूरी हो जाता है कि हम बीते दिनों हुई इसी तरह की एक बेवकूफी का जिक्र करें. अभी कुछ दिन पहले एक बेवकूफी अगर आप फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर होंगे तो समझ ही गए होंगे कि हमारा भी इशारा उसी सवाल 'रसोड़े में कौन था?' की तरफ है जिसने पूरे देश को हिला के रख दिया था. जिसे देखो वही एक दूसरे से सवाल करता कि ''रसोड़े में कौन था?'
View this post on Instagram
ध्यान रहे कि बरसों पहले स्टार प्लस पर एक सीरियल आता था नाम था साथ निभाना साथिया डायलॉग उसी का था लेकिन म्यूजिक कंपोजर यशराज मुखाते ने इसे एक अलग ही पहचान दी और आम लोगों के साथ बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ राजकुमार राव, सान्या मल्होत्रा और कार्तिक आर्यन के अलावा संबित पात्रा और स्मृति ईरानी ने भी इस वीडियो की चर्चा की. वीडियो खूब चला और लोगों ने इसपर ऐसे ऐसे स्पूफ बनाए, जिन्हें कहीं से भी रचनात्मकता की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा.
View this post on Instagram
बहराहल अभी मुद्दा ये नहीं है कि रसोड़े में कौन था? बल्कि फ़िलहाल मुद्दा है कि त्वाडा कुत्ता टॉमी, साडा कुत्ता कुत्ता. सच में अब इसे नाइंसाफी ही कहा जाएगा कि कोई अपने कुत्ते को टॉमी कहे जबकि दूसरे का कुत्ता उसकी नजर में एक अदना और मामूली सा कुत्ता हो. वाक़ई बात सीरियस है और ये इतनी सीरियस है कि अकड़ के बैठने वाले लोग भी सिकुड़ कर बैठ जाएं.
खैर चाहे कुत्ता टॉमी हो या फिर साधारण कुत्ता सहनाज और सोशल मीडिया की बदौलत कुत्तों में नवचेतना का संचार हुआ है. वो मेहनतकश कुत्ते जो कल तक पहचान के मोहताज थे आज सेलिब्रिटी और हाई प्रोफाइल लोगों की बदौलत स्टार बन गए हैं. कह सकते हैं कि सम्मान का वो सफर अब 2021 में ख़त्म हो चुका है जिसकी शुरुआत 1975 में धर्मेंद्र ने गब्बर सिंह के सामने की थी.
ये भी पढ़ें -
दुनिया का सबसे बड़ा फ्रॉड है 31 दिसंबर को New Year Resolutions बनाना
रगों में दौड़ रहे जातिवाद को गाड़ियों से मिटाकर कितना हांसिल होगा?
यूरिया वाला दूध पीने, इंजेक्शन वाली सब्जी खाने वाले मसाले में 'गधे की लीद' पर क्या बात करें!
आपकी राय