व्यंग्य: केजरीवाल को अन्ना हजारे का खुला खत
गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे अपनी बात रखने के लिए जब तब पत्र लिखा करते हैं. इस बार अन्ना ने अपने पुराने सहयोगी अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है.
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गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे अपनी बात रखने के लिए जब तब पत्र लिखा करते हैं. इस बार उन्होंने अपने पुराने सहयोगी और दूसरी बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने जा रहे अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है. इससे पहले अन्ना पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को भी पत्र लिख चुके हैं. अन्ना का ताजातरीन पत्र इस प्रकार है-
प्रिय अरविंद,हमारी बातचीत भले ही बंद हो, पर मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहा है. मैं जानता हूं मैं न भी देना चाहूं तब भी तुम मेरा आशीर्वाद ले ही लोगे. तुम्हें जो भी लगता है कि वो तुम्हारी चीज है उसे हासिल करना तो तुम्हारी पुरानी फितरत है – और शायद यही तुम्हारी कामयाबी का राज भी है.सबसे पहले तो तुम्हें जीत की खूब सारी बधाई. बधाई तो मुझे देना ही था. तुमको नहीं देता तो किरन को देता. किरन की किस्मत ने साथ नहीं दिया. और वैसे भी किसी नसीबवाले के चलते पेट्रोल के दाम भले ही कम हो जाएं – लोगों को झांसा देकर लंबे समय तक चुनावों में जीत थोड़े ही हासिल की जा सकती है. खैर कोई बात नहीं किरन अपने पुराने काम धाम में फिर से लग जाएगी. बीजेपी भले हार जाती लेकिन उसे जीतना चाहिए था. कम से कम विधानसभा में तुम दोनों की बहस तो सुनने को मिलती. सचमुच बहुत आनंद आता. लेकिन ऐसा हो न सका. बहुत अच्छा लगा दिल्ली चुनाव में जीत के बाद तुमने अहंकार की बात की. तुमने इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस की मिसाल दी – और उनका जो हश्र हुआ उसका जिक्र किया. ये बहुत अच्छी बात है. लेकिन तुम जरा अपने पर भी इसे अप्लाई करना. तुम खुद भी कई बार अहंकार की आगोश में आ चुके हो और उसके शिकार भी हुए हो. सबसे अच्छी बात ये है कि तुम अपनी गलतियों से सीखे और उसमें सुधार किये. आगे भी अपना ख्याल रखना.अपनी 49 दिन की सरकार के लिए तुमने माफी इतनी बार मांग ली कि लोगों ने तुम्हे माफ कर दिया. अब पांच साल केजरीवाल बने रहना. ये मेरी हार्दिक इच्छा है. मेरी सलाह है कि इस बार तुम सिक्योरिटी ले लेना. तुम अब पहले से बड़ा बंगला भी ले सकते हो. जिस हिसाब से तुम्हें बहुमत मिली है – बंगले का साइज भी उसी हिसाब से देखना होगा. अब नीली बत्ती लगाकर चलने में भी कोई बुराई नहीं है. अब तुम्हें फिक्र करने की जरूरत नहीं है. विधानसभा में कोई तुमसे ये सवाल पूछने वाला बचा भी नहीं है. हां, जिस जनता ने तुम्हें वहां भेजा है उसे मत भूलना. वरना जनता माफ नहीं करेगी. ध्यान रहे.मुझे इसी बात का डर है. तुम भूल बहुत जल्दी जाते हो. भूलने की तुम्हारी इस आदत का सबसे बड़ा शिकार तो मैं ही हूं. तुम्हें तो शायद ये भी याद नहीं होगा कि तुमने अरुणा रॉय को भी भुला दिया. ऐसे कई नाम हैं जो इस फेहरिस्त में शामिल हैं जिन्हें अब भूल जाना ही बेहतर होगा. तुम यूज एंड थ्रो की फिलॉसफी में यकीन रखते हो मुझे पता है. इस बात की सबसे बड़ी मिसाल तो मैं खुद ही हूं. लेकिन अब ऐसा मत करना. प्लीज.तुमने कांग्रेस को सिफर और बीजेपी को महज तीन सीटें थमाकर बनारस की हार का बदला तो ले लिया है, लेकिन अब बहुत संभल कर चलना. मैं जानता हूं. या कहें कि तुम्हारे आसपास के सारे लोग जानते हैं कि तुम अपनी धुन के पक्के हो. अब इतने निरंकुश मत हो जाना कि दिल्ली गर्व के बजाए गर्त में पहुंच जाए. लोकतंत्र में विपक्ष की जरूरत होती है – लेकिन तुमने तो उन्हें भी सिमटा दिया – या कहें कि निपटा दिया. अब सोच समझ कर चलना.तुमने संगीता की तारीफ की. ये सुनकर मन बहुत खुश हुआ. तमाम शुभकामनाओं सहित,तुम्हारा [भूतपूर्व गुरु] किसन बापट बाबूराव हजारे उर्फ अन्ना हजारे
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