व्यंग्य: जब जमी बाबूलाल गौर के संस्मरणों की महफिल
बाबूलाल गौर के पास ढेरों संस्मरण हैं. विदेशों के उनके संस्मरण ज्यादा रोचक होते हैं. जनता की बेहद मांग पर बाबूलाल तैयार हो गए.
-
Total Shares
'कुछ हो जाए गुरुजी', योगा कैंप में चीफ गेस्ट बन कर पहुंचे बाबूलाल गौर से हर कोई कुछ सुनना चाहता था. माना जाता है कि बाबूलाल के पास ढेरों संस्मरण हैं. विदेशों के उनके संस्मरण ज्यादा रोचक होते हैं. जनता की बेहद मांग पर बाबूलाल तैयार हो गए.
फिर उन्होंने शर्त रखी. मीडिया के लोग बाहर चले जाएं तभी ऐसा मुमकिन है. फिर तय हुआ कि कैमरे बंद कर दिए जाएंगे - और सारी बातें ऑफ द रिकॉर्ड होंगी. संस्मरण सुनने को लेकर दो लोग सबसे ज्यादा उत्सुक थे. दोनों ही बाबूलाल को गुरुजी कह कर संबोधित कर रहे थे.
'अच्छा सुनो. मैं पहली बार थाइलैंड गया था. गजबे कंट्री है. बिलकुल आजाद. अरे, अपने देश में क्या आजादी है. कभी बैंकॉक जाकर देखो. तबीयत हरी हो जाती है. लेकिन हर कोई वहां टिक नहीं सकता. उसके लिए कलेजा चाहिए.'
'जी गुरुजी.' दोनों ने एक साथ हामी भरी.
'तुम क्या समझते हो राहुल गांधी थाइलैंड गए होंगे? मैं नहीं मानता. वो थाइलैंड जा ही नहीं सकते. अगर चले भी गए तो वो भाग खड़े होंगे.'
'क्यों गुरुजी?' दोनों में से एक ने सवाल जड़ दिया.
'क्यों क्या? वो जगह बच्चों के लिए थोड़े ही है. उसके लिए आपके पास अनुभव होना चाहिए. उन्हें क्या अनुभव है? क्या करेंगे वो वहां जाकर?'
'ऐसा क्या?'
'और क्या? अगर थाइलैंड कोई गया तो वो बस 56 दिन में ही लौट आएगा. लगता है आपको?
'जी'. एक ने बस इतना ही कहा.
'देखो मैं जो भी बोलता हूं, यूं ही नहीं बोल देता हूं. सब अनुभव की बात है. ये उम्र यूं ही नहीं गुजरी है. बड़े सारे अनुभव हैं मेरे पास.'
'तो गुरुजी वो रेप वाली बात भी... मतलब... '
'बिलकुल... '
बाबूलाल के मुंह से ये सुनते ही सब हैरान होकर एक टक देखने लगे. सभी के मन में एक जैसे ख्याल आ रहे थे. वैसे भी जिस तरह बाबूलाल ने रिएक्ट किया था, कोई सोच भी क्या सकता था.
'मतलब गुरुजी... आप?'
'हां, बोला ना. जब सब कुछ म्युचुअल हो तो उसमें गलत क्या है? अब कोई बाद में रेप का इल्जाम लगा दे तो उससे वो रेप सही मान लिया जाएगा? बताओ भला.' 'जी गुरुजी... आप बोल रहे हैं तो ठीक ही बोल रहे होंगे.'
'अच्छा तो गुरुजी?'
'हां, बोल... '
'गुरुजी, आपने ने उसे धोती... ' ये सुनते ही बाबूलाल का पारा चढ़ गया. गुस्से में उठ कर खड़े हो गए.
'चल भाग यहां से... ये कोई हंसी मजाक का दौर चल रहा है क्या? मैं सीरियली अपने एक्सपीरियंस शेयर कर रहा हूं... और तुम लोग मजे लेने लगे.
इसके साथ ही संस्मरणों का दौर भी खत्म हो गया. शायद फिर कभी महफिल जमे तो बाकी बातें हो पाएं.
आपकी राय