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Updated: 16 मार्च, 2019 12:03 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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चुनाव नजदीक है. क्या सत्ता पक्ष क्या विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तक सब तनाव में हैं और ऐसा ही देखने को मिला है कि इनका तनाव इनके चेहरे पर देखने को मिले. प्रायः ये लोग हंसते मुस्कुराते रहते हैं. वहीं दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो छोटी छोटी बात पर इतना लोड ले लेते हैं कि उनका तनाव उनके चेहरे पर दिखता है. परिस्थितियां कुछ भी हों न ये हंसते हैं न मुस्कुराते हैं इनके एक्सप्रेशन समान होते हैं. बात समझने के लिए हम कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का रुख कर सकते हैं.

 मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस, भाजपा, लोकपाल समिति, बहिष्कार    मल्लिकार्जुन खड़गे का शुमार उन चुनिंदा नेताओं में हैं जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश चीजों का विरोध करना है

पिछले कुछ समय से ऐसा देखने को मिला है कि मुद्दा होई भी हो खड़गे मुंह फुला लेतेहैं और किसी न किसी बात को आधार बनाकर चीजों का बॉयकॉट कर पूरी राजनीति का मजा किरकिरा कर देते है. आपको बताते चलें कि कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार को सातवीं बार पत्र लिखकर लोकपाल की सलेक्शन कमेटी में 'विशेष आमंत्रित सदस्य' के तौर पर शामिल होने का ऑफर ठुकरा दिया. सरकार ने मल्लिकार्जुन खड़गे को तब इसके लिए संपर्क किया था, जब हाल में सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल की नियुक्ति के लिए सलेक्शन कमेटी की बैठक के लिए सरकार को 10 दिन का वक्त दिया था.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि एक विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में लोकपाल के चयन में भागीदारी का कोई अधिकार नहीं होता.इसलिए हम यह ऑफर नहीं स्वीकार कर सकते, जिसमें इतने गंभीर मामले में विपक्ष को 'खामोश' रहना पड़े. ज्ञात हो कि लोकपाल की नियुक्ति वाले पैनल में बतौर नेता प्रतिपक्ष  के रूप में जगह न मिल पाना लम्बे समय से विवाद का विषय रहा है. खड़गे ने आरोप लगाया है कि सरकार पिछले पांच वर्षों से लोकपाल नियुक्ति न करने के बहाने चयन समिति की बैठक नहीं कर रही है.

आपको बताते चलें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 44 सीटें जीतने के कारण कांग्रेस को सदन में आधिकारिक रूप से नेता प्रतिपक्ष का पद भी नहीं मिला. क्योंकि कुल 543 में से दस प्रतिशत सीटें लाना इसके लिए जरूरी होता है. इसके चलते उन महत्वपूर्ण पैनल के गठन में तकनीकी समस्या पैदा हो गई, जिसके जरिए लोकपाल और सीबीआई के डायरेक्टर जैसे पदों पर नियुक्तियां होती हैं.

 मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस, भाजपा, लोकपाल समिति, बहिष्कार    8 वीं बार पीएम को पत्र लिखकर खड़गे ने लोकपाल समिति का बहिष्कार किया है

अतः जिस तरह से 8 वीं बार मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल समिति का बहिष्कार किया है साफ हो गया है कि यदि निकट भविष्य में इस देश में कोई बॉयकॉट मंत्रालय बनता है तो उसके प्रमुख पद के लिए अगर इस देश में कोई सबसे योग्य उम्मेदवार है तो वो और कोई नहीं बल्कि मल्लिकार्जुन खड़गे ही हैं. कह सकते हैं कि जहां एक तरफ खड़गे के पास तनाव वाला व्यक्तित्व है. तो वहीं इनके पास ये भी गुण है कि ये सीधे डिब्बे से भी घी निकालने के लिए अपनी अंगुली टेढ़ी कर सकते हैं.

ध्यान रहे मल्लिकार्जुन खड़गे का चीजों का बहिष्कार करने का फंडा कोई नया नहीं है. बात समझने के लिए हम अतीत की एक घटना को याद कर सकते हैं. बात फरवरी की है. सीबीआई निदेशक पद के लिए ऋषि कुमार शुक्ला का नाम आया. अच्छा भला सब चल रहा था तभी खड़गे आए और उन्होंने इस नियुक्ति पर असंतोष जाता दिया. बात जब भाजपा के शीर्ष नेताओं तक पहुंची तो उन्होंने खड़गे की तीखी आलोचना की. तब केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस नेता पर लगातार असहमति जताने का आरोप लगाया और उन्हें घेरने का प्रयास किया था.  इसी तरह जनवरी 2019 में खड़गे ने भारत रत्न पुरस्कारों पर सवालियां निशान लगाए थे और उसका विरोध किया था.

बहरहाल, चीजों के प्रति खड़गे का रुख देखकर कह सकते हैं कि उनकी हालात उस बुजुर्ग की तरह है जिसका काम हर चीज में न नुकुर करना और उसकी कमियां गिनाना है. खड़गे को समझना चाहिए कि हर चीज का विरोध सम्मान पाने का विकल्प नहीं है. सम्मान कमाया जाता है और जो वो कर रहे हैं उससे वो पूरे देश के सामने केवल और केवल हंसी का पात्र बन रहे हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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