मोदी सरकार के नियम लागू हुए तो पर्मानेंट ही बंद हो जाएंगे फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम
भला हो ट्विटर का जिसने लोगों को इस कठिन समय में ऑक्सीजन उपलब्ध कराई. वरना लोगों को तो व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर डाउन होने के बाद से सांस ही नहीं आ रही थी. वैसे ऑक्सीजन उपलब्ध कराने वाले ट्विटर का हाल भी इन दिनों डॉक्टर कफील खान जैसा ही हैं.
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कान में हेडफोन लगाए आराम से जुबिन नौटियाल का नया वाला गाना सुन रहा था. इसी बीच ट्विटर का एक नोटिफिकेशन आया, जो किसी दोस्त ने किया था कि व्हाट्सएप बंद हो गया. इस बारे में खोज की तो पता कि कल रात 11 बजे भूकंप आया था. ये भूकंप (Earthquake) वो वाला नहीं था, जो आप समझ रहे हैं. ये भूकंप सोशल मीडिया पर आया था. व्हाट्सएप (Whatsapp) पर चैटिया (Chat) रहे लोगों के मैसेज अचानक से डिलीवर होना बंद हो गए. इंस्टाग्राम (Instagram) और फेसबुक मैसेंजर (Facebook Messenger) भी डाउन हो गए थे. असली वाले भूकंप के आने पर भी लोग इन्ही जगहों पर रिएक्ट करते हैं, तो इसे भूकंप ही कहना सही होगा. लोग इस भूकंप से सहमे हुए थे कि 2 मिनट के अंदर ट्विटर पर बाढ़ (Flood) आ गई. ये बाढ़ भी भूकंप की तरह ही थी, जो मीम्स (Meme) के रूप में आई थी. तकरीबन एक घंटे तक आए इस भूकंप और बाढ़ ने बहुत बड़े स्तर पर तबाही मचाई. इस दौरान बाबू-शोना टाइप वाले लोगों का ब्रेकअप होते-होते बच गया. दिनभर मेहनत कर वीडियो बनाने वाले इंस्टाग्राम के इनफ्लुएंसर उसे अपलोड नहीं कर सके. मतलब ऐसी-ऐसी दिक्कतों का सामना लोगों को करना पड़ा कि क्या ही बताया जाए.
लोगों ने ट्विटर पर 'तांडव' मचा दिया. लोगों के ऐसे रिएक्शन थे, जैसे इन एप्स के डाउन होने से उनको सांस ही ना आ रही हो. वैसे शुक्र मनाइए कि अभी फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम वगैरह कुछ देर के लिए ही बंद होता है. मोदी सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं. अगर उनका कायदे से पालन कर लिया गया, तो हो सकता है कि आने वाले समय में आपको कोई और व्यवस्था खोजनी पड़ जाए. मतलब मोदी सरकार ने इनसे वो सब करने को कह दिया, जो इन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा. बच्चों पर जैसे घरवालों से ज्यादा पड़ोस वालों की नजर रहती है, वैसा ही कुछ हाल इन एप्स का आने वाले समय में होने की संभावना लग रही है.
ऑक्सीजन उपलब्ध कराने वाले ट्विटर का हाल भी इन दिनों डॉक्टर कफील खान जैसा ही हैं.
इन एप्स के डाउन होने के बाद लोगों ने दर्जनों बार अपना इंटरनेट ऑन-ऑफ किया. लेकिन, उन्हें पता ही नहीं चल पाया कि समस्या कोई और थी. लोगों ने भर-भर के इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को गरियाया और दमभर गुस्सा निकाला. भला हो ट्विटर का जिसने लोगों को इस कठिन समय में ऑक्सीजन उपलब्ध कराई. वरना लोगों को तो व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर डाउन होने के बाद से सांस ही नहीं आ रही थी. वैसे ऑक्सीजन उपलब्ध कराने वाले ट्विटर का हाल भी इन दिनों डॉक्टर कफील खान जैसा ही हैं. इस मुश्किल एक घंटे में जब कहीं से कोई मदद की गुंजाइश नहीं थी, तब ट्विटर ने खुद को फिल्म 'हासिल' का रणविजय सिंह साबित करते हुए 'हम शिव जी के भक्त हैं और सारा जहर हमें ही पीना है' वाला डायलॉग मारकर मीम्स की बाढ़ को रोके रखा. ट्विटर ऐसा नहीं करता, तो करोड़ों लोगों के आंसुओं के सैलाब से ये आभासी दुनिया डूब जाने वाली थी.
लोगों का तो छोड़िए, क्योंकि दो-चार महीनों में एक बार ये सब चीजें होती ही रहती है. सबसे ज्यादा परेशानी तो बेचारे Whatsapp, Instagram और Facbook के इंप्लॉइज (बड़ी कंपनी है, इसलिए इंप्लॉइज लिखा है. सरकारी होती तो कर्मचारी से काम चल जाता) को हुई होगी. बेचारे बड़े अरमानों के साथ वीकेंड की प्लानिंग करते हुए जाम के दो घूंटों से गला तर कर चुके होंगे कि अचानक से मार्क जुकरबर्ग (तीनों कंपनियों के सर्वेसर्वा यही हैं) का 'गाइज...इट्स वैरी अर्जेंट' वाला मैसेज आ गया होगा. मरता क्या न करता, लैपटॉप उठाकर जुट गए होंगे. मुझे लगता है कि ये लोग साल के 365 दिनों में से ऐसे ही कुछ दिन काम करते होंगे. वैसे भी कोडिंग (Coading) तो आजकल भारत में बच्चे भी कर ले रहे हैं. आने वाले समय में कंपटीशन ना मिले, इसलिए थोड़ी-बहुत मेहनत ये लोग कर ही लेते होंगे.
व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर के डाउन होने के बाद ट्विटर भी मिर्जापुर वाले गुड्डू भैया की तरह फुल इज्जत मांगता दिख रहा था. इन एप्स के डाउन होने के बाद लोग सीधे ट्विटर की ओर ही रुख करते हैं, तो इतना हक तो बनता ही है. ट्विटर ट्रेंडिंग में ऐसी जानकारियां सबसे पहले उपलब्ध होती हैं. वजह ये है कि लोग कुछ करने जाते हैं, तो उसके बारे में ट्वीट, फेसबुक पर पोस्ट, व्हाट्सएप पर स्टेटस या इंस्टग्राम पर स्टोरी अपडेट जरूर करते हैं. अभी जब कुछ दिनों पहले असली वाला भूकंप आया था, तब भी लोग अपनी जान बचाने से पहले ये पोस्ट कर रहे थे कि 'मैसिव अर्थक्वैक'.
लोग सोशल मीडिया की आभासी दुनिया में बुरी तरह से फंस चुके हैं. उन्हें समझ ही नहीं आता है कि इस आभासी दुनिया के बाहर भी एक असली दुनिया है. आप जो सांस ले रहे हैं, वो सोशल मीडिया से नहीं घर के पास लगे पेड़ की वजह से मिल रही है. तो मितरों, जब कभी ये सोशल मीडिया एप्स बंद हों तो घबराएं नहीं. आराम से गहरी सांस लें और फोन साइड रख दें. ट्विटर पर बमचिक (बवाल) मत काटें. खुद भी चैन से सोएं और दूसरों को भी सोने दें.
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