महुआ के लुई वितां बैग 'छुपाने' से लेकर काकोली के कच्चे बैंगन खाने तक, TMC का महंगाई पर विरोधाभास!
चाहे वो महुआ मोइत्रा हों या फिर काकोली घोष दस्तीदार. एक ही पार्टी के दो सांसदों के थॉट प्रोसेस में गहरा विरोधाभास है. मतलब इससे बड़ा धोखा क्या ही होगा कि संसद में एक तरफ महंगाई पर काकोली घोष अपने ज्ञान के छींटे डाल रही हों और महुआ अपने 1.6 लाख के बैग की नुमाइश कर दें. ऐसे थोड़ी ही न गरीब और उनकी गुरबत के अलावा महंगाई पर बात हो पाएगी.
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करने को यूं तो हमारे पास कई चीजें हैं, मगर दुनिया में सबसे आसान काम 'चर्चा' करना है. चर्चाएं आसान इसलिए भी हैं क्योंकि इसमें मेहनत नहीं लगती और करने के नाम पर बस मुंह चलाना होता है. चर्चा की ये खूबसूरती है कि गर्म चाय को सुड़कते हुए, ज़ूम कॉल करते हुए, कमोड पर बैठ या फिर गर्म मुलायम बिस्तर पर लेटे हुए दुनिया के किसी भी मुद्दे पर घंटों चर्चा की जा सकती है. अगर आदमी अमीर है तो फिर कहने ही क्या. ऐसी अवस्था में वो सिर्फ चर्चा नहीं करता अपने एक्सपर्ट ओपिनियन भी देता है. जिक्र अमीरों द्वारा की गयी चर्चा का हुआ है तो चर्चा की अवस्था कैसे विरोधाभास की जनक बनती है हम संसद से समझ सकते हैं. सदन में नियम 193 के तहत महंगाई पर हुई. चर्चा में तृणमूल कांग्रेस की तरफ से काकोली घोष दस्तीदार और महुआ मोइत्रा ने भी हिस्सा लिया और वो कर दिया जो काली किताब में लेमन येलो कलर से दर्ज हो गया. असल में जब तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने इमोशनल होकर महंगाई पर अपने मन की बात रखनी शुरू की ठीक उसी वक़्त उनके बगल में बैठी महुआ मोइत्रा अपना बैग टेबल के नीचे अपने पैरों के पास ले जाते हुए नजर आईं. तस्वीरों को कैमरे ने कैद कर लिया और बाद में जब पड़ताल हुई, तो पता चला कि जिस हैण्ड बैग को महुआ ने छिपाने की नाकाम कोशिश की. वो कोई छोटे मोटे ब्रांड का बैग नहीं बल्कि LV यानी लुई वितां का बैग था.
हाल फिलहाल में जो कुछ भी संसद में हुआ क्या तृणमूल के लोग वाक़ई आम जनता के लिए गंभीर हैं?
जो जानते हैं उन्हें तो पता होगा ही. मगर वो लोग जिन्होंने LV का आईडिया नहीं है. समझ लें कि बैग 5 या 10 हजार का न होकर पूरे 1.6 लाख का है. हां बिलकुल सही सुना आपने लख टकिया बैग!! खुद सोचिये चाहे वो महुआ मोइत्रा हों या फिर काकोली घोष दस्तीदार. एक ही पार्टी के दो सांसदों के थॉट प्रोसेस में कितना बड़ा विरोधाभास है.मतलब इससे बड़ा धोखा क्या ही होगा कि एक तरफ महंगाई पर चर्चा चल रही है. अपना ही आदमी भावुक होकर महंगाई पर ज्ञान की छींटे मार रहा है और फिर वो हो जाए जो सोच और कल्पना दोनों से ही परे हो.
As the issue of "mehengai" is raised, somebody's Louis Vuitton bag quickly slides under the bench. pic.twitter.com/Rtra8qsBEt
— Ajit Datta (@ajitdatta) August 1, 2022
अच्छा चूंकि दौर सोशल मीडिया का है. फ़ौरन ही महुआ का वीडियो वायरल हुआ और जनता ने भी अपनी चील दृष्टि का परिचय देते हुए बैग और महुआ की पूरी सर्जरी कर दी.
Also sneakily took a solo portrait of said famous bag while I was following her campaign trail in 2019. I’d promised to myself that I will not talk to her about her bag because of a principled stance against asking such questions to female leaders. pic.twitter.com/HE2M34HbSj
— Ishadrita Lahiri (@ishadrita) August 1, 2022
वीडियो के सन्दर्भ में जैसा सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का सिलसिला है. एक बड़ी आबादी है जिसका मानना है कि महुआ जैसे लोग एक सोची समझी रणनीति के तहत गरीब और उसकी ग़ुरबत का मजाक उड़ाते हैं और ये इनके द्वारा समय समय पर किया जाता है.
Mehngai word bolte hai ekdam takk se bag andar thoons diya....Koi na, chalo kam se kam thodi bahut sharam baaki to hai.
— Sushil Kedia (@sushilkedia) August 1, 2022
कहने वाले तो कह सकते हैं कि एक बेवजह की बात को तूल दिया जा रहा है लेकिन बात फिर वही है जब अगला राजनीति में है तो उसे इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि देश की नजर तो उसपर है ही उससे जुडी बारीक से बारीक चीज मॉनिटर हो रही है. भले ही बैग उनके खुद के कमाए पैसों का हो लेकिन क्योंकि महुआ मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में हैं तो इस बैग का हैंडल उनके गले का फंदा बनेगा ही.
She was a successful investment banker, had a flourishing career in US, she can afford far costlier brand than Louis Vuitton. What's the point
— Kirti Azad (@kirtiazad) August 1, 2022
अच्छा हां जब बात मॉनिटर करने की आ ही गयी है तो अब से नेताओं के अलावा कुछ सब्जियां भी होंगी जिन्हें लोग मॉनिटर करेंगे. कल जब इतिहास लिखा जाएगा तो बैगन को भी याद किया जाएगा दरअसल अभी बीते दिन ही काकोली घोष दस्तीदार का एक रूप वो भी दिखा जहां उन्होंने न केवल कच्चे बैगन के साथ संसद में प्रवेश किया बल्कि बैगन को दांतों से चीरते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोगों को यह आदत डलवाना चाहती है कि वे चीजों को पकाकर नहीं, बल्कि कच्चा ही खाएं.
#ParliamentMonsoonSession I During the discussion over price increases in the Lok Sabha, TMC member Kakoli Ghosh Dastidar on Monday bit into a raw brinjal . @NewIndianXpress @santwana99Video courtesy - Sansad TV pic.twitter.com/Gv0OWdfIVy
— TheMorningStandard (@TheMornStandard) August 1, 2022
हर दूसरे दिन महंगे होते सिलेंडर पर अपनी राय रखते हुए काकोली घोष ने कहा कि ईंधन के दाम में आग लगी हुई है. कभी-कभी लगता है कि क्या यह सरकार हमें कच्चा खाने की आदत डलवाना चाहती है? संसद में बैगन की तरफ इशारा करते हुए काकोली ने कहा कि मैं कहती हूं, यह सब्जी मैं कच्चा खा जाती हूं क्योंकि ईंधन नहीं मिलता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ महीनों में एलपीजी सिलेंडर के दाम चार बार बढ़े हैं.’’
कच्चा बैगन खाकर जोश से लबरेज काकोली ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी घेरा. बिना स्मृति का नाम लिए काकोली ने कहा कि एक मंत्री विपक्ष में थीं तो उन्होंने सिलेंडर लेकर बहुत शोर-शराबा किया था. अब उन मंत्री जी की क्या राय है जब महिलाओं के पास सिलेंडर के पास पैसे नहीं है.
काकोली के बैगन को कच्चा चबा जानेका टैलेंट सरकार समझती है या नहीं और गैस सिलेंडर के दाम कम होते हैं या नहीं इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन हम काकोली से इतना जरूर कहेंगे कि जिस देश में लोग पका हुआ बैगन खाने में नाक भौं सिकोड़ते हैं वहां अगर कोई बैगन को देशहित में कच्चा ही खा जा रहा है तो ऐसा इंसान, इंसान न होकर कोई संत महात्मा ही है,
खैर एक तरफ LV का लखटकिया बैग है. एक तरफ बैगन और इन्हें पेश करती एक ही पार्टी की दो अलग अलग सांसद. कह सकते हैं कि आम जनता को रिझाने के लिए तृणमूल कांग्रेस की तरफ से स्क्रिप्ट तो सही लिखी गयी थी. बस टाइमिंग गड़बड़ हो गयी और थोड़ा विरोधाभास देखने को मिल गया. बाकी गरीबों का क्या है? वो अब महंगाई, सिलेंडर, भूख से एक लेवल ऊपर आ गए हैं और सच यही है कि उन्हें अब इस चीज का कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता .
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