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Updated: 13 नवम्बर, 2016 11:41 AM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
  @ashok.upadhyay.12
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मैं पूरे परिवार के साथ छठ मनाने पटना गया था. 8 नवंबर को पटना से वापस दिल्ली लौट रहा था. हमारा रिजर्वेशन AC-II में था पर मैं अपने कुछ जान पहचान के लोगों के साथ AC -I में बैठ के बात कर रहा था. रात के आठ या साढ़े आठ का समय रहा होगा. तभी ये खबर मिली की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित कर ऐलान किया है कि 500 और 1000 रुपए के नोटों का लेनदेन आज आधी रात से बंद हो जाएगा. पहले तो खबर पर विश्वास नहीं हुआ. लेकिन जब दो-तीन न्यूज़ वेबसाइट्स पर देखा की इस न्यूज़ को प्रमुख स्थान दिया गया है तो यकीन करना पड़ा.

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 सांकेतिक फोटो

सूचना क्रांति के इस युग में ये खबर ट्रेन में आग के जैसी फ़ैल गई. मैं जब अपने सीट पर पहुंचा तो मेरे छोटे बेटे ने पूछा की आपको पता है कि 500 और 1000 रुपए के नोटों को बैन कर दिया गया है? मैंने कहा हाँ. हर कोई इसी बारे में बात कर रहा था. हर किसी की अपनी चिंता और परेशानी थी. मैं ये सोच के परेशान था की मेरे पास घर से स्टेशन जाने के लिए भी पैसे नहीं थे. अपने पत्नी से पूछा तो उसने कहा की उसकी दीदी ने उसको सौ-सौ के दस नोट दिए हैं . ये सुन के कुछ चैन मिला. पर यह सोच के परेशान हो रहा था कि अगले दो दिनों तक ATM से पैसे नहीं निकल पाउँगा तो कैसे काम चलेगा.

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सुबह जब ट्रेन दिल्ली पहुँचने वाली थी तो परमपरा के अनुसार वेटर लोगों से बख्सिश इकठा करने लगा. पर कोई भी उसको 10, 20, 50 या 100 रुपए का नोट देने को तैयार नहीं था. मेरी पत्नी ने उसको कुछ रुपए दिए तो उसके निराश चेहरे पर ख़ुशी की लहार आ गई. बोला मैडम एक तो कोई बखसीस हैं दे रहा है ऊपर से ये समझ में नहीं आ रहा है की मेरे पास जो 500 और 1000 रुपए के नोट पड़े हैं उनका क्या करूँगा? मेरी पत्नी ने उसको समझाया की घबराने की कोई जरुरत नहीं है. किसी भी पोस्टऑफिस या बैंक में उनको दे कर नया नोट ले सकते हो.

जब ट्रेन नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंची तो लोग बात कर रहे थे की दलाल 500 के नोट के बदले 100 - 100 के चार नोट दे रहें हैं. चूंकी, हमें इसकी जरुरत नहीं थी, इसलिए हमने मोल-मुलाई कर एक टैक्सी किराए पर ली. रास्ते में मेरी पत्नी ने थोड़ी झिझक के साथ ड्राइवर से पूछा, क्या आप 500  के नोट ले लेंगे? काफी मान मन्नवल के बाद वो तैयार हो गया. हमारे मन में एक ऐसा भाव आया की चलो एक नोट से तो जान छूटी. जैसे की वो या तो फेक करेंसी हो या ब्लैक मनी.

दिल्ली आने के बाद याद आया की गाड़ी में पट्रोल नहीं है. चूंकी पेट्रोल पंप  500 और 1000 रुपए के पुराने नोट ले रहे थे, तो सोचा की पेट्रोल भरवा के एक तीर से दो निशाने साध लें. दो बार पेट्रोल पंप पर गया, पर जबरदस्त भीड़ देख के वापस आ गया. हिम्मत नहीं हुए की उस भीड़ में मिल के धक्का मुक्की करूँ. फिर दवा के दुकान पर गया. सवा सौ रुपए की दवा खरीदी. दुकानदार ने बाकी की रकम लेने में असमर्थता जताई. उसने एक स्लिप दी और कहा की या तो बाद में इससे दवा ले लें या कुछ दिन के बाद जब  बाजार में खुल्ले आ जाएँ तो ले लीजिएगा.

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 सांकेतिक फोटो

बेटे का मोबाइल ख़राब हो गया था. नोएडा के अट्टा मार्किट में रिपेयर के लिए गया तो पूरे मार्किट में सन्नाटा छाया हुआ था. जिस दुकान पर मैं गया वो बोला की 300 रुपए लगेंगे. उसका सर्त ये था की वो  500 और 1000 रुपए के नोट नहीं लेगा. मैंने 100 - 100  के नोट देने पर सहमति जताई तो उसने मोबाइल लेकर अपने मैकेनिक को दे दिया. मैं वहां बैठा हुआ था तो एक सज्जन आए, जो की दुकानदार के जानकर लग रहे थे, बोले मैंने 30 लाख पुराने नोटों को 25 - 30 % कमीशन पर बदल चुका हूं. मोबाइल वाले ने अपने भी एक लाख रुपए कुछ कम कमीशन पर बदलने को कहा. पर उसने इंकार कर दिया.

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फिर सब्जी बाजार गया. ढाई तीन सौ की सब्जी लेने के बाद मैंने सब्जी वाले को पाँच सौ का नोट दिया. उसने इसे लेने से साफ़ मना कर दिया. मैं बोला की या तो ये नोट लो या उधार दो. उसने नोट लेना बेहतर समझा. मुझे तो लगा की यह डबल बोनान्जा है. यानि 500 का नोट भी चल, गया और सौ-सौ के दो नोट भी मिल गए.

आज दिल्ली आए चार दिन हो गए हैं. बैंक और एटीएम पर भीड़ देखके वहां जाने की हिम्मत नहीं हो रही है. घर का काम जैसे-तैसे चल रहा है. पर औरों की तरह इस आशा में कष्ट झेल रहा हूँ की शीघ्र अच्छे दिन आ जाएंगे. अगर बहुत अच्छे नहीं तो कम से कम वो दिन ही सही जब अपनी इच्छा से जब चाहें जितना चाहें एटीएम से निकल लें.

लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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