हिंदुस्तान में क्लासिकल म्यूजिक और पॉप कल्चर, संगीत की दो ऐसी विधाएं हैं, जो दो जेनरेशन की कहानी बताने के साथ ही लोगों की पसंद को भी सामने रखती हैं. भारत की आत्मा में बसा शास्त्रीय संगीत और आजकल के यूथ की पसंद पॉप कल्चर के अंतर के बीच राजस्थान स्थित जोधपुर के एक संगीत घराने की कहानी है अमेजन प्राइम की नई वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स. एक्टिंग के बाद अब निर्देशक की भूमिका निभा रहे आनंद तिवारी की वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स कई मायनों में अलग है और इसका फोकस पूरी तरह संगीत, रियाज, अनुशासन, पारिवारिक परंपरा और आजकल के यूथ की जिंदगी पर है, जिसमें नसीरुद्दीन शाह, राजेश तेलांग, अतुल कुलकर्णी, ऋत्विक भौमिक, श्रेया चौधरी, शीबा चड्ढा, अमित मिस्त्री, कुणाल रॉय कपूर प्रमुख भूमिका में हैं. बंदिश बैंडिट्स आजकल बनने वाली वेब सीरीज से कुछ अलग है, जो वाकई हिंदुस्तान की शास्त्रीय विरासत के सामने खतरे के रूप में आए रिमिक्स और पॉप कल्चर की हकीकत दिखाती है. कहानी बिल्कुल ऐसी ही है कि तेज म्यूजिक वाले गाने भले आपको पार्टी या अन्य तड़क-भड़क के लिए ठीक लगते हों, लेकिन बात जब सुकून की आए तो वहां शास्त्रीय संगीत और स्लो म्यूजिक वाले गाने ही दिल को छूते हैं. इस पृष्ठभूमि के साथ ही बुजुर्ग और नौजवानों की पसंद-नापसंद को दिखाती वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स देखने लायक है, जो आपको टच करती है.
अमेजम प्राइम वीडियो पर रिलीज वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स के पहले सीजन में 10 एपिसोड्स हैं, जो करीब 40-40 मिनट के हैं. अमूमन वेब सीरीज में गाने नहीं होते हैं, लेकिन बंदिश बैंडिट्स की जान इसके गाने और संगीत हैं, जिसे मशहूर म्यूजिक कंपोजर शंकर-एहसान-लॉय की तिकड़ी ने तैयार किया है. राजस्थान और मुंबई में शूट इस वेब सीरीज में संगीत साधना की कहानी के साथ ही एक लव स्टोरी भी है, जिसमें ऋत्विक भौमिक और श्रेया चौधरी जोधपुर और मुंबई की दुनिया और पसंद की झलक दिखलाते हैं. बंदिश बैंडिट्स वेब सीरीज में संगीत सम्राट पंडित राधे मोहन राठौड़ के रूप में नसीरुद्दीन सिंह को देखना दर्शकों के लिए ट्रीट जैसा है....
हिंदुस्तान में क्लासिकल म्यूजिक और पॉप कल्चर, संगीत की दो ऐसी विधाएं हैं, जो दो जेनरेशन की कहानी बताने के साथ ही लोगों की पसंद को भी सामने रखती हैं. भारत की आत्मा में बसा शास्त्रीय संगीत और आजकल के यूथ की पसंद पॉप कल्चर के अंतर के बीच राजस्थान स्थित जोधपुर के एक संगीत घराने की कहानी है अमेजन प्राइम की नई वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स. एक्टिंग के बाद अब निर्देशक की भूमिका निभा रहे आनंद तिवारी की वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स कई मायनों में अलग है और इसका फोकस पूरी तरह संगीत, रियाज, अनुशासन, पारिवारिक परंपरा और आजकल के यूथ की जिंदगी पर है, जिसमें नसीरुद्दीन शाह, राजेश तेलांग, अतुल कुलकर्णी, ऋत्विक भौमिक, श्रेया चौधरी, शीबा चड्ढा, अमित मिस्त्री, कुणाल रॉय कपूर प्रमुख भूमिका में हैं. बंदिश बैंडिट्स आजकल बनने वाली वेब सीरीज से कुछ अलग है, जो वाकई हिंदुस्तान की शास्त्रीय विरासत के सामने खतरे के रूप में आए रिमिक्स और पॉप कल्चर की हकीकत दिखाती है. कहानी बिल्कुल ऐसी ही है कि तेज म्यूजिक वाले गाने भले आपको पार्टी या अन्य तड़क-भड़क के लिए ठीक लगते हों, लेकिन बात जब सुकून की आए तो वहां शास्त्रीय संगीत और स्लो म्यूजिक वाले गाने ही दिल को छूते हैं. इस पृष्ठभूमि के साथ ही बुजुर्ग और नौजवानों की पसंद-नापसंद को दिखाती वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स देखने लायक है, जो आपको टच करती है.
अमेजम प्राइम वीडियो पर रिलीज वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स के पहले सीजन में 10 एपिसोड्स हैं, जो करीब 40-40 मिनट के हैं. अमूमन वेब सीरीज में गाने नहीं होते हैं, लेकिन बंदिश बैंडिट्स की जान इसके गाने और संगीत हैं, जिसे मशहूर म्यूजिक कंपोजर शंकर-एहसान-लॉय की तिकड़ी ने तैयार किया है. राजस्थान और मुंबई में शूट इस वेब सीरीज में संगीत साधना की कहानी के साथ ही एक लव स्टोरी भी है, जिसमें ऋत्विक भौमिक और श्रेया चौधरी जोधपुर और मुंबई की दुनिया और पसंद की झलक दिखलाते हैं. बंदिश बैंडिट्स वेब सीरीज में संगीत सम्राट पंडित राधे मोहन राठौड़ के रूप में नसीरुद्दीन सिंह को देखना दर्शकों के लिए ट्रीट जैसा है. वहीं पंडित जी के बेटे के रूप में राजेश तेलांग, अतुल कुलकर्णी और अमित मिस्त्री जबरदस्त लगे हैं, जो पंडित जी की विरासत को आगे बढ़ाने और पारिवारिक अनुशासन का ध्यान रखते हुए पिता की उम्मीदों पर खड़ा उतरने की कोशिश करते हैं. वहीं पंडित जी की बहु के रूप में शीबा चड्डा एक संस्कारी नारी के रूप में दिखती हैं, जो परिवार का खयाल रखती है. ऋत्विक पंडित जी के पोते की भूमिका निभा रहे हैं, जिनके ऊपर परिवार की संगीत विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी और मजबूरी है.
बंदिश बैंडिट आखिरकार है क्या?
बंदिश बैंडिट जोधपुर के एक संगीत घराने की कहानी है, जिनमें शास्त्रीय गायन के बादशाह संगीत सम्राट पंडित राधे मोहन राठौड़ की शोहरत के साये में उनके 3 बेटे, बहु और पोते रहते हैं. पंडित जी का पोता राधे मोहन उनकी छत्रछाया में शास्त्रीय संगीत का रियाज करता है और एक काबिल शिष्य के रूप में पंडित जी की धरोहर को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी कंधे पर उठाये संगीत की दुनिया में नाम कमाना चाहता है. इसी बीच राधे की मुलाकात मुंबई की एक पॉप्युलर सिंगर तमन्ना शर्मा (श्रेया चौधरी) से होती है, जो एक गाने के सिलसिले में जोधपुर आई है. मुंबई की चकाचौंध और रॉक म्यूजिक के माहौल में पली-बढ़ी तमन्ना को राग और शास्त्रीय संगीत पुराने जमाने की बात लगती है. वहीं राधे को भी आजकल के रॉक म्यूजिक में कई खामियां दिखती हैं. तमन्ना और राधे अपनी-अपनी नापसंदों को खयाल रखते हुए एक-दूसरे के करीब जाते हैं और फिर तमन्ना के दिमाग में आता है कि क्यों न एक फ्यूजन एलबम बनाया जाए, जो शास्त्रीय संगीत और रॉक म्यूजिक का मिश्रण हो. राधे इस बात के लिए आसानी से नहीं मानता है, क्योंकि उसके दादा पंडित जी को आजकल के रॉक और रिमिक्स म्यूजिक से बहुत नफरत है और वो अपनी फैमिली के हर सदस्य से, खासकर राधे से उम्मीद करते हैं कि वह शास्त्रीय गायन में ही दक्ष हो.
तमन्ना के प्यार के वश में राधे खुद को रोक नहीं पाता है और मास्क लाकर तमन्ना के साथ म्यूजिक एलबम में काम कर लेता है. तमन्ना और राधे की एलबम हिट हो जाती है और लोग मास्क मैन को दुनिया के सामने देखना चाहते हैं. इसके बाद कहानी में मोड़ आता है और राधे की सच्चाई जानकर पंडित जी का दिल टूट जाता है. बिगड़ते रिश्तों के बीच राधे और तमन्ना का रिश्ता भी प्रभावित होता है. इन सबके बीच पंडित जी के परिवार में भी विरासत पर कब्जा पाने का द्वंद चलता है और अतुल कुलकर्णी खुद को ज्यादा काबिल बताते हैं, जिससे परिवार में भी द्वेष दिखता है. कर्ज में दबा पंडित जी का परिवार कैसे अपनी दुनिया जी रहा है, यह देखना दिलचस्प है. बंदिश बैंडिट्स में शीबा चड्ढ़ा भी एक संस्कारी बहु के रूप में दर्शकों पर जबरदस्त छाप छोड़ती हैं. वहीं तमन्ना के म्यूजिक प्रोड्यूसर के रूप में कुणाल रॉय कपूर को देखकर दुनिया हैरान हो जाएगी कि कॉमेडी अवतार वाले कुणाल ऐसी भूमिका भी निभा सकते हैं. ऐसे कई किरदार हैं, जो बंदिश बैंडिट्स की कहानी तो जोड़े रखते हैं और इसमें अपनी अलग छाप छोड़ते रहते हैं, चाहे वह राधे का दोस्त हो या अन्य. बंदिश बैंडिट्स के पहले सीजन में इतने उतार-चढ़ाव दिखते हैं कि दर्शकों का मन नहीं भरता. ऐसे में बंदिश बैंडिट सीजन 2 की प्रबल संभावना है.
इस वेब सीरीज में कुछ खास है
बंदिश बैंडिट्स आजकल बनने वाली ज्यादातर क्राइम, सस्पेंस और थ्रिलर वेब सीरीज से अलग है. इसमें भारतीय संगीत की आत्मा यानी शास्त्रीय संगीत की गहराई दिखती है. संगीत के क्षेत्र में अतीत और वर्तमान का द्वंद दिखता है और साथ ही दिखती है गिटार और तानपूरे के बीच की दुनिया, जिसमें बुजुर्गों और नौजवानों की पसंद बसी है. एक शास्त्रीय संगीत घराने का लड़का कैसे तानपूरे और गिटार की दुनिया में खोता है और उसके ऊपर किस तरह अपने परिवार और प्रेयसी का प्रभाव पड़ता है, सिर्फ यही कहानी नहीं है बंदिश बैंडिट की, बल्कि इसमें कई मायनों में हिंदुस्तानी परंपरा, जिसमें बड़ों के लिए आदर, संस्कार की भावना दिखती है. लेकिन समय बदलने के साथ कैसे लोगों की पसंद बदलती है और संगीत घराने के अंदर संगीत साधना करने वाला लड़का कैसे आजकल की दुनिया में ढलने की मजबूरी का गुलाम बनता है, बंदिश बैंडिट्स में इसकी खूब झलक दिखती है. बंदिश बैंडिट्स को देखकर संजय लीला भंसाली की फिल्म हम दिल दे चुके सनम की याद आती है, जहां राग, बैठक और सभा जैसे शब्दों के जाल में बैठे संगीत सम्राट की आभा तले कई नए टैलेंट रोशन दिखते हैं.
लोकेशन और म्यूजिक देख सुकून का ऐहसास
खूबसूरत जोधपुर की खूबसूरती को सिनेमैटोग्राफर श्रीराम गणपति ने क्या खूब कैमरे में कैप्चर किया है. जोधपुर के बेहतरीन लोकेशंस पर शूट की गई बंदिश बैंडिट्स में स्वप्निल दास का प्रोडक्शन डिजाइन भी कमाल का है. इस फिल्म की सबसे खास बात है इसका म्यूजिक. बॉलीवुड के मशहूर कंपोजर तिकड़ी शंकर महादेवन, एहसान नूरानी और लॉय मेडोंसा ने हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक को आधुनिक रॉक म्यूजिक के साथ मिलाकर इतना कमाल का फ्यूजन म्यूजिक पेश किया है कि बैकग्राउंड स्कोर के साथ ही इस वेब सीरीज के गानों में इसकी जबरदस्त छाप दिखती है. पहली बार किसी वेब सीरीज में इतने गाने देखने को मिले हैं, जो बंदिश बैंडिट्स की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. आनंद तिवारी ने अधीर भट्ट, अमृतपाल सिंह बिंद्रा और लारा चांदनी के साथ जितनी अच्छी स्टोरी लिखी है, बंदिश बैंडिट्स को उतनी खूबसूरती से डायरेक्ट भी किया है. बंदिश बैंडिट्स देखने लायक सीरीज है, जिसे सुकून से देखें और हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत की खूबसूरती को महसूस करें.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.