कर्नाटक चुनाव के रुझान आ चुके हैं और नतीजे भी आने लगे हैं. भले ही अभी यह साफ नहीं कहा जा सकता है कि किसे कितनी सीटें मिली हैं, लेकिन एक बात तो साफ हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी को कर्नाटक चुनाव में पूर्ण बहुमत मिल रहा है. इस चुनाव ने जहां ओर यह दिखा दिया है कि अभी मोदी लहर बरकरार है वहीं यह भी साफ कर दिया है कि राहुल गांधी को काफी अधिक मेहनत करने की जरूरत है. आइए जानते हैं इस चुनाव के नतीजों से सामने आई 11 खास बातें.
1- फिर चला मोदी का जादू. कर्नाटक चुनाव के नतीजे दिखाते हैं कि मोदी और अमित शाह ने इस चुनाव में भारी जीत हासिल की है. मोदी के जादू ने भाजपा को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मजबूती दे दी है.
2- 1 येड्डी और 2 रेड्डी सभी जीत गए. कांग्रेस का ये मजाकिया बयान आखिरकार सच हो गया. अब येड्डी (येदियुरप्पा) तो चुनाव में जीते हैं, साथ ही बेल्लारी से दोनों रेड्डी भी जीत गए हैं.
3- जेडीएस कोई किंगमेकर नहीं बनी. जेडीएस अगली सरकार में जगह बनाना चाहती थी, लेकिन भाजपा ने उसके इस सपने को भी चकनाचूर कर दिया.
4- लिंगायत फैक्टर फ्लॉप. सिद्धारमैया ने मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए 17 फीसदी लिंगायत और वीरशैव वोटों को लुभाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कर्नाटक के उत्तरी हिस्से में भाजपा की वो अपील काम कर गई, जिसमें उन्होंने हिंदुओं से एकजुट होने की बात कही थी.
5- कन्नड़ अस्मिता ने वोट नहीं दिलाए. सिद्धारमैया का कन्नड़ को बढ़ावा देना भी कांग्रेस के लिए वोट नहीं ला सका. लिंगायत और कन्नड़ होने के गर्व का दाव खेलने के बावजूद कांग्रेस हार गई.
6- हिंदुओं पर योगी का जादू...
कर्नाटक चुनाव के रुझान आ चुके हैं और नतीजे भी आने लगे हैं. भले ही अभी यह साफ नहीं कहा जा सकता है कि किसे कितनी सीटें मिली हैं, लेकिन एक बात तो साफ हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी को कर्नाटक चुनाव में पूर्ण बहुमत मिल रहा है. इस चुनाव ने जहां ओर यह दिखा दिया है कि अभी मोदी लहर बरकरार है वहीं यह भी साफ कर दिया है कि राहुल गांधी को काफी अधिक मेहनत करने की जरूरत है. आइए जानते हैं इस चुनाव के नतीजों से सामने आई 11 खास बातें.
1- फिर चला मोदी का जादू. कर्नाटक चुनाव के नतीजे दिखाते हैं कि मोदी और अमित शाह ने इस चुनाव में भारी जीत हासिल की है. मोदी के जादू ने भाजपा को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मजबूती दे दी है.
2- 1 येड्डी और 2 रेड्डी सभी जीत गए. कांग्रेस का ये मजाकिया बयान आखिरकार सच हो गया. अब येड्डी (येदियुरप्पा) तो चुनाव में जीते हैं, साथ ही बेल्लारी से दोनों रेड्डी भी जीत गए हैं.
3- जेडीएस कोई किंगमेकर नहीं बनी. जेडीएस अगली सरकार में जगह बनाना चाहती थी, लेकिन भाजपा ने उसके इस सपने को भी चकनाचूर कर दिया.
4- लिंगायत फैक्टर फ्लॉप. सिद्धारमैया ने मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए 17 फीसदी लिंगायत और वीरशैव वोटों को लुभाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कर्नाटक के उत्तरी हिस्से में भाजपा की वो अपील काम कर गई, जिसमें उन्होंने हिंदुओं से एकजुट होने की बात कही थी.
5- कन्नड़ अस्मिता ने वोट नहीं दिलाए. सिद्धारमैया का कन्नड़ को बढ़ावा देना भी कांग्रेस के लिए वोट नहीं ला सका. लिंगायत और कन्नड़ होने के गर्व का दाव खेलने के बावजूद कांग्रेस हार गई.
6- हिंदुओं पर योगी का जादू चला. योगी आदित्यनाथ जिन-जिन जिलों में रैली करने गए, वहां पर हिंदुत्व फैक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया और भाजपा की झोली में काफी वोट आए. सिद्धारमैया लगातार योगी पर ये कहकर हमले करते रहे कि वह उत्तरी भारत के एक्सपोर्ट किए गए हैं, लेकिन उनकी सारी बातें बेमतलब साबित हुईं. योगी आदित्यनाथ ने जिन 33 सीटों पर रैली की, उन सभी पर भाजपा को जीत मिली है. यानी योगी आदित्यनाथ को 100 में पूरे 100 नंबर मिले हैं.
7- येदियुरप्पा की बात सच हुई. येड्डी (येदियुरप्पा) अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत थे. उन्होंने काफी दिन पहले ही कह दिया था कि पार्टी को बहुमत मिलेगा और वह 15 मई को दिल्ली जाकर अमित शाह और पीएम मोदी से मिलेंगे. उनसे मिलकर अपने शपथ ग्रहक की तारीख निर्धारित करेंगे.
8- मैसूर में पिता हार गए, लेकिन बेटा जीत गया. सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी सीट से काफी अधिक वोटों से हार गए हैं. इतने अधिक वोटों से हारने कोई छोटी बात नहीं है, क्योंकि सिद्धारमैया पहले ही यह घोषणा कर चुके थे कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा. हालांकि, उन्होंने अपने बेटे यतीन्द्र को वरुणा सीट से खड़ा किया था, जो जीत गए.
9- दक्षिण में हुई भाजपा की दमदार एंट्री. जब से जयललिता की मौत हुई है, तब से दक्षिण भारत को एक ऐसे नेता की तलाश थी जो उनकी कमी को पूरा कर सके, रजनीकांत-मोदी के जादू के चर्चा तो पहले से ही खूब हो रही है.
10- आने वाले चुनावों के लिए जीत के रास्ते खुले. कर्नाटक की इस जीत के बाद अब आने वाले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भाजपा की उम्मीद और मजबूत हो गई है.
11- राहुल को करनी होगी और मेहनत. राहुल गांधी को वास्तव में 2019 के लिए एक मजबूत रणनीति की जरूरत है. वहीं मोदी के अजेय होने के साथ ही संयुक्त मोर्चा अब खुलकर सामने आ जाएगा.
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