अखिल भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष और असम की सिलचर सीट से सांसद सुष्मिता देब ने कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई है. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी. हालांकि, मंगलवार को ही राहुल गांधी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में भी सुनवाई होनी है. राहुल गांधी पर आरोप है कि उन्होंने राफेल डील मामले में नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का गलत ढंग से हवाला दिया.
बहरहाल, सांसद सुष्मिता देब ने सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले चुनाव आयोग से भी शिकायत की है. लेकिन उनका दावा है कि मोदी और अमित शाह के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए मजबूरन सुष्मिता को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. इस याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को यह निर्देश दे कि पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में जो शिकायत की गई है, उसमें आयोग कार्रवाई करे.
इस याचिका के जरिए कांग्रेस ने चुनाव आयोग की चुप्पी पर सवाल भी उठाया है कि चुनाव आयोग मोदी-शाह पर कार्रवाई क्यों नहीं करता? क्या मोदी और शाह आचार संहिता के दायरे से बाहर हैं?
लेकिन जब हम चुनाव आयोग को हर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करते देख रहे हैं जो आचार संहिता की सीमाएं लांघ रहा है तो, कांग्रेस का चुनाव आयोग पर मोदी और शाह के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप गले नहीं उतरता. चुनाव आयोग ने मायावती, योगी आदित्यनाथ, आजम खान आदि पर भी प्रतिबंध लगाया था. फिर कांग्रेस...
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष और असम की सिलचर सीट से सांसद सुष्मिता देब ने कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई है. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी. हालांकि, मंगलवार को ही राहुल गांधी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में भी सुनवाई होनी है. राहुल गांधी पर आरोप है कि उन्होंने राफेल डील मामले में नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का गलत ढंग से हवाला दिया.
बहरहाल, सांसद सुष्मिता देब ने सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले चुनाव आयोग से भी शिकायत की है. लेकिन उनका दावा है कि मोदी और अमित शाह के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए मजबूरन सुष्मिता को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. इस याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को यह निर्देश दे कि पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में जो शिकायत की गई है, उसमें आयोग कार्रवाई करे.
इस याचिका के जरिए कांग्रेस ने चुनाव आयोग की चुप्पी पर सवाल भी उठाया है कि चुनाव आयोग मोदी-शाह पर कार्रवाई क्यों नहीं करता? क्या मोदी और शाह आचार संहिता के दायरे से बाहर हैं?
लेकिन जब हम चुनाव आयोग को हर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करते देख रहे हैं जो आचार संहिता की सीमाएं लांघ रहा है तो, कांग्रेस का चुनाव आयोग पर मोदी और शाह के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप गले नहीं उतरता. चुनाव आयोग ने मायावती, योगी आदित्यनाथ, आजम खान आदि पर भी प्रतिबंध लगाया था. फिर कांग्रेस का ये पूछना कि क्या मोदी और शाह आचार संहिता के दायरे से बाहर हैं ये सवाल खड़े करता है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि दोनों नेताओं ने तीन श्रेणियों में आचार संहिता का व्यापक उल्लंघन किया है- वोटों का ध्रुवीकरण, प्रचार में सशस्त्र बलों का उल्लेख करना और चुनाव वाले दिन रैलियां करना. जानिए सुष्मिता के हिसाब से वो कौन सी बातें हैं जिनपर चुनाव आयोग को मोदी और शाह के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन नहीं की गई.
पहले बात प्रधानमंत्री मोदी की-
1 अप्रेल 2019, वर्धा महाराष्ट्र- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-
'जिसको कांग्रेस ने आतंकवादी कहा है वो अब जान चुका है. शांतिप्रिय हिंदू समाज को, पूरे विश्व को परिवार मानने वाले हिंदू समाज को आतंकवादी कह दिया. इसी के कारण वो मैजॉरिटी से भागकर माइनॉरिटी वाली सीट में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं.'
'हमारी 5000 साल से भी ज्यादा पुरानी संस्कृति को बदनाम करने का पाप कांग्रेस ने किया है. हिंदू आतंकवाद शब्द कौन लाया आपको ये ध्यान रखना है. आप मुझे बताइए जब आपने हिंदू आतंकवाद शब्द सुना तो आपको गहरी चोट पहुंची थी कि नहीं? हजारों साल के इतिहास में हिंदू कभी आतंकवाद करे ऐसी एक भी घटना नहीं है. अंग्रेजी इतिहासकारों ने भी कभी हिंदू हिंसक हो सकता है इस बात का जिक्र तक नहीं किया.'
'कुछ दिन पहले कोर्ट का फैसला आया है और इस फैसले से कांग्रेस का षड़यंत्र देश के सामने आया है. कांग्रेस ने हिंदुओं का जो अपमान किया है, जो दुनिया भर के सामने हिंदुओं को नीचा दिखाया है..ऐसी कांग्रेस को कभी माफ नहीं किया जा सकता.'
6 अप्रेल 2019, नांदेड़ महाराष्ट्र-
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी के अलावा वायनाड सीट से नामांकन भरने पर प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा था कि- 'कांग्रेस के नामदार ने माइक्रोस्कोप लेकर भारत में एक ऐसी सीट खोजी है जहां पर वो मुकाबला करने की ताकत रख सके. सीट भी ऐसी जहां पर देश की मैजॉरिटी माइनॉरिटी में हैं.'
9 अप्रेल 2019, लातूर महाराष्ट्र-
'मैं जरा कहना चाहता हूं मेरे फर्स्ट टाइम वोटरों को. क्या आपका पहला वोट पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के नाम समर्पित हो सकता है क्या? मैं मेरे फर्स्ट टाइम वोटरों से कहना चाहता हूं कि आपका पहला वोट पुलवामा में जो वीर शहीद हुए हैं उन वीर शहीदों को नाम आपका वोट समर्पित हो सकता है क्या?'
21 अप्रेल 2019, पाटन गुजरात-
'एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने पाकिस्तान को दूसरे दिन कहा कि मोदी ने 12 मिसाइल तैयार रखी हैं, हमला हो सकता है, स्थिति बिगड़ जाएगी. पाकिस्तान ने दूसरे दिन घोषणा कर दी. अगर पाकिस्तान अभिनंदन को नहीं लौटाता तो वो कत्ल की रात होती'
'हमने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और पाकिस्तान को आग्रह किया कि अगर हमारे पायलट के साथ कुछ भी हुआ तो आप दुनिया भर में बताते रहेंगे कि आपके साथ मोदी ने क्या किया.'
'कांग्रेस के नेताओं को सेना पे भरोसा नहीं है. उरी, पुलवामा अटैक में आतंकी हमला हुआ तो केंद्र सरकार ने सेना को खुली छूट दे दी. पहले सर्जिकल स्ट्राइक फिर एयर स्ट्राइक कर आतंकियों के अड्डे नष्ट किए. कांग्रेस नेता सेना की कार्रवाही पर भी सबूत मांगते हैं.'
21 अप्रेल 2019, बाड़मेर राजस्थान-
'भारत ने पाकिस्तान की धमकियों से डरने की नीति को छोड़ दिया वरना आए दिन बोलते रहते थे...हमारे पास न्यूक्लियर बटन है...हमारे पास न्यूक्लियर बटन है. तो हमारे पास क्या है भाई...क्या हमने इसे दीवाली के लिए रखा है?'
25 अप्रेल 2019, वाराणसी उत्तरप्रदेश-
'पुलवामा में उन्होंने हमारे 40 जवानों को शहीद किया था. इस हमले के बाद उसी क्षेत्र में अब तक 42 आतंकवादियों को ठिकाने लगाया जा चुका है. ये हमारा काम करने का तरीका है.'
अब बात अमित शाह की-
9 अप्रेल 2019, नागपुर महाराष्ट्र-
'राहुल बाबा अपने गठबंधन के लिए केरला के अंदर ऐसी सीट पर जाकर खड़े हैं, मालूम ही नहीं पड़ता जुलूस निकलता है तो भारत है या पाकिस्तान का जुलूस है'
'नरेंद्र मोदी की सरकार आई, अभी पुलवामा पर पाकिस्तान के भेजे हुए आतंकवादियों ने हमला किया, अपने 40 जवान शहीद हो गए. पूरे देश भर के अंदर गुस्सा, हताशा, निराशा थी.'
'मगर ये मौनी बाबा, मनमोहन की सरकार नहीं थी, ये नरेंद्र मोदी की सरकार थी, बीजेपी की सरकार थी, शहीदों की तेरहवीं के दिन भारतीय एयरफोर्स के जवान विमान लेकर पाकिस्तान के घर में घुसकर आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप्स को उड़ाने का काम एयर स्ट्राइक करके भारत की सेना ने किया और पाकिस्तान को करारा जवाब देने का काम बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार ने किया.'
'राहुल बाबा आपको आतंकवादियों के साथ ईलू ईलू करना है तो करो, ये बीजेपी की सरकार है वहां से गोली चलेगी तो यहां से गोला चलेगा, ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा'
22 अप्रेल 2019, कृष्णानगर प. बंगाल-
'मित्रों, अभी-अभी पुलवामा में पाकिस्तान के आतंकवादियों ने हमला किया. अपने 40 जवानों को मौत के घाट उतार दिया गया, 40 जवान मारे गए. मोदी जी ने उसके तेरहवें दिन एक फैसला किया. अपनी एयर फोर्स को पाकिस्तान के घर में घुसने का ऑर्डर दिया. पाकिसतान के घर में घुसकर आतंकवादियों पे हमला करके पुर्जे-पुर्जे उड़ा दिए एयर फोर्स वालों ने.'
...
तो ये वो बाते हैं जो मोदी और अमित शाह ने चुनावी रैली के दौरान बोली थीं. जिसपर सोशल मीडिया पर भी खूब बहस हुई और विपक्ष ने शिकायत भी की. लोगों ने इस बात का भी हवाला दिया कि चुनाव आयोग के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद मोदी और शाह सेना और शहीदों को अपने चुनावी भाषण के बीच में लाए और उनके नाम पर वोट भी मांगे. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या प्रधानमंत्री ने आचार संहिता के नियमों का सच में उल्लंघन किया? ऊपर भाषण के अंश भले ही विपक्ष को उल्लंघन लग रहे हों, लेकिन असल में ये इसे उल्लंघन माना नहीं जा सकता. अगर सेना का जिक्र करके मोदी ये कहते कि वोट भाजपा को दो, तो इसे उल्लंघन माना जा सकता था लेकिन प्रधानमंत्री ने बड़ी सफाई से शब्दों को तौलते हुए ही अपने भाषण में इन शब्दों का इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा कि क्या आप अपना वोट समर्पित कर सकते हैं, उन्होंने ये फैसला वोटरों को ही करने दिया है कि उन्हें अपनी समझ से किसे वोट देना है.
प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के भाषणों में चालाकी को आसानी से समझा जा सकता है. वे विवादास्पद बातों को भी इस अंदाज में कहते हैं कि नियमों के उल्लंघन के आरोप से बचा जा सके. हर शब्द को बोलने से पहले कई बार तौलते भी हैं. और इसीलिए उनके भाषण भले ही आचार संहिता का उल्लंघन करते दिखते हैं लेकिन उन्हें साबित करना बेहद कठिन दिखता है.
क्या आपको लगता है कि भारत के प्रधानमंत्री इतनी बड़ी भूल कर सकते हैं? क्या आपको भी ये भाषण आचार संहिता का उल्लंघन लगते हैं? उन्हें इसकी सजा मिलनी चाहिए?
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