आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूरी मिल गयी है. हालांकि, आप ने इस सिचुएशन से मुकाबले की तैयारी पहले से ही कर रखी है - और इसकी सबसे बड़ी वजह है कि ये फैसला ऐसे दौर में आया है जब पार्टी पहले से ही 2019 की तैयारियों में जुटी हुई थी. अब उसी मोड में रहते हुए पार्टी ने आगे की रणनीति भी तैयार कर ली है. अव्वल तो आम नेताओं का मानना है कि कोर्ट में ये मामला टिकेगा ही नहीं. फिर भी नयी मुश्किल से निजात पाने के लिए आप ने चौतरफा प्लान तैयार किया है.
उन 49 दिनों के बाद
2014 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए तो दूसरे नंबर पर आने के बाद भी सरकार आम आदमी पार्टी ने ही बनायी - लेकिन जल्द ही इस्तिफा भी दे दिया. तब आप पर बहुत बड़ी तोहमत लगी थी - 'भाग खड़े होने का'. आप नेताओं, खुद केजरीवाल ने भी आगे बढ़ कर दिल्ली के लोगों से माफी मांगी. लोगों ने आशीर्वाद भी छप्पर फाड़ कर दिया - 70 में से 67 सीटें.
2014 के लोक सभा चुनाव में दिखी मोदी लहर बाद में हुए महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड चुनावों में भी देखने को मिला - इसलिए जब फिर से दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख आयी तो बीजेपी को लगा कि बहुमत तो उसे पक्का मिलेगा. 2013 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी, लेकिन उसने सरकार बनाने से मना कर दिया - और आप ने कांग्रेस के सपोर्ट से सरकार बना ली.
दोबारा चुनाव मैदान में उतरते वक्त आप ने दिल्ली डायलॉग शुरू किया - इसका उसे बहुत फायदा मिला. एक बार फिर आप की तैयारी उसी लाइन पर चल रही है.
2019 के दरम्यान ही '20' की तैयारी
आम आदमी पार्टी 2019 को ध्यान में रख कर दिल्ली में 'मेरा बूथ सबसे...
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूरी मिल गयी है. हालांकि, आप ने इस सिचुएशन से मुकाबले की तैयारी पहले से ही कर रखी है - और इसकी सबसे बड़ी वजह है कि ये फैसला ऐसे दौर में आया है जब पार्टी पहले से ही 2019 की तैयारियों में जुटी हुई थी. अब उसी मोड में रहते हुए पार्टी ने आगे की रणनीति भी तैयार कर ली है. अव्वल तो आम नेताओं का मानना है कि कोर्ट में ये मामला टिकेगा ही नहीं. फिर भी नयी मुश्किल से निजात पाने के लिए आप ने चौतरफा प्लान तैयार किया है.
उन 49 दिनों के बाद
2014 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए तो दूसरे नंबर पर आने के बाद भी सरकार आम आदमी पार्टी ने ही बनायी - लेकिन जल्द ही इस्तिफा भी दे दिया. तब आप पर बहुत बड़ी तोहमत लगी थी - 'भाग खड़े होने का'. आप नेताओं, खुद केजरीवाल ने भी आगे बढ़ कर दिल्ली के लोगों से माफी मांगी. लोगों ने आशीर्वाद भी छप्पर फाड़ कर दिया - 70 में से 67 सीटें.
2014 के लोक सभा चुनाव में दिखी मोदी लहर बाद में हुए महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड चुनावों में भी देखने को मिला - इसलिए जब फिर से दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख आयी तो बीजेपी को लगा कि बहुमत तो उसे पक्का मिलेगा. 2013 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी, लेकिन उसने सरकार बनाने से मना कर दिया - और आप ने कांग्रेस के सपोर्ट से सरकार बना ली.
दोबारा चुनाव मैदान में उतरते वक्त आप ने दिल्ली डायलॉग शुरू किया - इसका उसे बहुत फायदा मिला. एक बार फिर आप की तैयारी उसी लाइन पर चल रही है.
2019 के दरम्यान ही '20' की तैयारी
आम आदमी पार्टी 2019 को ध्यान में रख कर दिल्ली में 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' कैंपेन चला रही है. ये कैंपेन 20 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की चुनाव आयोग की सिफारिश के पहले ही शुरू हो चुका था. इसके तहत लोक सभा और विधानसभा क्षेत्रवार बूथ लेवल के प्रभारी पहले ही बनाये जा चुके हैं. आप के नेता बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के सीनियर लीडर से सीधी बात कर रहे हैं. कैंपेन के दूसरे दौर में बूथ लेवल प्रभारियों के अध्यक्ष बनाये जाने हैं. दिल्ली को 1 लाख 33 हजार ब्लॉक में बांटा गया है.
2019 की तैयारियों के बीच जब 20 विधायकों की सदस्यता पर खतरे की बात खबरों में आयी तो आप नेता अरविंद केजरीवाल ने प्रभावित विधायकों को स्पेशल टास्क दे दिया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केजरीवाल ने विधायकों की फौरन मीटिंग बुलाई जहां उनसे कहा गया कि वे अपने इलाके में जायें और लोगों को समझायें कि असलियत क्या है.
1. आप ने तो चुनाव आयोग से खबर आने के बाद ही कोर्ट में दस्तक दे दी थी, लेकिन आधी अधूरी तैयारियों के चलते उसे उल्टे पांव लौटना पड़ा. आप नेताओं को तो यहां तक यकीन है कि ये केस अदालत में दो मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाएगा. कानूनी लड़ाई की रणनीति भी तैयार हो चुकी है.
2. साथ ही, आप नेतृत्व ने विधायकों से कहा है कि वो लोगों के बीच जायें और उन्हें असलियत समझायें कि कैसे चुनाव आयोग ने एकतरफा फैसला ले लिया - और उनका पक्ष सुनने की जहमत तक नहीं उठायी.
3. वैसे तो आप बीच बीच में मीडिया को कोसती भी रहती है, लेकिन इस मामले में भी आप के नेता और प्रवक्ता लगातार मीडिया के जरिए अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए मोर्चा संभाल चुके हैं.
4. आप के नेता ट्विटर और फेसबुक पर तो अपना पक्ष रख ही रहे हैं, सोशल मीडिया टीम सारी बातें शेयर कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बात पहुंच सके.
अभी तक आम आदमी पार्टी की तैयारी ये थी कि विधायकों की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करायी जाये. राष्ट्रपति से मिल कर विधायक अपील करते कि वो चुनाव आयोग की सिफारिश वापस भेज दें - और आयोग को कहें कि पहले वो विधायकों की बात सुने फिर कोई राय दे. हालांकि, नियम ये है कि राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश मानने को बाध्य हैं.
बावजूद इसके कि राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर कर चुके हैं, आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि कोर्ट से उसके पक्ष में ही फैसला आएगा. अगर कोर्ट से भी राहत नहीं मिली फिर तो जनता की अदालत में जाना ही है - अगर तैयारी पहले से होगी तो लोगों के बीच सहानुभूति का फायदा भी उठाया जा सकता है.
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