अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal Delhi CM) ने दिल्ली विधानसभा के 70 उम्मीदवारों की AAP Candidate List एक साथ ही जारी कर दी है. कांग्रेस ने थोड़ी सी ही की है, ज्यादा आनी है - और बीजेपी की तो पूरी की पूरी ही लिस्ट आनी है. आम चुनाव में भी तकरीबन यही क्रम देखने को मिला था.
AAP list में कहने को तो वो हर इंतजाम किये गये हैं जिससे जीत सुनिश्चित की जा सके, लेकिन सारा जोर ब्रांड केजरीवाल पर ही रहने वाला है. बाकी सब तक कागजी रस्म भर है. सत्ता बचाने का चैलेंज एक जैसा ही होता है. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सामने भी सब कुछ वैसा ही है जैसा आम चुनाव से लेकर हाल के तीन विधानसभा चुनावों तक BJP के सामने रहा. लगता है AAP ने भी टिकट बीजेपी की ही तरह बांटे हैं - कई मामलों में पैटर्न तो बिलकुल एक ही तरह का है.
बीजेपी के ब्रांड मोदी (PM Narendra Modi) के मुकाबले ब्रांड केजरीवाल - 'भाइयों और बहनों वोट मेरे नाम पर देना. मेरी तरफ देख कर देना... बाकी बातों पर ध्यान मत देना...' सत्ता विरोधी लहर से बचने का केजरीवाल भी वही तरीका अपना रहे हैं, जैसा आम चुनाव में बीजेपी ने अपनाया था. ध्यान रहे नतीजों में बीजेपी का कारवां गुजर गया और केजरीवाल गुबार देखते रहे.
AAP की सूची, तरीका BJP जैसा
दिल्ली विधानसभा के लिए BJP के उम्मीदवारों की सूची अभी आने वाली है, लेकिन AAP का पैटर्न देख कर ऐसा लगता है जैसे उसने लीक हुई कोई कॉपी हासिल कर ली हो - या फिर बीते चुनावों की सूची की सारी खासियत उतार देने में सारी बुद्धि लगा दी हो.
1. सत्ता विरोधी फैक्टर की काट: 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर में कई लोग विधायक बन गये थे, लेकिन नये दौर में वे समीकरणों में फिट नहीं बैठ रहे थे. अरविंद केजरीवाल के सामने सत्ता विरोधी फैक्टर बहुत बड़ी चुनौती है. पहले MCD चुनाव में हार और फिर आम चुनाव में दिल्ली में खाता तक न खुलना इस बात के सबूत हैं. आम आदमी पार्टी की सूची में 15 विधायकों के टिकट काट लिये गये हैं और 9 बिलकुल नये चेहरे उतारे गये हैं....
अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal Delhi CM) ने दिल्ली विधानसभा के 70 उम्मीदवारों की AAP Candidate List एक साथ ही जारी कर दी है. कांग्रेस ने थोड़ी सी ही की है, ज्यादा आनी है - और बीजेपी की तो पूरी की पूरी ही लिस्ट आनी है. आम चुनाव में भी तकरीबन यही क्रम देखने को मिला था.
AAP list में कहने को तो वो हर इंतजाम किये गये हैं जिससे जीत सुनिश्चित की जा सके, लेकिन सारा जोर ब्रांड केजरीवाल पर ही रहने वाला है. बाकी सब तक कागजी रस्म भर है. सत्ता बचाने का चैलेंज एक जैसा ही होता है. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सामने भी सब कुछ वैसा ही है जैसा आम चुनाव से लेकर हाल के तीन विधानसभा चुनावों तक BJP के सामने रहा. लगता है AAP ने भी टिकट बीजेपी की ही तरह बांटे हैं - कई मामलों में पैटर्न तो बिलकुल एक ही तरह का है.
बीजेपी के ब्रांड मोदी (PM Narendra Modi) के मुकाबले ब्रांड केजरीवाल - 'भाइयों और बहनों वोट मेरे नाम पर देना. मेरी तरफ देख कर देना... बाकी बातों पर ध्यान मत देना...' सत्ता विरोधी लहर से बचने का केजरीवाल भी वही तरीका अपना रहे हैं, जैसा आम चुनाव में बीजेपी ने अपनाया था. ध्यान रहे नतीजों में बीजेपी का कारवां गुजर गया और केजरीवाल गुबार देखते रहे.
AAP की सूची, तरीका BJP जैसा
दिल्ली विधानसभा के लिए BJP के उम्मीदवारों की सूची अभी आने वाली है, लेकिन AAP का पैटर्न देख कर ऐसा लगता है जैसे उसने लीक हुई कोई कॉपी हासिल कर ली हो - या फिर बीते चुनावों की सूची की सारी खासियत उतार देने में सारी बुद्धि लगा दी हो.
1. सत्ता विरोधी फैक्टर की काट: 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर में कई लोग विधायक बन गये थे, लेकिन नये दौर में वे समीकरणों में फिट नहीं बैठ रहे थे. अरविंद केजरीवाल के सामने सत्ता विरोधी फैक्टर बहुत बड़ी चुनौती है. पहले MCD चुनाव में हार और फिर आम चुनाव में दिल्ली में खाता तक न खुलना इस बात के सबूत हैं. आम आदमी पार्टी की सूची में 15 विधायकों के टिकट काट लिये गये हैं और 9 बिलकुल नये चेहरे उतारे गये हैं. सूची में 8 महिला उम्मीदवारों को भी जगह मिली है जो पिछली बार से दो अधिक है.
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया कि टिकट देने में पार्टी के इंटरनल सर्वे और ग्राउंड रिपोर्ट का बड़ा रोल रहा है - और उसी आधार पर 46 मौजूदा विधायकों पर फिर से भरोसा जताया गया है.
आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) के पांच सदस्य भी चुनाव मैदान में उतर रहे हैं. इनमें तो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ही हैं. अरविंद केजरीवाल ने लोक सभा चुनाव में हार चुके तीन उम्मीदवारों को फिर से विधानसभा चुनाव में भी मौका दिया है - आतिशी मार्लेना, दिलीप पांडे और राघव चड्ढा.
दिल्ली की 6 सीटों पर आप ने नगर निगम के पांच पार्षदों को टिकट दिया है, एक उम्मीदवार पहले पार्षद रह चुका है. 2015 में AAP ने पांच पार्षदों को टिकट दिये थे और सभी विधायक बन गये. करने को तो बीजेपी और कांग्रेस ने भी ऐसा प्रयोग किया था, लेकिन सभी हार गये.
2. जल्दी आओ, टिकट पाओ: जिस तरह चुनावों के वक्त बाकी जगह भारी तादाद में बीजेपी ज्वाइन करते रहे, लिस्ट आने से एक दिन पहले आम आदमी पार्टी में भी जश्न का वैसा ही माहौल रहा. कांग्रेस की पार्षद रह चुकीं राजकुमारी ढिल्लों ने तो लगता है टिकट पक्का होने के बाद ही अरविंद केजरीवाल सरकार के काम और नीतियों से प्रभावित होकर AAP के परिवार में शामिल होने का फैसला लिया होगा. तभी तो 2015 में कांग्रेस उम्मीदवार अवतार सिंह को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हराने वाले जगदीप सिंह पर राजकुमारी ढिल्लों भारी पड़ीं - और उनका टिकट काट डाला. राजकुमारी ढिल्लों के आप ज्वाइन करने की घोषणा भी सूची आने से एक दिन पहले ही की गयी थी.
राजकुमारी ढिल्लों आप के ऐसा 5 उम्मीदवारों में शामिल हैं जिन्होंने पार्टी ज्वाइन करने के 24 घंटे के भीतर ही टिकट पा लिया है. बाकी उम्मीदवार हैं - पूर्व कांग्रेस नेता नवीन चौधरी (दीपू), रोहिणी वॉर्ड से पार्षद जय भगवान उपकार, कांग्रेस के टिकट पर पालम से विधानसभा चुनाव लड़ चुके विनय कुमार मिश्र और बदरपुर से दो बार विधायक रहे राम सिंह 'नेता जी'. विनय कुमार मिश्र का एक परिचय और है - वो दिल्ली कांग्रेस के कद्दावर नेता महाबल मिश्र के बेटे हैं जिनकी पूर्वांचल के लोगों में अच्छी पकड़ मानी जाती है - और बीजेपी में मनोज तिवारी को लाये जाने के पीछे उनकी वोटर के बीच पैठ ही रही है. उम्मीदवारों की सूची में शामिल गोपाल झा और संजीव झा जैसे नेताओं से भी अरविंद केजरीवाल को वैसी ही अपेक्षा होगी जैसी विनय मिश्र से उम्मीद है.
3. विवादित नेताओं से परहेज नहीं: आम आदमी पार्टी के नेता भले ही बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों के चयन पर सवाल उठाते रहे हों, लेकिन सूची में कई विवादित नाम भी शामिल किये गये हैं. साफ है आप भी दूध की धुली नहीं है.
2015 में आप के उम्मीवारों का चयन अगर अब भी चूक लग रही हो तो ऐसा सोचने की जरूरत नहीं है. जितेंद्र सिंह तोमर लगातार काफी दिनों तक फर्जी डिग्री को लेकर सुर्खियों में छाये रहे. केजरीवाल कैबिनेट में कानून मंत्री रहे तोमर फर्जी डिग्री को लेकर जेल भी गये - लेकिन आप का भरोसा तोमर से टूटा नहीं है. हो सकता है केजरीवाल कभी तोमर को मन से माफ न कर पायें लेकिन टिकट देने से तो नहीं ही रोका है.
बदरपुर सीट पर मौजूदा विधायक नारायण दत्त शर्मा का टिकट काट कर केजरीवाल ने राम सिंह नेताजी को टिकट दिया है. राम सिंह पर जमीन कब्जा करने के आरोप हैं और भू-माफिया की छवि है. खास बात ये है कि राम सिंह भी आप की नीतियों और केजरीवाल सरकार के कामकाज से सूची आने के 24 घंटे पहले ही प्रभावित हो पाये.
राजौरी गार्डन से टिकट हासिल करने वाले धनवंती चंदोला के खिलाफ भी संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. सीलमपुर से उम्मीदवार अब्दुल रहमान पर इल्जाम है कि वो जाफराबाद में लोगों को उपद्रव के लिए भड़का रहे थे. अब्दुल रहमान का नाम भी दंगे भड़काने वाले लोगों के खिलाफ FIR में शुमार है.
आप का टिकट पाने से वंचित रहे लोगों में जिस शख्सियत ने खास तौर पर हर किसी का ध्यान खींचा है, वो हैं - आदर्श शास्त्री. पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के परिवार से आने वाले आदर्श शास्त्री आप ज्वाइन करने से पहले एपल कंपनी में इंडिया हेड थे, लेकिन भ्रष्टाचार खत्म करने और नयी तरह की राजनीति करने के अरविंद केजरीवाल के इरादे को देखते हुए वो चले आये. हो सकता है आप की सूची जारी किये जाते वक्त वो झारखंड बीजेपी के नेता सरयू राय की तरह ही सोच रहे हों, लेकिन वैसा कोई इरादा जाहिर नहीं किया है. आदर्श शास्त्री की तरह ही कमांडो सुरेद्र का भी टिकट कट गया है. कमांडो सुरेंद्र का कहना है कि उनके परिवार से वो ही अकेले राजनीति में आये थे और अब तो घर चलाने के लिए उन्हें कोई नौकरी ही ढूंढ़नी पड़ेगी.
आम आदमी पार्टी में बगावत करने वाले दो चर्चित चेहरे रहे हैं - कपिल मिश्रा और अलका लांबा. कपिल मिश्रा की जगह करावल नगर से दुर्गेश पाठक को टिकट दिया गया है. दुर्गेश पाठक राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य हैं. चांदनी चौक से कांग्रेस में चली गयीं अलका लांबा की जगह प्रह्लाद साहनी को टिकट मिला है.
ब्रांड केजरीवाल बनाम ब्रांड मोदी!
दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी को बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस भी चुनौती दे रही है. आप केजरीवाल सरकार के पांच साल के काम गिना रही है तो बीजेपी मोदी सरकार के करीब 6 साल के प्रदर्शन को सामने पेश कर रही है. कांग्रेस भी ऐसा ही कर रही है और उसके पास बताने के लिए दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार के 15 साल का शासन है. आम चुनाव में बीजेपी से जूझते हुए आप को कई इलाकों में पछाड़ देने का उत्साह ही कांग्रेस के लिए सरमाया है.
ऐसे में दिल्ली की लड़ाई ब्रांड केजरीवाल बनाम ब्रांड मोदी बनती जा रही है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की सूची को रीट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अंत में जो लिखा है वो भी काफी महत्वपूर्ण शब्द है - 'भगवान भला करे!'
केजरीवाल की ये मोटिवेशनल लाइन, ऐसा तो नहीं कि जितना भरोसा जनता और भगवान में जता रही है - उतना उम्मीदवारों में नहीं. रणक्षेत्र में उतरने से पहले हर गार्जियन अपने लोगों को ऐसे ही शुभकामनाएं और आशीर्वाद देता है. साथ में मैसेज ये भी होता है कि बेफिक्र होकर लड़ना मैं सब देख लूंगा - और ब्रांड केजरीवाल का लब्बोलुआब भी यही है. वैसे भी IANS-CVOTER का नया सर्वे आ चुका है. दिल्ली के लोगों के बीच ये सर्वे 11 नवंबर, 2019 से 14 जनवरी 2020 के बीच हुआ है. सर्वे में दिल्ली के शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के 2,326 लोग शामिल किये गये हैं.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का दावा है कि दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अबकी बार बीजेपी की सरकार बनेगी, लेकिन सर्वे में 67.6 फीसदी लोग अरविंद केजरीवाल को ही फिर से मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. मोदी के नाम पर मैदान में उतरी बीजेपी ने किसी भी चेहरे पर से परदा तो नहीं हटाया है, लेकिन सर्वे में 11.9 फीसदी लोगों की राय है कि पार्टी हर्षवर्धन के नाम पर विचार करे तो अच्छा रहेगा. वैसे सिर्फ 27.3 फीसदी लोग ही ये चाहते हैं कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बने. सर्वे की मानें तो 54.6 फीसदी लोग दिल्ली में AAP की वापसी और केंद्र में 57.1 फीसदी लोग मोदी सरकार के पक्ष में खड़े हैं.
वैसे दिल्ली में 37.5 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो अभी तक ये तय नहीं कर पाये हैं मुख्यमंत्री किसे बनना चाहिये. यही वो बात है जो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ और बीजेपी के पक्ष में जाती लगती है. जाहिर है ये राय केजरीवाल की वापसी पर संदेह भी पैदा करती है. वैसे तो 13.1 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो अब तक ये नहीं तय कर पाये हैं कि वो किस राजनीतिक दल को वोट देंगे?
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपना नामांकन 20 जनवरी को दाखिल करेंगे और उसके बाद उनका एक रोड शो भी होगा. केजरीवाल नई दिल्ली से चुनाव लड़ेंगे जबकि मनीष सिसोदिया पूर्वी दिल्ली से. सिसोदिया केजरीवाल से पहले 16 जनवरी को ही नामांकन भरने जा रहे हैं.
केजरीवाल से पहले नयी दिल्ली सीट पर एक स्वामी जी ने पर्चा भर रखा है. दिलचस्प बात ये है कि स्वामी जी ने हलफनामे में अपने पास 9 रुपये कैश होने की बात कही है. लगे हाथ स्वामी जी ने बीजेपी से टिकट भी मांग लिया है, बशर्ते उसे मंजूर हो. वैसे ये भी चर्चा है कि केजरीवाल के खिलाफ आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा बीजेपी से टिकट लेकर चुनौती देने के लिए मैदान में उतरने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
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