आप यकीन करें न करें लेकिन कांग्रेस और केजरीवाल के बीच कुछ पक रहा है. इस बात की खबरें ज़ोरों पर हैं कि आप और कांग्रेस चुनाव से पहले ही दिल्ली में सात लोकसभा सीटों वाली बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन कर ले.
खबरों और अटकलों के तेज होने की वजह वो विपक्षी एकता की बयार भी है जो हाल की मोदी की हार के बाद तेजी से बह रही है. खबरें जब वक्त से पहले बाहर आ जाएं तो हमेशा उनका खंडन किया जाता है. यही इस मामले मे हो रहा है. दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने इस तरह की अटकलबाजी को खारिज कर दिया है.
इन खबरों पर अचरज हो रहा है क्योंकि दोनों की पार्टियां एक दूसरे को चोर भ्रष्ट और निकम्मा बताती रही हैं. लेकिन जानकारों का कहना है कि दिल्ली की सभी सात सीटों से अगर बीजेपी को बाहर करना है तो साथ मिलकर ही लड़ना होगा. दोनों के लिए लोकसभा मे इज्जत और राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए यही रास्ता है.
अटकलें हैं कि पंजाब जैसे राज्य में भी दोनों पार्टियां साथ आ सकती हैं. लेकिन आप को इसमें थोड़ा हिचकिचाहट है क्योंकि पंजाब में कांग्रेस की सरकार है किसी मुख्य विपक्षी पार्टी का सत्ता में शामिल हो जाना राजनीतिक आत्महत्या के अलावा कुछ नहीं हो सकता.
बात अंदर ही अंदर हो रही होती तो कुछ न होता लेकिन अजय माकन और दिलीप पांडे की ट्विटर पर बहस ने खबर को कनफर्म कर दिया है. जानकारों का कहना है कि इस बहस के जरिए दोनों ये परखना चाहते हैं कि अगर गठबंधन हुआ तो लोगों का प्रतिक्रिया क्या होगी.
आप यकीन करें न करें लेकिन कांग्रेस और केजरीवाल के बीच कुछ पक रहा है. इस बात की खबरें ज़ोरों पर हैं कि आप और कांग्रेस चुनाव से पहले ही दिल्ली में सात लोकसभा सीटों वाली बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन कर ले.
खबरों और अटकलों के तेज होने की वजह वो विपक्षी एकता की बयार भी है जो हाल की मोदी की हार के बाद तेजी से बह रही है. खबरें जब वक्त से पहले बाहर आ जाएं तो हमेशा उनका खंडन किया जाता है. यही इस मामले मे हो रहा है. दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने इस तरह की अटकलबाजी को खारिज कर दिया है.
इन खबरों पर अचरज हो रहा है क्योंकि दोनों की पार्टियां एक दूसरे को चोर भ्रष्ट और निकम्मा बताती रही हैं. लेकिन जानकारों का कहना है कि दिल्ली की सभी सात सीटों से अगर बीजेपी को बाहर करना है तो साथ मिलकर ही लड़ना होगा. दोनों के लिए लोकसभा मे इज्जत और राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए यही रास्ता है.
अटकलें हैं कि पंजाब जैसे राज्य में भी दोनों पार्टियां साथ आ सकती हैं. लेकिन आप को इसमें थोड़ा हिचकिचाहट है क्योंकि पंजाब में कांग्रेस की सरकार है किसी मुख्य विपक्षी पार्टी का सत्ता में शामिल हो जाना राजनीतिक आत्महत्या के अलावा कुछ नहीं हो सकता.
बात अंदर ही अंदर हो रही होती तो कुछ न होता लेकिन अजय माकन और दिलीप पांडे की ट्विटर पर बहस ने खबर को कनफर्म कर दिया है. जानकारों का कहना है कि इस बहस के जरिए दोनों ये परखना चाहते हैं कि अगर गठबंधन हुआ तो लोगों का प्रतिक्रिया क्या होगी.
अपने ट्वीट में अजय माकन ने तीन सीटों को लेकर ‘कथित ऑफर’ को सिरे से खारिज किया, वहीं आप प्रवक्ता ने कहा कि एक सीट को लेकर किसी स्तर पर चर्चाएं हुई हैं. इससे उन कयासों को हवा मिली, जिनके मुताबिक ऐसी किसी संभावना को लेकर कांग्रेस में उच्च स्तरीय बातचीत हुई.
माकन ने कहा कि जब दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार को लगातार खारिज करती रही है, ऐसे में हम उनके बचाव में क्यों आएंगे? माकन ने आरोप लगाया कि आरएसएस की मदद और टीम अन्ना के साथ मिलकर केजरीवाल ने जो किया, उससे 2014 के आम चुनाव से पहले बीजेपी का उदय हुआ.
इससे पहले केजरीवाल ने भी कांग्रेस के लिए प्यार का इजहार किया ता उन्होंने कहा था कि लोग मनमोहन सिंह जैसे पढ़े लिखे प्रधानमंत्री को मिस करते हैं. कभी मनमोहन को यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार का चेहरा बताने वाले केजरीवाल के रवैये में ये छोटा मोटा बदलाव नहीं है.
इससे पहले केजरीवाल कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन से बनी सरकार के शपथग्रहण कार्यक्रम में भी पहुंचे. केजरीवाल ने अजय माकन के बेटे को दसवीं में अच्छे नंबर आने के लिए टि्वटर के जरिए सार्वजनिक तौर पर बधाई दी.
एक अन्य राजनीतिक घटनाक्रम के तहत आप ने पार्टी के पांच नेताओं को दिल्ली की पांच लोकसभा सीट का इंचार्ज बनाया. हालांकि, पश्चिमी दिल्ली और नई दिल्ली सीट के लिए किसी प्रभारी का ऐलान नहीं किया गया. इसके बाद बीजेपी नेता विजेंदर गुप्ता ने कहा कि बाकी दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई हैं.
दोनों ही सीट अहम हैं क्योंकि अजय माकन पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन से ही राजनीति करते है जबकि नई दिल्ली में भी उनकी अच्छी पैठ है. दोनों ही सीटें आप अगर छोड़ती है तो जाहिर बात है कि अजय माकन का संसद पहुंचना आसान हो जाएगा.
आम आदमी पार्टी भी जानती है कि उसका जादू अब पहले की तरह नही रहा. उसे भी सहारे की ज़रूरत है. एक के बाद उसके कई उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो चुकी है.
कुमार विश्वास के आप से चले जाने का भी कनेक्शन इस घटनाक्रम से लगाया जा रहा है. लोग मानते हैं कि कुमार बीजेपी के नजदीक थे और कांग्रेस का विरोध करते थे. दोनों पार्टियों के बीच दोस्ती में वो बड़ा रोड़ा थे. उनके जाने से दोस्ती आसान हो सकती है. जो भी हो इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. यहां भी मुश्क की खुश्बू और इश्क की दीवानगी दिखाई तो दे ही रही है.
ये भी पढ़ें-
मोदी के बहाने केजरीवाल ने टारगेट तो राहुल गांधी को ही किया है
केजरीवाल का 'फीस वापसी चैलेंज' क्या कोई और राज्य ले पाएगा?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.