आदर्श शास्त्री (No AAP ticket to Adardh Shastri ) भी अब AAP नेताओं की उसी जमात में शुमार हो चुके हैं जो कभी आदर्श राजनीति के सपने देखे होंगे - और कभी उनका चेहरा चुनाव प्रचार का हिस्सा हुआ करता था. अरविंद केजरीवाल की (Arvind Kejriwal) आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की सूची में उनकी जगह जिस नेता को टिकट मिला है वो 24 घंटे पहले ही पार्टी ज्वाइन किया था.
टिकट काटे जाने वाले नेताओं में शामिल कमांडो सुरेंद्र (Commando Surendra is back to AAP office) तो लगता है लौट आये हैं, लेकिन कुछ ने बागी रूख अख्तियार किया है तो एक ने टिकट के बदले पैसे मांगने का आरोप तक लगा डाला है.
आम आदमी पार्टी की तरफ से बताया गया है कि जिन 15 विधायकों के टिकट काटे गये हैं, उसकी वजह कोई पसंद नापसंद नहीं बल्कि पार्टी का इंटरनल सर्वे है - और वो भी तीन सर्वे और रिपोर्ट के बाद ये फैसला लिया गया है.
विनय मिश्र जितने काबिल क्यों नहीं रहे आदर्श शास्त्री?
सर्वे की बात अपनी जगह है. किसी को टिकट देने या न देने का अधिकार भी आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति के पास है - लेकिन एक सवाल का शायद ही उसके पास जवाब हो कि द्वारका से टिकट पाने वाले विनय मिश्र में ऐसी क्या खासियत है जो आदर्श शास्त्री में नहीं थी?
सर्वे में टिकट काटने में एक फैक्टर विधायक को लेकर लोगों में बनी धारणा को भी आधार बताया गया है. वैसे बताते हैं कि आदर्श शास्त्री दिल्ली में फ्री वाईफाई दिये जाने वाले कार्यक्रम में भी शामिल थे. फ्री वाईफाई देने का कार्यक्रम आप के चुनावी वादे को पूरा करने के मकसद से बनाया गया था. फ्री वाईफाई के साथ ही आदर्श शास्त्री सीसीटीवी वाली कमेटी का भी हिस्सा थे. सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि आदर्श शास्त्री का टिकट काट कर जिस विनय मिश्र को उम्मीदवार बनाया गया है वो कांग्रेस के टिकट पर 2013 में चुनाव हार चुके हैं. वो पालम सीट से चुनाव लड़े थे और जमानत भी नहीं बचा सके थे - और 2020 चुनाव का टिकट मिलने से 24 घंटे पहले ही आप ज्वाइन किये...
आदर्श शास्त्री (No AAP ticket to Adardh Shastri ) भी अब AAP नेताओं की उसी जमात में शुमार हो चुके हैं जो कभी आदर्श राजनीति के सपने देखे होंगे - और कभी उनका चेहरा चुनाव प्रचार का हिस्सा हुआ करता था. अरविंद केजरीवाल की (Arvind Kejriwal) आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की सूची में उनकी जगह जिस नेता को टिकट मिला है वो 24 घंटे पहले ही पार्टी ज्वाइन किया था.
टिकट काटे जाने वाले नेताओं में शामिल कमांडो सुरेंद्र (Commando Surendra is back to AAP office) तो लगता है लौट आये हैं, लेकिन कुछ ने बागी रूख अख्तियार किया है तो एक ने टिकट के बदले पैसे मांगने का आरोप तक लगा डाला है.
आम आदमी पार्टी की तरफ से बताया गया है कि जिन 15 विधायकों के टिकट काटे गये हैं, उसकी वजह कोई पसंद नापसंद नहीं बल्कि पार्टी का इंटरनल सर्वे है - और वो भी तीन सर्वे और रिपोर्ट के बाद ये फैसला लिया गया है.
विनय मिश्र जितने काबिल क्यों नहीं रहे आदर्श शास्त्री?
सर्वे की बात अपनी जगह है. किसी को टिकट देने या न देने का अधिकार भी आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति के पास है - लेकिन एक सवाल का शायद ही उसके पास जवाब हो कि द्वारका से टिकट पाने वाले विनय मिश्र में ऐसी क्या खासियत है जो आदर्श शास्त्री में नहीं थी?
सर्वे में टिकट काटने में एक फैक्टर विधायक को लेकर लोगों में बनी धारणा को भी आधार बताया गया है. वैसे बताते हैं कि आदर्श शास्त्री दिल्ली में फ्री वाईफाई दिये जाने वाले कार्यक्रम में भी शामिल थे. फ्री वाईफाई देने का कार्यक्रम आप के चुनावी वादे को पूरा करने के मकसद से बनाया गया था. फ्री वाईफाई के साथ ही आदर्श शास्त्री सीसीटीवी वाली कमेटी का भी हिस्सा थे. सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि आदर्श शास्त्री का टिकट काट कर जिस विनय मिश्र को उम्मीदवार बनाया गया है वो कांग्रेस के टिकट पर 2013 में चुनाव हार चुके हैं. वो पालम सीट से चुनाव लड़े थे और जमानत भी नहीं बचा सके थे - और 2020 चुनाव का टिकट मिलने से 24 घंटे पहले ही आप ज्वाइन किये थे.
विनय मिश्र की जो सबसे बड़ी योग्यता है, वो है - कांग्रेस नेता महाबल मिश्र का बेटा होना. ऐसे तो आदर्श शास्त्री भी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते हैं - अब ये बात अलग है कि 2020 में लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर महाबल मिश्र का नाम भारी पड़ा है. अरविंद केजरीवाल को विनय मिश्र से जो भी उम्मीद हो, लेकिन लगता तो ऐसा है कि कांग्रेस से भी उन्हें टिकट मिल पाता या नहीं अभी पक्का नहीं था - और उनके आप ज्वाइन करने के पीछे भी ये एक बड़ी वजह लगती है.
अब जरा 5 साल पुरानी बातें याद कीजिये - अरविंद केजरीवाल से लेकर आप के सारे नेता ये कहते नहीं थकते थे - एक ऐसा शख्स जिसके पास करोड़ों की नौकरी थी वो भी छोड़ कर जनता के लिए आ गया.
आदर्श शास्त्री तब एपल कंपनी में काम करते थे और उनका एक करोड़ से ज्यादा का पैकेज रहा - लेकिन महज 5 साल में आप की दुनिया ऐसी बदली कि वो टिकट दिये जाने के काबिल नहीं समझे गये.
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण से लेकर आशुतोष और आशीष खेतान तक आप के नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है जो एक एक करके निराश होते चले गये - आदर्श शास्त्री भी अब उसी जमात में शामिल हो चुके हैं.
कुछ सपनों की हकीकत ऐसी ही होती है, लेकिन हर किसी के लिए हो ये भी कतई जरूरी नहीं!
कमांडो सुरेंद्र तो लौटे लेकिन बाकी सब?
आदर्श शास्त्री की ही तरह कमांडो सुरेंद्र भी हैं जिनका टिकट काट दिया गया है. टिकट काटे जाने के बाद कमांडो सुरेंद्र का कहना रहा, आम आदमी पार्टी ने वीरेंद्र सिंह कादयान को टिकट दिया है लेकिन उनका कोई जनाधार नहीं है. कमांडो सुरेंद्र ने ऐसी आशंका जतायी थी कि उनकी सीट से बीजेपी आसानी से जीत जाएगी.
आप विधायक कमांडो सुरेंद्र ने ये भी कहा था कि उनके परिवार से राजनीति में कोई नहीं है और अब घर परिवार चलाने के लिए वो नौकरी की तलाश करेंगे.
सीलमपुर विधायक हाजी इशरार ने भी टिकट बंटवारे पर नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिल कर अपनी शिकायत दर्ज कराने की बात कही थी. हाजी इशरार का कहना था कि अब्दुल रहमान की जगह किसी और को टिकट दिया जाता तो वो फैसले के साथ खड़े रहते. सीलमपुर से उम्मीदवार अब्दुल रहमान पर इल्जाम है कि वो जाफराबाद में लोगों को उपद्रव के लिए भड़का रहे थे. अब्दुल रहमान का नाम भी दंगे भड़काने वाले लोगों के खिलाफ FIR में शुमार है.
कालकाजी से आप विधायक अवतार सिंह मानते हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है. अवतार सिंह का टिकट काट कर आतिशी मर्लेना को दिया गया है जो लोक सभा चुनाव हार गयी थीं. बीबीसी से बातचीत में अवतार सिंह ने अरविंद केजरीवाल की बातों का हवला दिया है, कहते हैं - 'कुछ हफ्ते पहले केजरीवाल ने हमसे कहा था कि तुम सीट हार रहे हो. मेहनत करो ग्राउंड पर. हम मेहनत कर रहे थे. हमारा दावा मजबूत था - पर मंगलवार को लिस्ट देखकर धक्का लगा.'
एक और विधायक पंकज पुष्कर भी इसके पीछे संवाद की कमी मानते हैं, कहते हैं, 'टिकट काटे जाने को लेकर खुलकर कभी कोई चर्चा नहीं की गई.'
ये बदरपुर से विधायक नारायण दत्त शर्मा के अलावा किसी ने खुल कर तो कुछ नहीं कहा है, लेकिन दबी जबान यही कह रहे हैं कि वे जल्द ही कोई फैसला लेंगे और ऐसा नहीं कर पाये तो जनता खुद जवाब देगी.
तमाम अंसतोष के बीच आम आदमी पार्टी के लिए राहत की बात यही है कि टिकट काटे जाने से नाराज होने के बावजूद कमांडो सुरेंद्र लौट आये लगते हैं. कमांडो सुरेंद्र को आप सांसद संजय सिंह ने राघव चड्ढा के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर बगल में बिठा रखा था - लेकिन कमांडो सुरेंद्र का हाव-भाव तस्वीर खुद ही बता रही है.
फिर से 'पैसे' वाला आरोप!
जब आप विधायक कपिल मिश्रा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था तो मनीष सिसोदिया सामने आये थे - और 'बकवास' की बातों के लिए वक्त नहीं होने की बात कहते हुए लौट गये. अबकी बार मनीष सिसोदिया के बचाव में संजय सिंह ने मोर्चा संभाला है.
1. आप विधायक का इल्जाम: बदरपुर से विधायक नारायण दत्त शर्मा के पैसे वाले आरोप को आम आदमी पार्टी ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी है. दरअसल, नारायण दत्त शर्मा ने कहा था, 'मनीष सिसोदिया ने मुझे अपने घर बुलाया था - और कहा था कि राम सिंह आपकी सीट से टिकट चाहते हैं जिसके लिए वो 20-21 करोड़ रुपये दे रहे हैं... उन्होंने मुझसे 10 करोड़ रुपये मांगे थे. मैं इंकार कर लौट आया.' शर्मा जिस राम सिंह का नाम ले रहे हैं वो आप उम्मीदवारों की सूची में जगह बना चुके हैं - हालांकि, उनकी छवि विवादित बतायी जा रही है. शर्मा अब कह रहे हैं कि वो आप से इस्तीफा दे चुके हैं और बदरपुर से ही बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.
शर्मा के आरोप पर आप की तरफ से राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है, 'जब किसी को टिकट नहीं मिलता तो तकलीफ में ऐसे बयान निकलना स्वाभाविक होता है.'
2. आप उम्मीदवार के बेटे का आरोप: 2019 के लोक सभा चुनाव के दौरान आप के एक उम्मीदवार के बेटे ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर ही रिश्वत लेने का आरोप लगा कर हड़कंप मचा दिया था.
ये आरोप लगाने वाला कोई और नहीं बल्कि पश्चिमी दिल्ली लोक सभा सीट से आप उम्मीदवार बलबीर सिंह जाखड़ के बेटे उदय जाखड़ रहे.
न्यूज एजेंसी ANI पर जारी हुए एक वीडियो में उदय जाखड़ ने कहा था, 'मेरे पिता ने मुझे पढ़ाई के लिए पैसे नहीं दिए और सीधे केजरीवाल को अपने राजनीतिक फायदे के लिए छह करोड़ दे दिये. मैने उनसे अपनी पढ़ाई के लिए पैसे मांगे तो मना कर दिया.
ध्यान देने वाली बात है कि बलबीर जाखड़ भी टिकट मिलने से कुछ ही वक्त पहले आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी. वैसे बलबीर जाखड़ ने खुद ही बेटे के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि ये सब उनकी छवि खराब करने की कोशिश है. तब बलबीर जाखड़ का ये भी कहना रहा कि अपने बेटे से उनकी उस दौरान कोई मुलाकात तक नहीं हुई.
आप नेता आतिशी मार्लेना से बीबीसी का सवाल था - क्या टिकट काटे जाने की सूचना इन लोगों को पहले दी गई थी?
जवाब 'हां' में देते हुए आतिशी मर्लेना ने जोड़ा, 'मैं मानती हूँ कि इन पंद्रह में से कई ने अपने कार्यकाल में अच्छा प्रदर्शन किया होगा. पर लोगों ने अगर ये भी कहा कि उनके विधायक मिलने के लिए मौजूद नहीं होते... उस बात को भी ध्यान में रखा गया. जहां भी हमने पाया कि क्षेत्र के लोग अपने विधायक से संतुष्ट नहीं थे, वहां हमने टिकट बदले हैं.'
इन्हें भी पढ़ें :
केजरीवाल, दिल्ली की सत्ता और सियासी चक्रव्यूह के 7 द्वार!
मोदी को गाली देने से तारीफें करने तक, 5 साल में कैसे बदले केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ही आम आदमी पार्टी की ताकत और कमजोरी दोनों
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.