गुजरात का बोटाद सुर्खियों में है. जहरीली शराब पीने के कारण 37 लोगों की मौत हुई है. जबकि 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. क्योंकि गुजरात में सरकार भाजपा की है और राज्य में विधानसभा चुनावों की तैयारियां तेज हैं इसलिए राज्य सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने भी अपनी कमर कस ली है. यूं तो गुजरात का रण पिछले विधानसभा चुनावों तक कांग्रेस बनाम भाजपा रहा लेकिन क्योंकि इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है मुकाबला दिलचस्प है. जैसी राजनीति गुजरात में चल रही है आम आदमी पार्टी चुन चुनकर मुद्दे उठा रही है. ऐसे में जहरीली शराब से हुई आम लोगों की मौत पार्टी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. पार्टी ने सड़क से लेकर संसद तक सब एक कर दिया है और नौबत अब संसद की अवमानना तक आ गई है. आप सांसद संजय सिंह ने मुद्दे को सदन में रखने की कोशिश की. मामले के मद्देनजर संजय कुछ इस हद तक उत्साहित हुए की नौबत उन्हें संसद की कार्रवाई से सस्पेंड करने की आ गई है.
संजय सिंह पर संसद में नारेबाजी करने, पेपर फाड़कर स्पीकर की कुर्सी की तरफ उछालने को लेकर एक्शन हुआ है. अब जबकि संजय सिंह अगले 7 दिनों तक सदन से बाहर कर दिए गए हैं. हो सकता है लोग उनके इस रवैये पर आश्चर्य जताएं. ऐसे में हम ये जरूर कहना चाहेंगे कि आप सांसद संजय सिंह ने सदन में कुर्सी पर कागज फेंककर अपनी और पार्टी दोनों की संस्कृति का परिचय दिया है. हैरत होनी ही नहीं चाहिए.
क्या हुआ था संसद में
जैसा कि हम ऊपर ही स्पष्ट कर चुके हैं. राज्य में चुनाव नजदीक होने के चलते बोटाद में जहरीले शराब से हुई 37 मौत को आम आदमी पार्टी किसी इवेंट की तरह ले रही है. ऐसे में मानसून सत्र के...
गुजरात का बोटाद सुर्खियों में है. जहरीली शराब पीने के कारण 37 लोगों की मौत हुई है. जबकि 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. क्योंकि गुजरात में सरकार भाजपा की है और राज्य में विधानसभा चुनावों की तैयारियां तेज हैं इसलिए राज्य सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने भी अपनी कमर कस ली है. यूं तो गुजरात का रण पिछले विधानसभा चुनावों तक कांग्रेस बनाम भाजपा रहा लेकिन क्योंकि इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है मुकाबला दिलचस्प है. जैसी राजनीति गुजरात में चल रही है आम आदमी पार्टी चुन चुनकर मुद्दे उठा रही है. ऐसे में जहरीली शराब से हुई आम लोगों की मौत पार्टी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. पार्टी ने सड़क से लेकर संसद तक सब एक कर दिया है और नौबत अब संसद की अवमानना तक आ गई है. आप सांसद संजय सिंह ने मुद्दे को सदन में रखने की कोशिश की. मामले के मद्देनजर संजय कुछ इस हद तक उत्साहित हुए की नौबत उन्हें संसद की कार्रवाई से सस्पेंड करने की आ गई है.
संजय सिंह पर संसद में नारेबाजी करने, पेपर फाड़कर स्पीकर की कुर्सी की तरफ उछालने को लेकर एक्शन हुआ है. अब जबकि संजय सिंह अगले 7 दिनों तक सदन से बाहर कर दिए गए हैं. हो सकता है लोग उनके इस रवैये पर आश्चर्य जताएं. ऐसे में हम ये जरूर कहना चाहेंगे कि आप सांसद संजय सिंह ने सदन में कुर्सी पर कागज फेंककर अपनी और पार्टी दोनों की संस्कृति का परिचय दिया है. हैरत होनी ही नहीं चाहिए.
क्या हुआ था संसद में
जैसा कि हम ऊपर ही स्पष्ट कर चुके हैं. राज्य में चुनाव नजदीक होने के चलते बोटाद में जहरीले शराब से हुई 37 मौत को आम आदमी पार्टी किसी इवेंट की तरह ले रही है. ऐसे में मानसून सत्र के दौरान पार्टी की तरफ से ये मुद्दा संसद में भी रखा गया. जल्द ही संजय आवेश में आ गए और उन्होंने वो किया जिसके चलते लोकतंत्र शर्मिंदा हुआ.
संजय की इस हरकत को सदन ने भी गंभीरता से लिया और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह के निलंबन की घोषणा की. साथ ही हरिवंश ने ये भी कहा कि बीते दिन उन्होंने (संजय सिंह ) ने सदन की कार्यवाही के दौरान कुर्सी पर कागज फेंका. सिंह का निलंबन संसदीय मामलों के कनिष्ठ मंत्री वी. मुरलीधरन द्वारा 'कदाचार' और 'सदन और पीठ के अधिकार की पूर्ण अवहेलना' के लिए एक प्रस्ताव के बाद किया गया था.
ध्यान रहे कि यह प्रस्ताव ध्वनिमत से किया गया. ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि सदन में गुस्ताखी सिर्फ संजय सिंह ने की है. सदन में हंगामे के चलते बीते दिन भी राज्यसभा के 19 सांसदों को सदन से अगले 6 दिनों के के लिए सस्पेंड किया गया था. बताया जा रहा है कि ये राज्यसभा सांसद सदन के वेल में प्रवेश करने और नारेबाजी करने के लिए सदन से निकाले गए हैं.
गौरतलब है कि उपसभापति ने जिन 19 सांसदों को निलंबित किया है उनमें तृणमूल के तमाम सांसद शामिल हैं. इन लोगों ने महंगाई और GST की बढ़ती दरों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. जिक्र क्यों कि संजय सिंह का हुआ है. तो भले ही अपने को भोला भाला और मासूम दिखाने के लिए उन्होंने संसद परिसर स्थित गांधी प्रतिमा का इस्तेमाल अपने धरने के लिए शुरू कर दिया हो. लेकिन पूर्व में तमाम मौके ऐसे आए हैं जब उनकी पार्टी के सुप्रीमो और अन्य नेता ऐसी गैर जिम्मेदाराना हरकत कर चुके हैं, संजय ने वही किया जो उनकी पार्टी में रचा बसा है.
अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि संजय सिंह और उनकी पार्टी को गुजरात के बोटाद में हुई आम लोगों की मौत से कोई मतलब नहीं है. चूंकि चुनावों के वक़्त लाशों पर राजनीति हमेशा ही दलों को फायदा पहुंचाती है. इसलिए संजय सिंह ने भी एक तीर से दो निशाने साधे हैं.
संजय का सदन में विरोध आम आदमी पार्टी को गुजरात में सरकार बनाने की दिशा में कितना फायदा पहुंचाता है इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन जो वर्तमान है उसने तस्दीख कर दी है कि आम आदमी पार्टी जैसा दल और उसके सांसद चुनाव जीतने के लिए किसी भी सीमा पर जाने से गुरेज नहीं करने वाले.
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