उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी योगी सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर आगामी विधानसभा चुनाव को अपने पक्ष मे लाना चाहती हैं. लेकिन सरकार के खिलाफ सपा के बजाय आम आदमी पार्टी आक्रामक दिख रही है. यूपी मे आप का ना तो मुकम्मल संगठन है और न कोई खास प्रभाव, पर यूपी सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर वो किसको फायदा पंहुचाएगी? कई शंकाएं पैदा हो रही हैं. लोगों को लग रहा है कि कहीं सपा और आप की मिलीभगत तो नहीं. समाजवादी के सूत्र बताते हैं कि मुख्य रणनिकार अखिलेश यादव की हिदायत है कि पार्टी का कोई भी वर्कर, पदाधिकारी या विधायक बहुत सोच समझ कर ही कोई आलोचनात्मक टिप्पणी करे. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का मानना है कि आलोचक को उसकी आलोचना के ही पिच पर घेर कर भाजपा विषय परिवर्तन कर उसे ध्रुवीकरण की तरफ ले जाती है.
अयोध्या जमीन खरीद मामले को उठाने पर भी भाजपा ने ऐसा ही किया. जिसके कारण सपा आरोपों के इस पिच से वापस हो गई. और अब आप सांसद संजय सिंह जमीन खरीद मे घोटाले और चंदा चोरी जैसे आरोपों के साथ सरकार को भी घेरने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के नाते सपा को जो काम करना चाहिए था वो आप का एक सांसद कर रहा है.
राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा अयोध्या में ज़मीन खरीद मामला आप और सपा दोनों ने उठाया था, पर सपा आरोपों की पिच से नदारद है और आप अकेले इस पर नए-नए साक्ष्य लाकर मंदिर ट्रस्ट और सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है. बताया जाता है कि सपा के पूर्व मंत्र पवन पांडेय साक्ष्य जुटाकर आप के सुपुर्द कर रहे हैं. अयोध्या के रहने वाले पवन पांडेय का बड़ा सामाजिक दायरा है.
मंदिर ट्रस्ट मे शामिल नहीं किए जाने से नाराज़ अंदर के कुछ लोग पवन पांडेय तक...
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी योगी सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर आगामी विधानसभा चुनाव को अपने पक्ष मे लाना चाहती हैं. लेकिन सरकार के खिलाफ सपा के बजाय आम आदमी पार्टी आक्रामक दिख रही है. यूपी मे आप का ना तो मुकम्मल संगठन है और न कोई खास प्रभाव, पर यूपी सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर वो किसको फायदा पंहुचाएगी? कई शंकाएं पैदा हो रही हैं. लोगों को लग रहा है कि कहीं सपा और आप की मिलीभगत तो नहीं. समाजवादी के सूत्र बताते हैं कि मुख्य रणनिकार अखिलेश यादव की हिदायत है कि पार्टी का कोई भी वर्कर, पदाधिकारी या विधायक बहुत सोच समझ कर ही कोई आलोचनात्मक टिप्पणी करे. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का मानना है कि आलोचक को उसकी आलोचना के ही पिच पर घेर कर भाजपा विषय परिवर्तन कर उसे ध्रुवीकरण की तरफ ले जाती है.
अयोध्या जमीन खरीद मामले को उठाने पर भी भाजपा ने ऐसा ही किया. जिसके कारण सपा आरोपों के इस पिच से वापस हो गई. और अब आप सांसद संजय सिंह जमीन खरीद मे घोटाले और चंदा चोरी जैसे आरोपों के साथ सरकार को भी घेरने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के नाते सपा को जो काम करना चाहिए था वो आप का एक सांसद कर रहा है.
राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा अयोध्या में ज़मीन खरीद मामला आप और सपा दोनों ने उठाया था, पर सपा आरोपों की पिच से नदारद है और आप अकेले इस पर नए-नए साक्ष्य लाकर मंदिर ट्रस्ट और सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है. बताया जाता है कि सपा के पूर्व मंत्र पवन पांडेय साक्ष्य जुटाकर आप के सुपुर्द कर रहे हैं. अयोध्या के रहने वाले पवन पांडेय का बड़ा सामाजिक दायरा है.
मंदिर ट्रस्ट मे शामिल नहीं किए जाने से नाराज़ अंदर के कुछ लोग पवन पांडेय तक ट्रस्ट पर आरोप लगाने वाले साक्ष्य और जानकारियां दे रहे हैं. मंदिर मामले में सपा खुद खुल कर नहीं आना चाहती. इसलिए आप हल्ला मचाकर और सपा खामोशी से इसके जरिए सरकार को घेर रही है.
तमाम चर्चाओं में लोग व्यंग्य कह रहे हैं कि सपा ने मुख्य विपक्ष की जिम्मेदारियों का ठेका आप को दे दिया है या अपनी पीआर एजेंसी समझ रखा है. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ट्वीटर की दुनिया से निकलकर बाकायदा किस दस्तावेजों के साथ भाजपा सरकार की अनिमितता के खिलाफ कब सामने आये?
जबकि आप अयोध्या जमीन खरीद ही नहीं इससे पहले बिजली, शिक्षा और तमाम अनिमितताओं के साक्ष्यों के साथ योगी सरकार को घेरती रही. भले ही आम आदमी पार्टी का उत्तर प्रदेश में कोई वजूद नहीं हो पर इस पार्टी का एक सांसद अकेले यूपी की विपक्षी ताकतों का प्रतिनिधि जैसा लगने लगा है. तमाम मुद्दों पर यूपी सरकार को घेरने वाली आप मौजूदा वक्त में राम मंदिर ट्रस्ट की जमीन खरीद में घोटाले के आरोपों की श्रृंखला जारी रखे है.
संजय सिंह आए दिन कोई नया सुबूत पेश कर रहे हैं. सपा के पूर्व मंत्री पवन पांडेय और आप सांसद संजय सिंह ने अयोध्या में जमीन खरीद पर आरोप लगाने का सिलसिला शुरू हुआ था. लेकिन अब सपा ने इस मामले पर अपने कदम पीछे कर लिए और अब अकेले आप जमीन घोटाले के नित्य नए-नए मामले सामने लाकर अपनी आक्रामकता बरकरार रखे हैं.
इस तरह अयोध्या जमीन खरीद और मंदिर चंदा चोरी का आरोप और आप सुर्खियों मे बना हुआ है. उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े विपक्षी दल पर भले ही निष्क्रिय रहने की तोहमतें लगी हों लेकिन उसने होमवर्क/ डेस्क वर्क ख़ूब किया है. बिल्कुल अलग तरीके से विपक्षी भूमिका का एक मॉडल पेश किया है. दूसरे नजरिए से देखने वाले अखिलेश यादव की कार्यशैली को एक अद्भुत रणनीति मानकर उनकी तारीफ भी कर रहे हैं.
एमएलसी चुनाव में अखिलेश की कार्यकुशलता उनके होमवर्क की दलील है. अयोध्या जमीन मामले को तूल देने से पीछे हटने को भी सपा की परिपक्वता समझा जा रहा है. अन्य दलों के विधायकों का सपा पर विश्वास जताना, सोंच समझ कर कम बोल कर भाजपा को तुष्टिकरण की राजनीति का मौका ना देने जैसी सतर्कता जैसी बातों को दोहराकर अखिलेश यादव के प्रशंसक उनके होमवर्क और डेस्क वर्क की तारीफ भी कर रहे हैं.
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