राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर अब गंभीर से खतरनाक श्रेणी की ओर बढ़ गया है. दिल्ली में जिस तरह की हवा बह रही है. कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले कई दिन दिल्ली के लोगों की सांसों पर भारी पड़ने वाले हैं. सुबह के समय दिखने वाली स्मॉग की मोटी चादर से विजिबिलिटी कम तो हो ही रही है. सुबह-सुबह टहलने वाले बुजुर्गों-युवाओं और स्कूल जा रहे बच्चों पर भी वायु प्रदूषण का गंभीर खतरा मंडरा रहा है. आसान शब्दों में कहें, तो दिल्ली एक बार फिर से गैस चैंबर बनने जा रही है. और, इस पर सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ही चल रहा है. वैसे, बताना जरूरी है कि इस साल पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. जो बीते साल की तुलना में कहीं ज्यादा हैं.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में ही प्रदेश के 19 फीसदी पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. वहीं, द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, संगरूर में पराली जलाने के मामलों में बीते साल की तुलना में 137 फीसदी का उछाल आया है. और, पटियाला में 70 फीसदी का उछाल आया है. कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन नेशनल कैपिटल रीजन एंड एडजॉइनिंग एरियाज के एक नोटिफिकेशन में बताया गया है कि पंजाब में अबतक (2 नवंबर) पराली जलाने के 21,480 मामले सामने आए हैं. जबकि, हरियाणा में कुल 2,249 मामले ही दर्ज किए गए हैं. उत्तर प्रदेश में 802, मध्य प्रदेश में 1,256 और राजस्थान में 408 मामले दर्ज किए गए हैं.
खैर, इस रिपोर्ट को देखने के बाद कोई भी आसानी से कह देगा कि अगर राजधानी दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील होती जा रही है....
राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर अब गंभीर से खतरनाक श्रेणी की ओर बढ़ गया है. दिल्ली में जिस तरह की हवा बह रही है. कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले कई दिन दिल्ली के लोगों की सांसों पर भारी पड़ने वाले हैं. सुबह के समय दिखने वाली स्मॉग की मोटी चादर से विजिबिलिटी कम तो हो ही रही है. सुबह-सुबह टहलने वाले बुजुर्गों-युवाओं और स्कूल जा रहे बच्चों पर भी वायु प्रदूषण का गंभीर खतरा मंडरा रहा है. आसान शब्दों में कहें, तो दिल्ली एक बार फिर से गैस चैंबर बनने जा रही है. और, इस पर सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ही चल रहा है. वैसे, बताना जरूरी है कि इस साल पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. जो बीते साल की तुलना में कहीं ज्यादा हैं.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में ही प्रदेश के 19 फीसदी पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. वहीं, द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, संगरूर में पराली जलाने के मामलों में बीते साल की तुलना में 137 फीसदी का उछाल आया है. और, पटियाला में 70 फीसदी का उछाल आया है. कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन नेशनल कैपिटल रीजन एंड एडजॉइनिंग एरियाज के एक नोटिफिकेशन में बताया गया है कि पंजाब में अबतक (2 नवंबर) पराली जलाने के 21,480 मामले सामने आए हैं. जबकि, हरियाणा में कुल 2,249 मामले ही दर्ज किए गए हैं. उत्तर प्रदेश में 802, मध्य प्रदेश में 1,256 और राजस्थान में 408 मामले दर्ज किए गए हैं.
खैर, इस रिपोर्ट को देखने के बाद कोई भी आसानी से कह देगा कि अगर राजधानी दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील होती जा रही है. तो, इसका बड़ा कारण पंजाब में जलाई जा रही पराली है. लेकिन, दिल्ली को गैस चैंबर बनाने का दोष अब पंजाब पर नहीं लगाया जा सकता है. क्योंकि, वहां अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ही सत्ता में आ गई है. और, अब इसके लिए केंद्र सरकार ही दोषी हो जाती है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के सीएम और आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान का एक वीडियो भी शेयर किया है. जिसमें भगवंत मान पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाने के मामलों का दोष केंद्र की भाजपा सरकार पर मढ़ते नजर आ रहे हैं. भगवंत मान का कहना है कि केंद्र की भाजपा सरकार पंजाब को पराली से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए पैसे ही उपलब्ध नहीं करा रही है.
ये ध्यान भी रखना जरूरी है कि ये वही अरविंद केजरीवाल हैं. जो पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले पराली जलाने से निपटने के लिए तमाम तरह के उपायों को गिना रहे थे. कभी पराली से कोयला, कभी खाद, कभी सीएनजी, कभी गत्ता बनाने की बात करने वाले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का दावा था कि ये सभी चीजें हाथोंहाथ बिकने के लिए तैयार हैं. लेकिन, पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाने के बावजूद न ऐसी कोई इंडस्ट्री दिखी. और, न ही इस समस्या का हल निकला. तो, अब केजरीवाल प्रदूषण पर राजनीति न करने की बात कर रहे हैं. केजरीवाल का कहना है कि प्रदूषण केवल दिल्ली और पंजाब नहीं पूरे उत्तर भारत की समस्या है. और, इससे निपटने के लिए केंद्र को सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर समाधान निकालना चाहिए. जबकि, यही केजरीवाल चुनाव पूर्व कहते नजर आते थे कि राज्य सरकारों को इस पर काम करना चाहिए.
वैसे, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम के तौर पर वायु प्रदूषण को कम करने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं. बीते सप्ताह से 150 मोबाइल एंटी स्मॉग गन वाली गाड़ियां चलाने के साथ दिल्ली सरकार ने ग्रीन वॉर रूम, ग्रीन दिल्ली एप, एंटी डस्ट कैंपेन, वाटर स्प्रिंकलर समेत कई कैंपन शुरू किए हैं. और, इसे लेकर खूब विज्ञापन किया जा रहा है. पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार पराली जलाने से रोकने के लिए खूब विज्ञापन दे रही है. खैर, विज्ञापन से इतर एक बात तय मानी जा सकती है कि अब कम से कम अगले पांच सालों तक दिल्ली में वायु प्रदूषण का जिम्मेदार पंजाब को नहीं बताया जाएगा. क्योंकि, वहां भी आम आदमी पार्टी की सरकार बन चुकी है. दिल्ली में प्रदूषण का दोष अब हरियाणा और केंद्र सरकार पर ही होगा.
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