दाती महाराज के खिलाफ लगा बलात्कार का आरोप पहली दफा तो गुरमीत रामरहीम और आसाराम बापू जैसा लगा. कुछ दाती की हरकतों और कुछ दिल्ली पुलिस के रवैये से ये केस अब यूपी के उन्नाव रेप केस जैसा लगने लगा है. खासकर कोर्ट में दिल्ली पुलिस को मिली फटकार के बाद से इस केस में भी नेताओं और पुलिस के गठजोड़ की बू आने लगी है.
उन्नाव रेप केस जैसा क्यों?
उन्नाव रेप केस में आरोपी की गिरफ्तारी में जो चीज आड़े आयी थी वो रही - नेताओं और पुलिस का गठजोड़. धीरे धीरे दाती महाराज का मामला भी उसी दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है. दोनों मामलों में एक बुनियादी फर्क ये जरूर है कि उन्नाव केस का आरोपी एक विधायक है और दाती महाराज स्वयंभू ज्योतिषी और शनि एक्सपर्ट है. 'शनि शत्रु नहीं मित्र है', ये थ्योरी दाती महाराज की ही है.
दाती के राजनीतिक कनेक्शन की नींव 20 साल पहले पड़ी नजर आती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1998 में दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव होने थे. तब तक दाती महाराज लोगों की कुंडली देख कर उनके भविष्य बताने लगा था.
बाकियों की तरह दाती ने एक नेता की कुंडली देखी और विधानसभा चुनाव में उसके जीत की भविष्यवाणी की. औरों के साथ जो भी हुआ हो, चुनाव में उस उम्मीदवार की जीत हुई तो दाती का नाम हो गया. नेता भी दाती पर इस कदर खुश हुआ कि दिल्ली के फतेहपुर बेरी का अपना पुश्तैनी उसने दान में दे दिया. देखते ही देखते दाती की किस्मत भी दिन-दूनी-रात-चौगुनी चमकने लगी - और कब राजस्थान से आकर दिल्ली में चाय बेचने वाला मदन उर्फ मदन राजस्थानी एक झटके में दाती महाराज बन गया, बहुत कम लोग रहे जिन्हें ये सब करीब से देखने को मिल पाया. कारोबारियों नेताओं के साथ साथ दाती कुछ मीडिया संस्थानों को भी साधने में सफल रहा - और वो...
दाती महाराज के खिलाफ लगा बलात्कार का आरोप पहली दफा तो गुरमीत रामरहीम और आसाराम बापू जैसा लगा. कुछ दाती की हरकतों और कुछ दिल्ली पुलिस के रवैये से ये केस अब यूपी के उन्नाव रेप केस जैसा लगने लगा है. खासकर कोर्ट में दिल्ली पुलिस को मिली फटकार के बाद से इस केस में भी नेताओं और पुलिस के गठजोड़ की बू आने लगी है.
उन्नाव रेप केस जैसा क्यों?
उन्नाव रेप केस में आरोपी की गिरफ्तारी में जो चीज आड़े आयी थी वो रही - नेताओं और पुलिस का गठजोड़. धीरे धीरे दाती महाराज का मामला भी उसी दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है. दोनों मामलों में एक बुनियादी फर्क ये जरूर है कि उन्नाव केस का आरोपी एक विधायक है और दाती महाराज स्वयंभू ज्योतिषी और शनि एक्सपर्ट है. 'शनि शत्रु नहीं मित्र है', ये थ्योरी दाती महाराज की ही है.
दाती के राजनीतिक कनेक्शन की नींव 20 साल पहले पड़ी नजर आती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1998 में दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव होने थे. तब तक दाती महाराज लोगों की कुंडली देख कर उनके भविष्य बताने लगा था.
बाकियों की तरह दाती ने एक नेता की कुंडली देखी और विधानसभा चुनाव में उसके जीत की भविष्यवाणी की. औरों के साथ जो भी हुआ हो, चुनाव में उस उम्मीदवार की जीत हुई तो दाती का नाम हो गया. नेता भी दाती पर इस कदर खुश हुआ कि दिल्ली के फतेहपुर बेरी का अपना पुश्तैनी उसने दान में दे दिया. देखते ही देखते दाती की किस्मत भी दिन-दूनी-रात-चौगुनी चमकने लगी - और कब राजस्थान से आकर दिल्ली में चाय बेचने वाला मदन उर्फ मदन राजस्थानी एक झटके में दाती महाराज बन गया, बहुत कम लोग रहे जिन्हें ये सब करीब से देखने को मिल पाया. कारोबारियों नेताओं के साथ साथ दाती कुछ मीडिया संस्थानों को भी साधने में सफल रहा - और वो दिन भी आया जब दाती स्वयंभू शनि एक्सपर्ट बन गया. दिल्ली के छतरपुर इलाके में दाती का शनिधाम मंदिर है और वहीं फतेहपुर बेरी थाने में उसके खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज हुआ है.
लगता है दाती का पुराना राजनीतिक कनेक्शन समय के साथ समृद्ध होता गया है - और बलात्कार का केस दर्ज होने के बावजूद उसका गिरफ्तार अब तक न होना उन्नाव केस की याद दिला रहा है.
1. जिस तरह उन्नाव के बीजेपी एमएलए कुलदीप सिंह सेंगर बवाल मचने पर गायब हो गये और फिर एसएसपी ऑफिस में अचानक प्रकट हुए, दाती का मामला भी मिलता-जुलता दिखता है. पुलिस के केस दर्ज करने के साथ ही दाती गायब हो गया. फिर एक दिन अचानक दिल्ली पुलिस के पास पहुंच गया. खबर आयी कि दिल्ली पुलिस ने दाती से 100 सवाल पूछे, लेकिन पुलिस को मामला इतना गंभीर नहीं लगा कि आरोपी को गिरफ्तार किया जाय.
2. जिस तरह यूपी पुलिस कुलदीप सेंगर को लेकर सबूत नहीं होने का दावा करती रही, दिल्ली पुलिस भी बिलकुल वैसा ही कर रही है. उन्नाव केस में जब हाई कोर्ट की सख्ती हुई तभी सीबीआई ने भी सेंगर को गिरफ्तार किया - और फिर पता चला कि सेंगर के खिलाफ काफी सबूत मिल रहे हैं. यूपी पुलिस की तरह ही दिल्ली पुलिस को भी कोर्ट ने फटकार लगायी है.
3. उन्नाव केस में सेंगर की ओर से सफाई और बयान आते रहे कि निजी दुश्मनी के चलते फर्जी आरोप लगाये गये. दाती का भी कहना है कि पैसे के लेन देन के विवाद के चलते उसे फंसाने की कोशिश हो रही है.
4. उन्नाव रेप केस में भी आरोपी के बाहुबली होने और उसके असर के चलते पुलिस द्वारा गिरफ्तार न करने को लेकर बवाल मचा रहा. एक चर्चा ये भी रही कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हिदायत पर पुलिस ने गिरफ्तारी का एक्शन प्लान भी तैयार कर लिया था, लेकिन तभी दिल्ली से किसी मंत्री के फोन के चलते पुलिस को रुक जाने को कह दिया गया. दाती केस में अभी ऐसी कोई चर्चा सामने नहीं आयी है, पर, परिस्थितियां उसी ओर साफ तौर पर इशारा कर रही हैं.
कोर्ट में इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर (IO) से सवाल-जवाब
दाती महाराज रेप केस में दिल्ली के साकेत कोर्ट में क्राइम ब्रांच को जवाब नहीं देते बना. चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट का सवाल था कि 15 दिन बीत जाने के बावजूद दाती की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई. कोर्ट के सवालों पर IO यानी जांच अधिकारी को काफी पसोपेश में देखा गया. कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा कि अब तक केस में ऐसे क्या कदम उठाये गये हैं जिससे पूछताछ के दौरान आरोपी की मौजूदगी सुनिश्चित दिखे. ये कैसे तय हो कि आरोपी फरार न हो?
जांच अधिकारी से कोर्ट का सवाल था - क्या आरोपी उन दो पतों पर मिला था जिन पर वारंट जारी हुआ था?
जांच अधिकारी की तरफ से कोर्ट को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला और कोर्ट को पुलिस के लिए अलग से हुक्म जारी करना पड़ा. नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने डीसीपी क्राइम ब्रांच को निगरानी के निर्देश दिये और हर हफ्ते कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा. केस में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होनी है.
केस को लेकर कुछ सवाल
1. केस दर्ज हो जाने और पूछताछ होने के बाद बावजूद अब तक दाती महाराज की गिरफ्तारी क्यों नहीं? जो कोर्ट का सवाल रहा वही प्रश्न हर किसे सामने में है. सवाल का जवाब अब तक नहीं मिला है. क्या उन्नाव केस की ही तरह दिल्ली पुलिस पर भी कोई दबाव है?
2. क्या दाती केस में दिल्ली पुलिस पर कोई राजनीतिक दबाव है? कोर्ट में पुलिस अधिकारी का कोई साफ जवाब न दे पाना इस शक को और गंभीर बना रहा है. ऐसा लगता है जैसे पुलिस की जांच को राजनीतिक तौर पर प्रभावित करने की कोशिश चल रही हो. तो क्या दाती को कोई नेता बचा रहा है? क्या दाती को बचाये जाने में उस नेता या उसके किसी करीबी का हाथ है जिसने अपना पुश्तैनी मंदिर दान में दिया था? क्या इसमें एक ही नेता का रोल है या एक से ज्यादा नेताओं का?
3. आखिर वो कौन सा दबाव है जिसके चलते IO को कोर्ट की फटकार सुननी पड़ी? जो कुछ कोर्ट में हुआ, वो कोई पहली बार नहीं हुआ. शक इसलिए गहरा रहा है कि केस का आरोपी रखूसवाला है.
4. आखिर वो कौन सी मजबूरी है कि IO कोर्ट में भी निडर होकर अपनी बात नहीं कह पा रहा?
क्या जांच अधिकारी को किसी तरह के अन्य दबाव में काम करना पड़ रहा है? आखिर ये किस तरह का दबाव हो सकता है? क्या वैसे ही जैसे यूपी पुलिस के अफसरान सेंगर को आखिर तक अपनी ओर से क्लीन चिट देते रहे. 'माननीय' कह कर संबोधित करते रहे. क्या दिल्ली पुलिस भी कुछ उसी तरह के दबाव में काम करने को मजबूर हो रही है?
5. इंडिया गेट पर या कहीं और अब तक कोई कैंडल मार्च देखने को क्यों नहीं मिला?
जब कठुआ और उन्नाव गैंग रेप को लेकर बवाल मचा था तो इंडिया गेट पर आधी रात को कैंडल मार्च निकाला गया था. मार्च का नेतृत्व भी कोई और नहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर रहे थे और सपोर्ट में उनकी बहन प्रियंका वाड्रा पूरी मुस्तैदी के साथ मौजूद रहीं. क्या दाती केस में किसी को दम नजर नहीं आता? या फिर कोई चुनावी माहौल नहीं है, इसलिए? वैसे उन दिनों कर्नाटक में चुनाव प्रचार चरम पर रहा.
ये तो कोई पूछने से रहा, लेकिन पूछा भी जाय तो बचाव में फौरी दलील हो सकती है कि हर मुद्दे पर मार्च तो संभव नहीं है. बिलकुल ठीक. मगर, दिल्ली में एक ऐसे शख्स पर रेप का इल्जाम लगा है जो रसूखवाला है, जिसके बड़े बड़े लोगों से संपर्क हैं, जिसके नेताओं से संपर्क बताये जाते हैं - अगर यूं ही बाहर घूमता रहा तो क्या वो पीड़ित को डराना-धमकाना और अगर सबूत हैं तो उन्हें मिटाने की कोशिश नहीं करेगा? अगर कोई गवाह है तो उसे प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा?
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