पी. चिदंबरम CBI रिमांड पर हैं और कांग्रेस के जाट नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा से जुड़े एक केस में सुनवाई भी अब शुरू हो चुकी है. तमाम कोशिशों के बावजूद देश के बेहतरीन वकीलों की टीम न तो चिदंबरम को गिरफ्तारी से बचा पायी और न ही CBI रिमांड से. कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल के हमले दिल्ली हाई कोर्ट के जज पर अभी तक रुके नहीं हैं. लगता नहीं कि सिब्बल को जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिंघवी की सलाहों की कोई परवाह भी है.
मानेसर जमीन घोटाले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के अलावा 33 अन्य आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट पहले ही फाइल कर रखी है. आरोपियों में बिल्डर और पूर्व आईएएस अफसर भी शामिल हैं. जमीन घोटाले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री सहित 34 के खिलाफ 17 सितंबर 2015 को केस दर्ज किया था. ध्यान देने वाली बात ये है कि इसी मामले में ED ने भी हुड्डा के खिलाफ साल भर बाद सितंबर, 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया था.
अब बीजेपी नेतृत्व मोदी-शाह के 'कांग्रेस मुक्त भारत' अभियान की कौन कहे, अब तो ऐसा लगने लगा है जैसे एक एक करके कांग्रेस नेताओं के अच्छे दिन जाने ही वाले हैं. वैसे भी कांग्रेस में भूपिंदर सिंह हुड्डा भी पी. चिदंबरम की तरह सॉफ्ट टारगेट हैं - और ये दोनों ही जांच एजेंसियों के लिए आने वाले दिनों में इंद्राणी मुखर्जी के रोल में पूरी तरह फिट हो सकते हैं.
तू चल मैं आता हूं...
जब भी किसी क्रिकेट मैच में धड़ाधड़ विकेट गिरने लगते हैं तो दर्शकों के मन में ये मुहावरा घूमने लगता है - 'तू चल मैं आता हूं...' CBI और पी. चिदंबरम के बीच चली 24 घंटे की लुकाछिपी के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे कांग्रेस नेताओं का मामला भी ऐसा ही लगने लगा है. शायद इसलिए भी क्योंकि CBI और ED का कॉकटेल बेहद सक्रिय हो...
पी. चिदंबरम CBI रिमांड पर हैं और कांग्रेस के जाट नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा से जुड़े एक केस में सुनवाई भी अब शुरू हो चुकी है. तमाम कोशिशों के बावजूद देश के बेहतरीन वकीलों की टीम न तो चिदंबरम को गिरफ्तारी से बचा पायी और न ही CBI रिमांड से. कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल के हमले दिल्ली हाई कोर्ट के जज पर अभी तक रुके नहीं हैं. लगता नहीं कि सिब्बल को जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिंघवी की सलाहों की कोई परवाह भी है.
मानेसर जमीन घोटाले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के अलावा 33 अन्य आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट पहले ही फाइल कर रखी है. आरोपियों में बिल्डर और पूर्व आईएएस अफसर भी शामिल हैं. जमीन घोटाले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री सहित 34 के खिलाफ 17 सितंबर 2015 को केस दर्ज किया था. ध्यान देने वाली बात ये है कि इसी मामले में ED ने भी हुड्डा के खिलाफ साल भर बाद सितंबर, 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया था.
अब बीजेपी नेतृत्व मोदी-शाह के 'कांग्रेस मुक्त भारत' अभियान की कौन कहे, अब तो ऐसा लगने लगा है जैसे एक एक करके कांग्रेस नेताओं के अच्छे दिन जाने ही वाले हैं. वैसे भी कांग्रेस में भूपिंदर सिंह हुड्डा भी पी. चिदंबरम की तरह सॉफ्ट टारगेट हैं - और ये दोनों ही जांच एजेंसियों के लिए आने वाले दिनों में इंद्राणी मुखर्जी के रोल में पूरी तरह फिट हो सकते हैं.
तू चल मैं आता हूं...
जब भी किसी क्रिकेट मैच में धड़ाधड़ विकेट गिरने लगते हैं तो दर्शकों के मन में ये मुहावरा घूमने लगता है - 'तू चल मैं आता हूं...' CBI और पी. चिदंबरम के बीच चली 24 घंटे की लुकाछिपी के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे कांग्रेस नेताओं का मामला भी ऐसा ही लगने लगा है. शायद इसलिए भी क्योंकि CBI और ED का कॉकटेल बेहद सक्रिय हो चला है - और किसी भी आरोपी के हत्थे चढ़ने की स्थिति में अधेड़ अफसर भी ऐसे दीवार फांद रहे हैं जैसे अभी अभी ट्रेनिंग पूरी कर पहली तैनाती में आये नये नये रंगरूट हों. कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के बाद पी. चिदंबरम जब घर लौटे तब बहुत थके थे और आराम करना चाहते थे - लेकिन सीबीआई के अफसर कतई देने के मूड में नहीं रहे. एक बार कंधे पर हाथ रखा तो उठा ही ले गये और फिर बता दिया - यू आर अंडर अरेस्ट!
22 अगस्त को जब दिल्ली में पी. चिदंबरम को CBI ने स्पेशल कोर्ट में पेश किया था, लगभग उसी वक्त पंचकूला में भूपिंदर सिंह हुड्डा भी सीबीआई अदालत में पेशी के लिए पहुंचे हुए थे. पंचकूला के स्पेशल सीबीआई कोर्ट में हुड्डा सहित 34 आरोपियों की पेशी के बाद आरोपों पर बहस शुरू हुई और ये सुनवाई करीब पांच घंटे तक चली. फिर अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 18 सितंबर मुकर्रर कर दी.
भूपिंदर सिंह हुड्डा तो सुनवाई के बाद अगली तारीख की तैयारी के लिए घर लौट आये, लेकिन चिदंबरम पांच दिन की रिमांड पर फिर से सीबीआई मुख्यालय ले जाये गये.
भूपिंदर हुड्डा को अभी ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं लगती क्योंकि केस का ट्रायल तो अभी शुरू ही हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे सभी कांग्रेस नेताओं के लिए एक ही बार कह दिया है - 'जमानत पर हैं तो एन्जॉय करिये!' वैसे ये बात मोदी ने तब कही थी जब लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार को चैलेंज करते हुए कहा था - 'भ्रष्टाचार के मामले हैं तो गिरफ्तार क्यों नहीं करते?
चिदंबरम की गिरफ्तारी पर सोशल मीडिया पर तो लोग अपने अपने तरीके से रिएक्ट कर ही रहे हैं - अमरवाणी भी गूंजने लगी है. ट्विटर पर प्रकट होकर अमर सिंह ने कार्ती चिदंबरम के बयानों के संदर्भ में कहा है, 'अमित शाह को जेल की रोटियां खिलाईं हैं, तो अब थोड़ा आपके पिता भी खाएं.'
कौन बनेगा अगला 'इंद्राणी मुखर्जी'?
अब कांग्रेस का कौन नेता शिकार होने वाले है, उससे पहले ये समझना जरूरी है कि 'इंद्राणी मुखर्जी' के सीन से गायब हो जाने के बाद आगे का रोल कौन निभाएगा? ये इंद्राणी मुखर्जी ही हैं जिसे लीगल-टूल बनाकर सीबीआई पी. चिदंबरम तक पहुंची और वो हत्थे चढ़ गये. वरना, INX मीडिया केस में तो चिदंबरम के बेटे कार्ती पहले ही सीबीआई रिमांड और जेल यात्रा कर आये हैं - और फिलहाल जमानत पर हैं.
मानेसर जमीन घोटाला तभी का है जब हरियाणा कांग्रेस की भूपिंदर हुड्डा सरकार रही. सरकार की ओर से एक बार 27 अगस्त 2004 और फिर 25 अगस्त 2005 को भूमि अधिग्रहण के तहत मानेसर के नौरंगपुर और लखनौला गांव में 912 एकड़ जमीन ले ली गयी. इस भूमि अधिग्रहण में बिल्डरों को फायदा पहुंचाने का आरोप है. हुड्डा के खिलाफ नेशनल हेराल्ड केस में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को एक प्लॉट के आवंटन के लिए भी वो जांच के घेरे में हैं. बताते हैं कि सीबीआई ने इन जमीन सौदों को लेकर हुड्डा से घंटों पूछताछ कर चुकी है.
फर्ज कीजिए हुड्डा अगर इंद्राणी मुखर्जी की तरह देशहित में जांच एजेंसियों की मदद के लिए तैयार हो गये, फिर तो रॉबर्ट वाड्रा का शिकार होना तय समझा जाना चाहिये. अगर जांच एजेंसियों को आगे बढ़ने के तौर तरीके को इसे ही आधार माना जाये तो जैसे सीबीआई इंद्राणी मुखर्जी की मदद से चिदंबरम तक पहुंची, चिदंबरम के जरिये सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक पहुंचने में कितनी देर लगेगी. ठीक वैसे ही हुड्डा के हत्थे चढ़ते ही अगला निशाना तो रॉबर्ट वाड्रा ही होंगे और इसमें संदेह वाली कोई बात तो लगती नहीं.
हुड्डा ने हाल ही में रोहतक में एक रैली की थी. रैली के जरिये हुड्डा ने एक साथ दो निशाने भी साधे थे, लेकिन आगे क्या करेंगे ऐसा कुछ अब तक नहीं बताया है. रैली में कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर दिखाते हुए हुड्डा ने मोदी सरकार के धारा 370 पर फैसले को सही बताया था. ऐसा लगता है धारा 370 का सपोर्ट कर वो मोदी सरकार से कुछ नरम रुख की अपेक्षा कर रहे हों.
हुड्डा के कांग्रेस से अलग होकर अपनी नयी पार्टी बनाने के भी कयास लगाये गये हैं. देखना होगा कि वो भजनलाल और बंसीलाल की तरह क्षेत्रीय राजनीति में जगह बनाने की कोशिश करते हैं या फिर यूपी में शिवपाल यादव की तरह किसी हिडेन एजेंडे के तहत काम करने का प्लान बना चुके हों. रैली में हुड्डा ने आगे की रणनीति के लिए 25 लोगों की एक कमेटी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो सका है. राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देने के मौके पर हुड्डा की सोनिया और राहुल गांधी से भेंट भी हुई - और अंदाज बिलकुल पुराना ही रहा. लगता है हुड्डा के मन में कुछ और चल रहा है.
चिदंबरम की गिरफ्तारी कांग्रेस पर आसमान टूट पड़ने जैसी घटना है - जिसका दूरगामी असर देखने को मिल सकता है. मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर चिदंबरम काफी हमलावर रहे हैं. हाल के घटनाक्रम ही कुछ ऐसे हुए कि चिदंबरम को सीबीआई ने उठा लिया. अगर दिल्ली हाई कोर्ट से चिदंबरम की अग्रिम जमानत की अर्जी रद्द नहीं हुई रहती तो ये मुसीबत कुछ दिन और टल सकती थी. जाहिर है चिदंबरम अगर बाहर होते तो अर्थव्यवस्था से लेकर जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात तक हर बात पर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे होते. कश्मीर में तो विपक्षी नेताओं पहले से ही नजरबंद हैं, लेकिन चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद लोगों का ध्यान उससे हट गया है - अब हर किसी की नजर इस ओर है कि चिदंबरम के बाद किसका नंबर हो सकता है? मनी लॉन्ड्रिंग के केस में रॉबर्ट वाड्रा, सुनंदा पुष्कर केस में शशि थरूर, नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी और सोनिया गांधी?
2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान गुजरात के जूनागढ़ की एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘पिछले पांच साल के कार्यकाल में मैं उन्हें जेल के दरवाजों तक लाने में कामयाब रहा हूं... मुझे पांच साल और दें और वे जेल के अंदर होंगे.’
चुनाव जीतने के बाद सरकार की कोशिश हर संभव चुनावी वादों को पूरा करने की होती है - और मोदी सरकार दूसरा कार्यकाल शुरू होने के 100 दिन के भीतर ही तेजी से इस मामले में आगे बढ़ रही है. सरकारी अफसरों काम तो यही होता है कि सरकार के कार्यक्रमों का क्रियान्वयन जल्द से जल्द करें - जब चुनावी वादे ही ऐसे हों और लोग उसी के नाम पर वोट दिये हों तो स्वाभाविक है जांच एजेंसियां भी तो वैसी ही सक्रियता दिखाएंगी. वैसे भी सीबीआई को 'पिंजरे के तोते' का तमगा अभी तो मिला नहीं है.
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