चीन का नाम सुनते ही आजकल सबसे पहला विचार आता है कोराना वायरस का. जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचाकर रख दिया है. लाखों लोगों की जान को लील जाने वाला कोरोना वायरस कितना खतरनाक है ये हम सब अच्छी तरह से जानते हैं. यह वायरस कैसे फैला और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ये अभी भी संदेह के दायरे में है. दुनिया के कई देश चीन को शक की निगाह से देखते हैं और मानते हैं कि यह वायरस प्राकृतिक न होकर चीन के वुहान शहर के लैब से फैला है. यह चीन की साजिश भी हो सकती है. या फिर चीन के लैब से किसी गलती के कारण यह वायरस फैल गया. अमेरिका सहित दुनिया के कई देश चीन में जाकर इसकी जांच करना चाहते हैं. लेकिन चीन अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ है. चीन का कहना है कि उसने पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृव्य में अंतराष्ट्रीय विशेषज्ञों का दौरा वुहान शहर के लैब में कराया था, जिसमें काफी सारी पड़ताल की गई. लेकिन वायरस चीन के लैब से निकला इसको लेकर कोई भी सबूत नहीं मिला है.
अब अमेरिका को चाहिए कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृव्य में अंतराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम को अपने देश के लैबों की पड़ताल करवाए क्योंकि यह वायरस उसकी देन है. जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी एजेंसियों से कहा है कि 90 दिनों के भीतर पता लगाएं कि यह वायरस कहां से फैला है और इसमें चीन की क्या भूमिका है.
चीन वायरस की उत्पत्ति के प्रकरण में शुरू से ही अमेरिका को ही घेरता रहा है. जबकि अमेरिका इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराता है. दुनिया में कोरोना वायरस का सबसे पहला असर चीन में ही देखने को मिला था जो तीन महीने के अंदर दुनिया भर के 70 फीसदी से अधिक देशों तक जा पहुंचा था. चीन लाख अपनी सफाई पेश करे पर सच्चाई...
चीन का नाम सुनते ही आजकल सबसे पहला विचार आता है कोराना वायरस का. जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचाकर रख दिया है. लाखों लोगों की जान को लील जाने वाला कोरोना वायरस कितना खतरनाक है ये हम सब अच्छी तरह से जानते हैं. यह वायरस कैसे फैला और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ये अभी भी संदेह के दायरे में है. दुनिया के कई देश चीन को शक की निगाह से देखते हैं और मानते हैं कि यह वायरस प्राकृतिक न होकर चीन के वुहान शहर के लैब से फैला है. यह चीन की साजिश भी हो सकती है. या फिर चीन के लैब से किसी गलती के कारण यह वायरस फैल गया. अमेरिका सहित दुनिया के कई देश चीन में जाकर इसकी जांच करना चाहते हैं. लेकिन चीन अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ है. चीन का कहना है कि उसने पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृव्य में अंतराष्ट्रीय विशेषज्ञों का दौरा वुहान शहर के लैब में कराया था, जिसमें काफी सारी पड़ताल की गई. लेकिन वायरस चीन के लैब से निकला इसको लेकर कोई भी सबूत नहीं मिला है.
अब अमेरिका को चाहिए कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृव्य में अंतराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम को अपने देश के लैबों की पड़ताल करवाए क्योंकि यह वायरस उसकी देन है. जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी एजेंसियों से कहा है कि 90 दिनों के भीतर पता लगाएं कि यह वायरस कहां से फैला है और इसमें चीन की क्या भूमिका है.
चीन वायरस की उत्पत्ति के प्रकरण में शुरू से ही अमेरिका को ही घेरता रहा है. जबकि अमेरिका इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराता है. दुनिया में कोरोना वायरस का सबसे पहला असर चीन में ही देखने को मिला था जो तीन महीने के अंदर दुनिया भर के 70 फीसदी से अधिक देशों तक जा पहुंचा था. चीन लाख अपनी सफाई पेश करे पर सच्चाई तो यह ही है कि चीन में कई बार विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम जांच के लिए पहुंची लेकिन चीन ने इन जांच में बहुत हद तक सहयोग नहीं किया.
इसी बौखलाहट में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिग पर रोक लगा दी थी जोकि नए राष्ट्रपति जो बाइडन के चुने जाने के बाद से दुबारा से शुरू हो गई. जो बाइडन भी अब कोरोना वायरस की उत्पत्ति की वजह जानना चाहते हैं और चीन को संदेह भरी नज़र से देखते हैं इसीलिए अब यह घमासान फिर से शुरू हो चुका है.
अमेरिका और चीन के बीच कोरोना की उत्पत्ति को लेकर जंग छिड़ी ही थी कि चीन से एक और बुरी खबर सामने आ चुकी है. अभी तक जानवरों में फैलने वाला बर्ड फ्लू अब इंसानों में भी फैलने लगा है. दुनिया भर में इस तरह का पहला मामला चीन में नज़र आया है जहां एक 41 वर्षीय शख्स में बर्ड फ्लू का H10N3 स्ट्रेन पाया गया है.
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि भी कर दी है लेकिन वह यह बताने में नाकाम रहा है कि आखिर यह व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित कैसे हुआ है. हालांकि विभाग ने दावा किया है कि यह वायरस इतना खतरनाक नहीं है और इसका बड़े पैमाने पर फैलने की संभावना भी बेहद कम है. इस व्यक्ति के संपर्क में आए लोग भी स्वस्थ हैं यानी यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलता है.
साथ ही विशेषज्ञों की टीम ने सलाह देते हुए कहा है कि मरे हुए मुर्गे या पक्षियों के संपर्क में आने से बचना चाहिए यह बीमारी उसी की वजह से हुई है. चीन में जन्म लेती नई नई बीमारियां और वायरस ने अब चीन को विश्वस्तर पर घेरना शुरू कर दिया है. चीन की भूमिका को सभी देश शक की निगाह से देखने लग गए हैं.
एक अमेरिकी खूफिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन में कोरोना वायरस फैलने से पहले वुहान लैब के 4 सदस्यों में कोरोना के लक्षण देखे गए थे जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया गया था. हालांकि अमेरिकी एजेंसी जांच में जुटी हुई है लेकिन चीन का इस जांच में सहयोग करना न के बराबर नज़र आता है. अमेरिका लगातार दुनिया के अन्य देशों से कह रहा है कि सभी मिलकर चीन के ऊपर दबाव बनाएं ताकि चीन में जांच शुरू हो सके.
चीन पर न सिर्फ कोरोना बल्कि सार्स वायरस को भी लैब के ज़रिए ही फैलाए जाने के आरोप लग रहे हैं. दुनिया भर के कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वायरस भी प्राकृतिक नहीं था बल्कि इस वायरस को तैयार किया गया था. अब सवाल यही उठता है कि आखिर चीन के खिलाफ जांच कब और कैसे हो पाएगी और अगर चीन वायरस को साजिशन फैलाए जाने का आरोपी साबित हुआ तो क्या उसका वैश्विक बहिष्कार हो पाएगा या फिर किस तरह की पाबंदियां लग पाएंगी.
वर्तमान समय में चीन लगभग दुनिया भर के बाजारों में एक बड़ा स्थान रखता है ऐसे में उस पर पाबंदी लगा पाना भी तो इतना आसान काम नहीं है. क्या होगा यह अगले कुछ समय के बाद साफ हो जाएगा लेकिन चीन की भूमिका संदिग्ध है इस पर कोई भी दो राय नहीं है.
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