'भले ही आप मंगल ग्रह पर क्यों ना फंस गए हों, भारतीय दूतावास वहां भी आपकी मदद करेगा.'
ये वो लाइन है, जो सुषमा स्वराज ने ट्वीट की थी. एक ही लाइन से उन्होंने अपनी मंशा और इरादे साफ कर दिए थे. जैसा उन्होंने कहा, पूरी जिंदगी वैसा किया भी. किसी भी देश में कोई भी व्यक्ति फंसा होता था, तो महज एक ट्वीट कर के सुषमा स्वराज से मदद पा सकता था. अब आप ही सोचिए इससे आसान क्या होगा कि सिर्फ एक ट्वीट कर दिया और मदद आपके पास पहुंच जाए. सुषमा स्वराज वह महिला थीं, जिन्होंने ट्विटर को सिर्फ प्रतिक्रियाएं देने और मौज-मस्ती करने का प्लेटफॉर्म बने रहने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि ट्विटर को एक हेल्पलाइन बना दिया, जिसके जरिए देश-विदेश से लोग सुषमा स्वराज की मदद पा सकते थे.
ट्विटर के जरिए सुषमा स्वराज ने देश-विदेश में हजारों लोगों की मदद की. अब उनकी मौत पर जहां एक ओर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है, वहीं विदेशों में बसे भारतीय भी दुखी हैं. इसके अलावा वो लोग भी दुखी हैं, जो विदेशों में हैं, लेकिन सुषमा स्वराज ने कभी न कभी उनकी मदद की थी. सुषमा स्वराज की मौत पर उनसे मदद पाए लोगों के दिल का दर्ज छलक उठा है. देखिए अपनी हीरो को खोने पर ये लोग क्या कह रहे हैं.
1- गीता से ज्यादा दुखी कौन होगा !
26 अक्टूबर 2015 को सुषमा स्वराज के प्रयासों की वजह से मूक-बधिर लड़की गीता को पाकिस्तान के चंगुल से छुड़ाकर उसे देश वापस लाया जा सका था. आपको बता दें कि गीता भटककर पाकिस्तान जा पहुंची थी. गीता को देश वापस लाकर इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर में भेज दिया गया था.
जरा...
'भले ही आप मंगल ग्रह पर क्यों ना फंस गए हों, भारतीय दूतावास वहां भी आपकी मदद करेगा.'
ये वो लाइन है, जो सुषमा स्वराज ने ट्वीट की थी. एक ही लाइन से उन्होंने अपनी मंशा और इरादे साफ कर दिए थे. जैसा उन्होंने कहा, पूरी जिंदगी वैसा किया भी. किसी भी देश में कोई भी व्यक्ति फंसा होता था, तो महज एक ट्वीट कर के सुषमा स्वराज से मदद पा सकता था. अब आप ही सोचिए इससे आसान क्या होगा कि सिर्फ एक ट्वीट कर दिया और मदद आपके पास पहुंच जाए. सुषमा स्वराज वह महिला थीं, जिन्होंने ट्विटर को सिर्फ प्रतिक्रियाएं देने और मौज-मस्ती करने का प्लेटफॉर्म बने रहने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि ट्विटर को एक हेल्पलाइन बना दिया, जिसके जरिए देश-विदेश से लोग सुषमा स्वराज की मदद पा सकते थे.
ट्विटर के जरिए सुषमा स्वराज ने देश-विदेश में हजारों लोगों की मदद की. अब उनकी मौत पर जहां एक ओर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है, वहीं विदेशों में बसे भारतीय भी दुखी हैं. इसके अलावा वो लोग भी दुखी हैं, जो विदेशों में हैं, लेकिन सुषमा स्वराज ने कभी न कभी उनकी मदद की थी. सुषमा स्वराज की मौत पर उनसे मदद पाए लोगों के दिल का दर्ज छलक उठा है. देखिए अपनी हीरो को खोने पर ये लोग क्या कह रहे हैं.
1- गीता से ज्यादा दुखी कौन होगा !
26 अक्टूबर 2015 को सुषमा स्वराज के प्रयासों की वजह से मूक-बधिर लड़की गीता को पाकिस्तान के चंगुल से छुड़ाकर उसे देश वापस लाया जा सका था. आपको बता दें कि गीता भटककर पाकिस्तान जा पहुंची थी. गीता को देश वापस लाकर इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर में भेज दिया गया था.
जरा सोचिए सुषमा स्वराज की मौत होने से गीता से अधिक दुखी कौन हो सकता है. गीता बोल तो नहीं सकती हैं, लेकिन साइन लैंग्वेज के जरिए ही उन्होंने सुषमा स्वराज की मौत पर दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
2- पत्नी की तस्वीर संग यात्रा करने वाले फोटोग्राफर याद हैं?
ये बात करीब 3 साल पहले की है, जब दिल्ली के एक फोटोग्राफर फैजान पटेल ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें वह अपनी पत्नी की तस्वीर के साथ यात्रा करते दिखे थे. दरअसल, वह पत्नी के साथ हनीमून के लिए यूरोप जा रहे थे, लेकिन ऐन मौके पर पत्नी सना का पासपोर्ट खो गया, जिसके बाद फैजान ने तस्वीर के साथ यात्रा करने की तस्वीर डाली थी. वह ट्वीट देखते ही सुषमा स्वराज ने उन्हें रिप्लाई किया था- 'अपनी पत्नी से कहिए मुझसे संपर्क करें. मैं सुनिश्चित करूंगी कि वह जल्द से जल्द आपके साथ वाली सीट पर हों.'
सुषमा स्वराज की मौत पर फैजान ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है- आज से 3 साल पहले मैंने एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसके बाद सुषमा स्वराज ने मेरी पत्नी को पासपोर्ट दिलवाने में मदद की थी.
3- आयरलैंड की महिला बोलीं- भारत ने एक आइकन खो दिया
ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही लोग सुषमा स्वराज की मौत से दुखी हैं. सुषमा स्वराज वह महिला हैं, जिन्होंने विदेशियों की भी खूब मदद की है. आयरलैंड की Agratha भी उनमें से ही एक हैं, जिन्हें परमिट दिलाने में सुषमा स्वराज ने काफी मदद की थी.
सुषमा स्वराज की मौत पर Agratha वह भी काफी दुखी हैं. उन्होंने ट्वीट किया है कि भारत ने एक आइकन खो दिया है. यह भी लिखा है कि मैंने अपना हीरो खो दिया. उन्होंने यह भी लिखा है कि वह ये कभी नहीं भूलेंगी कैसे सुषमा स्वराज ने उनकी मदद की थी. वह जर्मनी में बिना पासपोर्ट और बिना पैसे के फंस गई थीं. सुषमा स्वराज ने उनकी मदद की थी.
4- हामिद ने दिया सुषमा स्वराज को मां का दर्जा
हामिद अंसारी तो आपको याद ही होंगे. मुंबई के वो शख्स जो 6 साल तक पाकिस्तान की जेल में बंद रहे. सुषमा स्वराज की कोशिशों के चलते वह रिहा हो सके. आपको बता दें कि हामिद एक फेसबुक फ्रेंड से मिलने बिना वीजा के ही पाकिस्तान चले गए थे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. सुषमा स्वराज की मौत पर हामिद अंसारी ने कहा है- 'मेरे दिल में उनके लिए गहरा सम्मान है और वे हमेशा मेरे दिल में जिंदा रहेंगी. वह मेरी मां के जैसी थीं. पाकिस्तान से लौटने के बाद उन्होंने ही मेरा मार्गदर्शन किया. उनकी मौत मेरे लिए बहुत बड़ा नुकसान है.'
5- दूसरों के लिए मदद मांगने वाले भी कर रहे याद
सुषमा स्वराज की मौत पर उन्हें याद करने वालों में ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने किसी और की मदद के लिए सुषमा से गुहार लगाई थी और उन्हें मदद मिली. ऐसे ही एक शख्स हैं अभिषेक दुबे, जिन्होंने सुषमा स्वराज को याद करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि वह लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी.
6- एक शख्स को शहीद भाई के अंतिम संस्कार में पहुंचाने में की मदद
अभिषेक दुबे की तरह ही साध्वी जया भारती ने भी निखिल महाजन नाम के एक शख्स के लिए मदद मांगी थी. निखिल अपने भाई शहीद कैप्टन तुशार के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भारत आना चाहते थे, जिसमें सुषमा स्वराज की मदद चाहिए थी. सुषमा स्वराज ने उनकी तुरंत मदद की.
जया ने सुषमा स्वराज की मौत पर एक ट्वीट करते हुए लिखा है- सुबह उठने का साथ ही सुषमा स्वराज जी के आकस्मिक निधन की खबर मिली. देश के सबसे अच्छे विदेश मंत्रियों में से एक. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.
7- सरबजीत की बहन को तो यकीन ही नहीं हो रहा
इन लोगों के अलावा सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौन ने भी सुषमा स्वराज की मौत पर दुख जताया है. उन्होंने कहा है- ‘विश्वास नहीं हुआ कि वह इतनी जल्दी हमें छोड़ कर चली गईं, अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है. पूरे देश के लिए यह बड़ा नुकसान है. उन्होंने हमेशा लोगों की मदद की, चाहे वो हामिद अंसारी हों, सरबजीत हों, गीता या जाधव हों, उन्होंने सबकी मदद की. उनकी आत्मा को शांति मिले.’
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