चार साल पहले भारी बहुमत के साथ बीजेपी केंद्र की सत्ता में तो पहुंच गयी, लेकिन राज्य सभा में कुछ करना उसके लिए मुश्किल साबित होता है. लोक सभा में कांग्रेस को भले ही विपक्ष का नेता पद न मिला हो लेकिन राज्य सभा में दबदबा उसी का रहता है. हालांकि, गुजरात से राज्य सभा चुनाव के बाद वो सबसे बड़ी पार्टी जरूर हो गयी है.
अब राज्य सभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव होने जा रहे हैं. वोटों की गिनती भी उसी दिन हो जाएगी. चुनाव तो ये 16 राज्यों में होंगे लेकिन देखने में सबसे दिलचस्प होंगे - यूपी और गुजरात के चुनाव. यूपी से 10 सीटों के लिए चुनाव होने हैं तो गुजरात से चार के लिए.
जेटली भी गुजरात छोड़ यूपी के आसरे
यूपी में राज्य सभा चुनाव की चर्चा के बीच चार साल बाद अमेठी पहुंचे कुमार विश्वास का दर्द दोबारा छलक उठा - और खुद को उन्होंने छोटा आडवाणी बताया. ऐसा ही उन्होंने समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल यादव के साथ भी एक कार्यक्रम में कहा था. लोक सभा चुनाव में राहुल गांधी को बीजेपी की ओर से स्मृति ईरानी और आम आदमी पार्टी की ओर से कुमार विश्वास ने चुनौती दी थी, जिसमें वो तीसरे स्थान पर रहे. राज्य सभा के संदर्भ में ही कुमार विश्वास के नाम की अहमियत भी समझायी, 'जब मैं पहली बार अमेठी आया था तो अमेठी के राजा डॉ. संजय सिंह को राज्यसभा मिल गई और जब दूसरी बार आया तो हमारी आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को राज्यसभा की सीट मिल गई.’ वैसे 2014 के बाद कुमार विश्वास के फिर से अमेठी पहुंचने के क्या मायने हो सकते हैं? ऐसा तो नहीं कि आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल अब कुमार विश्वास को राजस्थान से अमेठी शिफ्ट करने का प्लान बना रखा है.
यूपी के संदर्भ में खबर है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली गुजरात छोड़ कर...
चार साल पहले भारी बहुमत के साथ बीजेपी केंद्र की सत्ता में तो पहुंच गयी, लेकिन राज्य सभा में कुछ करना उसके लिए मुश्किल साबित होता है. लोक सभा में कांग्रेस को भले ही विपक्ष का नेता पद न मिला हो लेकिन राज्य सभा में दबदबा उसी का रहता है. हालांकि, गुजरात से राज्य सभा चुनाव के बाद वो सबसे बड़ी पार्टी जरूर हो गयी है.
अब राज्य सभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव होने जा रहे हैं. वोटों की गिनती भी उसी दिन हो जाएगी. चुनाव तो ये 16 राज्यों में होंगे लेकिन देखने में सबसे दिलचस्प होंगे - यूपी और गुजरात के चुनाव. यूपी से 10 सीटों के लिए चुनाव होने हैं तो गुजरात से चार के लिए.
जेटली भी गुजरात छोड़ यूपी के आसरे
यूपी में राज्य सभा चुनाव की चर्चा के बीच चार साल बाद अमेठी पहुंचे कुमार विश्वास का दर्द दोबारा छलक उठा - और खुद को उन्होंने छोटा आडवाणी बताया. ऐसा ही उन्होंने समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल यादव के साथ भी एक कार्यक्रम में कहा था. लोक सभा चुनाव में राहुल गांधी को बीजेपी की ओर से स्मृति ईरानी और आम आदमी पार्टी की ओर से कुमार विश्वास ने चुनौती दी थी, जिसमें वो तीसरे स्थान पर रहे. राज्य सभा के संदर्भ में ही कुमार विश्वास के नाम की अहमियत भी समझायी, 'जब मैं पहली बार अमेठी आया था तो अमेठी के राजा डॉ. संजय सिंह को राज्यसभा मिल गई और जब दूसरी बार आया तो हमारी आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को राज्यसभा की सीट मिल गई.’ वैसे 2014 के बाद कुमार विश्वास के फिर से अमेठी पहुंचने के क्या मायने हो सकते हैं? ऐसा तो नहीं कि आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल अब कुमार विश्वास को राजस्थान से अमेठी शिफ्ट करने का प्लान बना रखा है.
यूपी के संदर्भ में खबर है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली गुजरात छोड़ कर यूपी का रुख कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात छोड़ कर वाराणसी से सांसद हैं. हालांकि, जेटली के गुजरात छोड़ने की वजह हाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कम सीटें मिलना है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 99 सीटें मिली थीं और बाद में उसे एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हासिल हो पाया.
गुजरात से राज्य सभा की जो चार सीटें खाली हो रही हैं उन्हीं में से एक अरुण जेटली की भी है. मौजूदा हालात में बीजेपी के लिए चारों सीटों पर जीत संभव नहीं है. लगता तो यही है कि वहां से दो बीजेपी और दो कांग्रेस के खाते में आएगी. ऐसे में बीजेपी गुजरात के ही दो मंत्रियों को वहां से राज्य सभा भेजना चाहेगी. फिर तो जेटली को यूपी ही शिफ्ट होने का ऑप्शन बचता है.
अभी यूपी की 10 सीटों में से 6 समाजवादी पार्टी, दो बीएसपी और एक एक कांग्रेस के पास रही है. मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी की 8 सीटें तो पक्की हैं. एक सीट समाजवादी पार्टी को मिल सकती है. हां, दसवीं सीट पर घमासान हो सकता है.
थोड़ा मिलेगा, ज्यादा की जरूरत रह जाएगी
राज्य सभा में बीजेपी की सीटों में इजाफा उन राज्यों से होगा जहां वो 2014 के बाद के चुनावों में जीतती आयी है. इनमें यूपी के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड और उत्तराखंड है. इनके बाद बीजेपी के लिए फायदे का सौदा वे राज्य होंगे जहां सहयोगी दलों की सरकारें हैं. तेलंगाना में टीआरएस की सीटें दो से बढ़ कर पांच पहुंच जाएंगी तो आंध्र प्रदेश में टीडीपी को भी फायदा होगा. दूसरी तरफ कांग्रेस के साथ साथ समाजवादी पार्टी, बीएसपी और उसके पक्ष में जा पाने वाली पार्टियों को भी नुकसान होगा.
वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो राज्य सभा में एनडीए के 87 सांसद हैं और आम आदमी पार्टी के तीन सदस्य पहुंच जाने के बाद विरोधी सांसदों की संख्या 84 पहुंच रही है. राज्य सभा में अन्य दलों के 82 सांसद हैं. जाहिर है बहुमत का जादुई आंकड़ा अभी एनडीए से काफी दूर है - और उसके लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा.
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