कुछ वक़्त पहले तक उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा में वामदल का शासन था. माणिक सरकार मुख्यमंत्री हुआ करते थे. सम्पूर्ण देश में मोदी लहर चल ही रही थी, जो त्रिपुरा पहुंची और जिसने वाम के किले को धाराशाही कर दिया. चुनाव के बाद त्रिपुरा में कमल खिल चुका था और पार्टी की पहली पसंद बिप्लब देव बने. पार्टी का तर्क था कि बिप्लब देव एक ऐसे नेता हैं जो युवा हैं, दिखने में आकर्षक और तेज तर्रार हैं साथ ही जिनके आने के बाद त्रिपुरा की तस्वीर बदल जाएगी. अब हर पीली चीज सोना नहीं होती. कुछ यही हाल बिप्लब देव का है जो लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जिनको सुनकर पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं की तबियत बिगड़ रही है.
चुनाव जीतने के बाद से ही बिप्लब देव ने बेतुके बयानों की झड़ी लगा दी है
बिप्लब देव के आने के बाद राज्य की तस्वीर कितनी बदली इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी है. मगर जिस तरह उनके बयान आ रहे हैं उसको देखकर लग रहा है कि पार्टी ने एक ऐसा नेता चुना है जिसके पास न तो कोई विजन है और न ही कोई पॉलिटिकल समझ. एक ऐसा नेता जो लगातार मूर्खता के सारे कीर्तिमान तोड़ रहा है और एक मुश्किल वक़्त में देश की जनता को हंसाने और गुदगुदाने का काम कर रहा है.
चाहे ये कहना हो कि, महाभारत काल में इंटरनेट मौजूद था और इसी इंटरनेट की तकनीक की बदौलत धृतराष्ट्र के पास बैठकर संजय उन्हें युद्ध का आंखों-देखा हाल बताते या फिर पूर्व विश्व सुंदरी डायना हेडेन के भूरे रंग पर दिया गया विवादास्पद बयान. प्रमुखता से इस बात को तरजीह देने वाले कि मैकेनिकल बैकग्राउंड के छात्रों को सिविल सेवा में नहीं जाना चाहिए. केवल सिविल इंजीनियर को ही ये अधिकार है कि वो सिविल सर्विस का इम्तेहान दें.
वर्तमान में जिस तरह बिप्लब देव बयान दे रहे हैं उससे केवल पीएम मोदी की किरकिरी हो रही है
पान की दुकान को सरकारी नौकरी से बेहतर बताने वाले बिप्लब देव के लिए ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि बिप्लब देव भाजपा के गले में फंसी हुई वो हड्डी हैं जो और कुछ नहीं बस भाजपा की लुटिया डुबोने का काम कर रही है. बिप्लब देव ने न सिर्फअपने बयानों से देश की जनता को आश्चर्य में डाला बल्कि उन्होंने पीएम मोदी तक के माथे पर चिंता के बल ला दिए हैं.
शायद ये बिप्लब देव द्वारा लगातार की जा रही बेतुकी बातें ही वो कारण हैं जिसके चलते पीएम मोदी, बिप्लब देव से खासे नाराज हो गए और उन्होंने उन्हें अपने सामने दिल्ली में तलब किया है. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री को उनके वाहियात बयानों के मद्देनजर आने वाली 2 मई को दिल्ली में प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष मुलाकात के लिए बुलाया गया है. इस मुलाकात में बिप्लब देव अपने बयानों पर सफाई देंगे.
बात बिप्लब देव और बेतुके बयानों की चल रही है. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि बेवकूफी के अध्याय में ताजा नाम जुड़ा है गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी का. गूगल को देव ऋषि नारद के बराबर खड़ा करते हुए रुपानी ने कहा कि जिस तरह से आज सर्च इंजन गूगल सब कुछ बता देता है, उसी तरह से प्राचीन काल में भगवान नारद सभी चीज का ज्ञान रखते थे.
अभी बिप्लब देव का मामला ठंडा भी नहीं हुआ है कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने बयान देकर विपक्ष को आलोचना का मौका दे दिया है.
आरएसएस की ओर से विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोलते वक्त मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने कहा कि नारद सूचना के आदमी थे, यह बात आज भी प्रासंगिक है. वह पूरी दुनिया के बारे में जानते थे. जैसे नारद दुनिया भर का ज्ञान रखते थे, वैसे ही सूचनाओं का स्त्रोत गूगल भी है. क्योंकि दुनिया में क्या घटित हो रहा है, इसकी जानकारी गूगल रखता है. विजय रुपानी ने कहा कि मानवता की भलाई के लिए सूचनाओं को एकत्र करना नारद का काम था. यही उनका धर्म था और इसकी काफी जरूरत थी. विजय रुपानी ने इस दौरान लोकतांत्रिक देश में तटस्थ मीडिया की जरूरत बताई.
पूर्व में बिप्लव देब अब रुपानी. इन दोनों की ही बातें सुनकर कोई भी अपना सिर पीट लेगा और शायद यही सोचे कि ये किसी दुर्भाग्य से कम नहीं है कि ये हमारे नेता हैं. ऐसे नेता जिन्हें देश के अलावा पूरी दुनिया सुन रही है. ऐसे नेता जिनके बयानों को लगातार मॉनिटर किया जा रहा है. ऐसे नेता जिनके बयानों पर देश के अलावा विदेश तक का मीडिया चुटकी ले रहा है जिससे देश की छवि दुनिया की नजरों में खराब हो रही है.
अंत में बस इतना ही कि, बिप्लब देव और विजय रुपानी समेत उन तमाम नेताओं को जो विवादित बयान देने के लिए मशहूर हैं. उन्हें अपने पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए साथ ही प्रधानमंत्री की बात सुननी चाहिए. ध्यान रहे कि हाल में पीएम मोदी ने पार्टी सांसदों और विधायकों से अपने ऐप के जरिए बातचीत में मीडिया में अनावश्यक बोलने से बचने की सलाह दी थी.
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