मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला क्या लिया, कश्मीर की बात पूरी दुनिया में होने लगी. हाल ही में ये मामला संयुक्त राष्ट्र (N) तक जा पहुंचा. खैर, पीएम मोदी और इमरान खान के भाषणों के बाद अब पूरी दुनिया ये मान चुकी है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान का इससे कोई लेना-देना नहीं. इसका पूरा श्रेय मोदी सरकार और खुद पीएम मोदी को जाता है, जिन्होंने मजबूती से दुनिया के सामने अपनी बात रखी और कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है. नरेंद्र मोदी ऐसे पहले पीएम हैं, जिन्होंने कश्मीर को इतनी मजबूती से वैश्विक पटल पर रखा, बाकी सब ने तो कश्मीर को बस टाला है.
पिछले 50 सालों में जितने भी प्रधानमंत्री हुए, चाहे वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी हों या फिर चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों, सबने कश्मीर को दुनिया से दूर रखा. सबने यही कोशिश की कि कैसे भी कश्मीर का मुद्दा दबाए रखा जाए. हालांकि, पाकिस्तान बार-बार मानवाधिकार की बातें कर-कर के दुनिया का ध्यान पाकिस्तान की ओर खींचने की कोशिश करता रहा. कभी 26/11 किया, कभी पठानकोट पर हमला किया तो कभी उरी और पुलवामा जैसे आतंकी हमलों को अंजाम दिया, लेकिन आतंक का सहारा लेने के बाद भी पाकिस्तान कश्मीर को वैश्विक पटल पर नहीं रख पाया. अब तक के सारे पीएम भी दुनिया को कश्मीर के आतंकवादी और पाकिस्तान की ओर से कश्मीर में हो रही घुसपैठ ही दिखाते रहे. लेकिन पीएम मोदी ने कश्मीर के मुद्दे को वैश्विक पटल पर प्रमुखता से उठाया और ऐसा उठाया कि पाकिस्तान भी हैरान रह गया.
1989 के बाद इसे दबाने की कोशिशें हुईं
14 सितंबर 1989 का वो दिन कोई कैसे भूल सकता है, जब सरेआम सैकड़ों कश्मीरी पंडितों...
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला क्या लिया, कश्मीर की बात पूरी दुनिया में होने लगी. हाल ही में ये मामला संयुक्त राष्ट्र (N) तक जा पहुंचा. खैर, पीएम मोदी और इमरान खान के भाषणों के बाद अब पूरी दुनिया ये मान चुकी है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान का इससे कोई लेना-देना नहीं. इसका पूरा श्रेय मोदी सरकार और खुद पीएम मोदी को जाता है, जिन्होंने मजबूती से दुनिया के सामने अपनी बात रखी और कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है. नरेंद्र मोदी ऐसे पहले पीएम हैं, जिन्होंने कश्मीर को इतनी मजबूती से वैश्विक पटल पर रखा, बाकी सब ने तो कश्मीर को बस टाला है.
पिछले 50 सालों में जितने भी प्रधानमंत्री हुए, चाहे वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी हों या फिर चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों, सबने कश्मीर को दुनिया से दूर रखा. सबने यही कोशिश की कि कैसे भी कश्मीर का मुद्दा दबाए रखा जाए. हालांकि, पाकिस्तान बार-बार मानवाधिकार की बातें कर-कर के दुनिया का ध्यान पाकिस्तान की ओर खींचने की कोशिश करता रहा. कभी 26/11 किया, कभी पठानकोट पर हमला किया तो कभी उरी और पुलवामा जैसे आतंकी हमलों को अंजाम दिया, लेकिन आतंक का सहारा लेने के बाद भी पाकिस्तान कश्मीर को वैश्विक पटल पर नहीं रख पाया. अब तक के सारे पीएम भी दुनिया को कश्मीर के आतंकवादी और पाकिस्तान की ओर से कश्मीर में हो रही घुसपैठ ही दिखाते रहे. लेकिन पीएम मोदी ने कश्मीर के मुद्दे को वैश्विक पटल पर प्रमुखता से उठाया और ऐसा उठाया कि पाकिस्तान भी हैरान रह गया.
1989 के बाद इसे दबाने की कोशिशें हुईं
14 सितंबर 1989 का वो दिन कोई कैसे भूल सकता है, जब सरेआम सैकड़ों कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतारने की घटना की शुरुआत हुई थी. महिलाओं का बलात्कार किया गया और पुरुषों को मौत के घाट उतार दिया गया. हुजबुल मुजाहिदीन ने चेतावनी दी थी और कहा था कि सभी हिंदू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़कर चले जाएं. उस दौरान मस्जिदों में भार और हिंदू विरोधी भाषण तक दिए गए थे. नतीजा ये हुआ कि कश्मीरी पंडितों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ा. अब तक लाखों कश्मीरी पंडित अपनी जान बचाकर कश्मीर से भाग चुके हैं. वहीं दूसरी ओर अभी तक के प्रधानमंत्रियों ने जिस कश्मीर के मुद्दे को दबाना चाहा, उसे पीएम मोदी ने मजबूती से दुनिया के सामने रख दिया.
करगिल के बाद भी नहीं की कश्मीर की बात
कश्मीर के मुद्दे पर तो करगिल के बाद भी बात नहीं हुई. 1999 में करगिल की लड़ाई के बाद बातें बस ये हो रही थीं कि कैसे भारत और पाकिस्तान के बीच में शांति स्थापित की जाए? कैसे कश्मीर से आतंकवाद खत्म किया जाए? वो आतंकवाद, जो पाकिस्तान प्रायोजित था. हालांकि, उस दौरान भी किसी ने कश्मीर के मुद्दे को नहीं उठाया.
अब दुनिया ने मान लिया कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा
पाकिस्तान के अलावा अगर टर्की और चीन को छोड़ दें, तो कोई भी देश कश्मीर से धारा 370 हटाने के खिलाफ नहीं है. दुनियाभर के देश ये जरूर कह रहे हैं कि पीएम मोदी अब जल्द से जल्द कश्मीर में स्थिति को सामान्य करने की कोशिश करें, लेकिन कोई भी ये नहीं कह रहा कि धारा 370 वापस लागू की जाए. जबकि पाकिस्तान चाहता है कि मोदी सरकार ने जो फैसला लिया है, उसे वापस लें. यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में और व्हाइट हाउस से जारी रिलीज में भी यही कहा गया कि पीएम मोदी कश्मीर के लोगों से अपना वादा पूरा करें और स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य करने की कोशिश करें.
कश्मीर मुद्दे के नेशनलाइज्ड होने के साइड इफेक्ट भी हैं
पीएम मोदी ने कश्मीर के मुद्दे को वैश्विक पटल पर जरूर रख दिया है और ये मानने पर मजबूर कर दिया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा है, लेकिन ध्यान रहे कि अब दुनिया की नजर कश्मीर पर है. करीब 3 साल पहले 2016 में जब बुरहान वाली की मौत हुई तो पूरा कश्मीर हिंसा की आग में जल उठा था. उस दौरान महज सप्ताह भर में करीब 40 लोगों की मौत हुई थी. बावजूद इसके दुनिया ने कश्मीर को लेकर कुछ नहीं कहा. पाकिस्तान बार-बार दुनिया भर में कश्मीर को लेकर झूठी-सच्ची बातें फैलाता रहा, लेकिन बावजूद इसके इक्का-दुक्का देशों ने ही कोई प्रतिक्रिया दी. वहीं इस बार अभी तक एक किशोर की मौत की खबर सामने आई है, लेकिन उस पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में अब अगर कश्मीर में कुछ भी बुरा होता है तो उसे पूरी दुनिया देखेगी और सवाल भी पूछेगी.
अब आगे क्या...?
वैसे तो मोदी सरकार लगातार ये कोशिश कर रही है कि कश्मीर के लोगों को दिल जीता जा सके, लेकिन अभी भी बहुत से इलाकों में कर्फ्यू लगा है और दुनिया को वहां की असल तस्वीर तब पता चलेगा, जब वहां मीडिया पहुंचेगा. वैसे भी, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटे करीब 2 महीने हो गए हैं. लोगों में कुछ हद तक गुस्सा भी है और अब मोदी सरकार को जल्द से जल्द उचित कदम उठाते हुए कश्मीर की स्थिति को सामान्य करना चाहिए, क्योंकि ये मामला जितना लंबा खिंचेगा, गुस्सा उतना ही बढ़ेगा और गुस्से के अधिक बढ़ जाने का नतीजा खराब भी हो सकता है. मोदी सरकार ने वैश्विक पटल पर कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताकर पाकिस्तान को तो करारा जवाब दे दिया है, लेकिन अब जरूरत है अपने कश्मीर के भटके हुए लोगों को सही राह दिखाने की और वहां स्थितियां सामान्य करने की.
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