हालिया दिनों में पूरे देश में चर्चा का विषय जहाज हैं और राजनीति भी बस इनके ही इर्द गिर्द हो रही है. राफेल के बाद अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाला फिर सुर्खियों में है. खबर है कि इस बहुचर्चित चॉपर घोटाले में भारत को एक अहम कामयाबी मिली है. तब हुई उस डील में बिचौलिए की भूमिका निभा चुका क्रिश्चियन मिशेल किसी भी वक्त भारत आ सकता है. आपको बताते चलें कि फिलहाल मिशेल सऊदी है और उसपर मनीलॉन्ड्रिंग समेत तमाम केस दर्ज हैं. ध्यान रहे कि यूएई की एक अदालत ने अपने फैसले में माना है कि भारत और यूएई के बीच प्रत्यर्पण समझौते के मद्देनजर ब्रिटिश नागरिक मिशेल को प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
मिशेल के भारत आने पर राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच हलचल तेज है कि उसका हिंदुस्तान आना न सिर्फ मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत है बल्कि पूरा राजग इसका भरपूर फायदा उठा सकता है. बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि जिस समय अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाला हुआ, यूपीए की सरकार थी. माना जा रहा है कि भारतीय जांच एजेंसियों की पूछताछ में मिशेल उन राजनीतिज्ञों एवं ब्यूरोक्रेट्स के नामों पर से पर्दा हटा सकता है जिन्हें 3727 करोड़ रुपए के सौदे को अमली जामा पहनाने के लिए रिश्वत दी गई.
चूंकि सरकार राफेल को लेकर आलोचकों विशेषकर कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के निशाने पर है. इसलिए अगर मिशेल नाम बता देता है तो इसे मोदी सरकार के लिए किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं बना जाएगा. राफेल डील पर कांग्रेस के आरोपों का सामना कर रही है मोदी सरकार बिल्कुल नए तरीके से कांग्रेस पर हमलावर होगी. अभी जमानत पर रिहा ब्रिटिश नागरिक मिशेल को यूएई की सुरक्षा एजेंसियों ने फरवरी 2017 में...
हालिया दिनों में पूरे देश में चर्चा का विषय जहाज हैं और राजनीति भी बस इनके ही इर्द गिर्द हो रही है. राफेल के बाद अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाला फिर सुर्खियों में है. खबर है कि इस बहुचर्चित चॉपर घोटाले में भारत को एक अहम कामयाबी मिली है. तब हुई उस डील में बिचौलिए की भूमिका निभा चुका क्रिश्चियन मिशेल किसी भी वक्त भारत आ सकता है. आपको बताते चलें कि फिलहाल मिशेल सऊदी है और उसपर मनीलॉन्ड्रिंग समेत तमाम केस दर्ज हैं. ध्यान रहे कि यूएई की एक अदालत ने अपने फैसले में माना है कि भारत और यूएई के बीच प्रत्यर्पण समझौते के मद्देनजर ब्रिटिश नागरिक मिशेल को प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
मिशेल के भारत आने पर राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच हलचल तेज है कि उसका हिंदुस्तान आना न सिर्फ मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत है बल्कि पूरा राजग इसका भरपूर फायदा उठा सकता है. बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि जिस समय अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाला हुआ, यूपीए की सरकार थी. माना जा रहा है कि भारतीय जांच एजेंसियों की पूछताछ में मिशेल उन राजनीतिज्ञों एवं ब्यूरोक्रेट्स के नामों पर से पर्दा हटा सकता है जिन्हें 3727 करोड़ रुपए के सौदे को अमली जामा पहनाने के लिए रिश्वत दी गई.
चूंकि सरकार राफेल को लेकर आलोचकों विशेषकर कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के निशाने पर है. इसलिए अगर मिशेल नाम बता देता है तो इसे मोदी सरकार के लिए किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं बना जाएगा. राफेल डील पर कांग्रेस के आरोपों का सामना कर रही है मोदी सरकार बिल्कुल नए तरीके से कांग्रेस पर हमलावर होगी. अभी जमानत पर रिहा ब्रिटिश नागरिक मिशेल को यूएई की सुरक्षा एजेंसियों ने फरवरी 2017 में गिरफ्तार किया था और उसकी गिरफ्तारी के बाद से ही उसके प्रत्यर्पण की कोशिशें तेज हुई थीं.
मिशेल को भारत सौंपा जा सके, इसके लिए सीबीआई और ईडी ने यूएई के कई दौरे भी किये थे. इस दौरान जांच एजेंसियों ने यूएई के अधिकारियों एवं न्यायालय के साथ घोटाले से जुड़े आरोपपत्र, गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्य एवं दस्तावेज साझा किए थे.
गौरतलब है कि चॉपर डील का एग्रीमेंट पाने के लिए एंग्लो-इटैलियन कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड ने भारतीय राजनीतिज्ञों, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, नौकरशाहों, भारतीय वायु सेना के तत्कालीन प्रमुख एसपी त्यागी सहित वायु सेना के अन्य अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए मिशेल को कथित रूप से करीब 350 करोड़ रुपए दिए थे. इस एग्रीमेंट के जरिए अगस्ता वेस्टलैंड को वीवीआईपी लोगों के लिए 12 हेलिकॉप्टर की आपूर्ति करनी थी.
मिशेल के प्रत्यर्पण पर भारतीय सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि उसके हिंदुस्तान आने के बाद ऐसे कई राज फाश होंगे जिनपर अभी पर्दा पड़ा है. सुरक्षा एजेंसियां उससे पूछताछ जिससे घोटाले की कड़ियों को जोड़ने में आसानी होगी. सुरक्षा एजेंसियां का कहना है कि 'केवल मिशेल ही बता सकता है कि 'एपी', 'पीओएल', 'बीयूआर', और 'एएफ' कौन हैं जिन्हें रिश्वत देने के लिए मिशेल को नोट दिया गया था.
बहरहाल एक ऐसे वक़्त में जब नीरव मोदी- विजय माल्या के भारत छोड़कर विदेश भाग जाने से लेकर पेट्रोल, बढ़ती महंगाई, राफेल, डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरती कीमतों पर कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष मोदी सरकार के ऊपर हमलावर हो सरकार के लिए ये खबर वैसी ही है जैसे बरसों के सूखे के बाद बारिश की बूंदें.
मोदी सरकार इस मुद्दे को कैसे भुनाएगी इसका निर्धारण आने वाला काट करेगा मगर जिस तरह का ये मामला रहा है कहना अतिश्योक्ति नहीं है इस खबर को सुनकर राहुल - सोनिया समेत उन तमाम लोगों के माथे पर चिंता के बल आ गए होंगे जिन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड के नाम पर जमकर मलाई काटी है. अंत में इतना ही कि जैसा पीएम मोदी का रुख है कहना गलत नहीं है कि इस सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये सारे पुराने हिसाब चुकता कर मामले को बराबर किया जाएगा.
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