अब तक विपक्ष यूपी में साढ़े चार मुख्यमंत्री की बात करता रहा. राज बब्बर ने उसमें इजाफा कर दिया है - साढ़े सात सीएम. दोनों ही थ्योरी में अखिलेश के हिस्से में आधा ही बचता है बाकी पर उनके पिता और चाचाओं का कब्जा बताया जाता है. इतने मुख्यमंत्रियों में एक आजम खां भी हैं जो फिलहाल बुलंदशहर रेप केस को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं.
अब अखिलेश के चचाजान ऐसे ही बयान देते रहे तो वो चुनाव बाद उन्हें आधा टुकड़ा मिलने का ख्वाब भी अधूरा ही रह जाएगा.
बलात्कार और समाजवाद
समाजवादी पार्टी खुद को समाजवाद का असली और सबसे बड़ा पैरोकार होने का दावा करती है. सम्मेलनों में बात बात में लोहिया और जेपी के नाम लेते नहीं थकते.
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लेकिन मुलायम सिंह की इस पार्टी के नेता समाजवाद से ज्यादा बलात्कार के मुद्दे पर एक्टिव नजर आते हैं. वैसे असल बात तो ये है कि इस मामले में खुद मुलायम सिंह ने भी कई थ्योरी पेश की हुई है. अब जैसा नेताजी कहेंगे वैसा ही तो बाकी भी बोलेंगे. कोई इस उलझन में रहे कि ये बलात्कार का समाजवाद है या फिर समाजवाद का बलात्कार तो वो अपने अपने हिसाब से समझता रहे.
बलात्कार पर बयानबाजी
सामूहिक बलात्कार की बात तो समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अरसा पहले ही खारिज कर दी थी, "प्रैक्टिकल में ऐसा मुमकिन ही नहीं..."
मुलायम ने अपनी इस थ्योरी को डिटेल में एक्सप्लेन भी किया था, "अक्सर ऐसा होता है कि अगर एक आदमी रेप करता है, और शिकायत में चार लोगों का नाम होता है... रेप के लिए चार लोगों पर आरोप लगता है, लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है...? यह प्रैक्टिकल नहीं है... वे शायद कहते होंगे, एक देख रहा था, दूसरा भी वहां था... अगर...
अब तक विपक्ष यूपी में साढ़े चार मुख्यमंत्री की बात करता रहा. राज बब्बर ने उसमें इजाफा कर दिया है - साढ़े सात सीएम. दोनों ही थ्योरी में अखिलेश के हिस्से में आधा ही बचता है बाकी पर उनके पिता और चाचाओं का कब्जा बताया जाता है. इतने मुख्यमंत्रियों में एक आजम खां भी हैं जो फिलहाल बुलंदशहर रेप केस को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं.
अब अखिलेश के चचाजान ऐसे ही बयान देते रहे तो वो चुनाव बाद उन्हें आधा टुकड़ा मिलने का ख्वाब भी अधूरा ही रह जाएगा.
बलात्कार और समाजवाद
समाजवादी पार्टी खुद को समाजवाद का असली और सबसे बड़ा पैरोकार होने का दावा करती है. सम्मेलनों में बात बात में लोहिया और जेपी के नाम लेते नहीं थकते.
इसे भी पढ़ें: यूपी में सुशासन लाकर ही मायावती का मुंह बंद कर सकते हैं अखिलेश
लेकिन मुलायम सिंह की इस पार्टी के नेता समाजवाद से ज्यादा बलात्कार के मुद्दे पर एक्टिव नजर आते हैं. वैसे असल बात तो ये है कि इस मामले में खुद मुलायम सिंह ने भी कई थ्योरी पेश की हुई है. अब जैसा नेताजी कहेंगे वैसा ही तो बाकी भी बोलेंगे. कोई इस उलझन में रहे कि ये बलात्कार का समाजवाद है या फिर समाजवाद का बलात्कार तो वो अपने अपने हिसाब से समझता रहे.
बलात्कार पर बयानबाजी
सामूहिक बलात्कार की बात तो समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अरसा पहले ही खारिज कर दी थी, "प्रैक्टिकल में ऐसा मुमकिन ही नहीं..."
मुलायम ने अपनी इस थ्योरी को डिटेल में एक्सप्लेन भी किया था, "अक्सर ऐसा होता है कि अगर एक आदमी रेप करता है, और शिकायत में चार लोगों का नाम होता है... रेप के लिए चार लोगों पर आरोप लगता है, लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है...? यह प्रैक्टिकल नहीं है... वे शायद कहते होंगे, एक देख रहा था, दूसरा भी वहां था... अगर चार भाई होते हैं, तो चारों का नाम लिया जाता है..."
बलात्कार के मसले पर समाजवादी चिंतन... |
मुलायम का एक और बयान भी खासा चर्चित रहा, "जब लड़के और लड़कियों में कोई विवाद होता है तो लड़की बयान देती है कि लड़के ने मेरा बलात्कार किया. इसके बाद बेचारे लड़के को फांसी की सजा सुना दी जाती है. बलात्कार के लिए फांसी चढ़ा दिया जाएगा? लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है."
जैसा नेता वैसे उनके समर्थक. समाजवादी पार्टी के ही एक नेता तोताराम यादव ने इस घिनौने अपराध पर ही सवाल उठा दिया, "क्या है बलात्कार? ऐसी कोई चीज नहीं है. लड़के और लड़कियों की आपसी सहमति से होते हैं बलात्कार." और अब लीजिए. अमर सिंह के साथ मुलायम सिंह के करीबी होने की होड़ में हमेशा बने रहने वाले मोहम्मद आजम खान ने हद ही पार कर दी है. आजम खान का कहना है कि बुलंदशहर रेप केस राजनीतिक साजिश हो सकती है.
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आजम खां के इस बयान पर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. ट्विटर पर लोगों ने सख्त अंदाज में रिएक्ट किया है.
बयान पर फूटा गुस्सा
बुलंदशहर रेप के पीड़ित परिवार को भी आजम के बयान से गहरा आघात लगा है. उन्होंने पूछा है कि अगर उनके साथ भी ऐसी घटना होती तो भी क्या उनका ऐसा ही बयान होता. नेताओं को लेकर निर्भया की मां ने भी एक बार इसी रूप में अपनी पीड़ा का इजहार किया था.
सुना है मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अंकल आजम का बयान बेहद नागवार गुजरा है. अगर चचाओं के बीच घिरे अखिलेश वाकई आधा महसूस करते हैं तो अलग बात है, वरना उन्हें इस मामले में भी वैसा ही सख्त रवैया अपनाना होगा जैसा उन्होंने मुख्तार अंसारी या अतीक अंसारी के मामलों में दिखाया.
अगर सब यूं ही चलता रहा तो लॉ एंड ऑर्डर के बारे में मायावती को समझाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जनता खुद ही समझ रही है. यूपी की पुलिस किस तरह सो रही है - 'आज तक' पर पूरा देश देख रहा है. अखिलेश अब भी नहीं चेते तो 'अच्छा लड़का' को जनता कब 'बैड बॉय' बना दे बहुत देर नहीं लगती.
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