अखिलेश यादव (Akhilesh Yaday) के वादों की लिस्ट बढ़ती ही जा रही है - वो लगातार बताते जा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी की सरकार आने पर वो क्या क्या करेंगे. पहले कहा था वैक्सीन भी अपनी ही सरकार में लगवाएंगे, लेकिन जब ट्रोल हुए तो सफाई देने लगे - कहने का ये मतलब नहीं था, वो मतलब नहीं था. बस इतना ही बख्श दिया कि मेरे बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया, शायद इसलिए भी क्योंकि अपने ट्वीट या तो वो खुद टाइप किये होंगे या फिर उनकी टीम का कोई सदस्य - और वैसे भी उतना बड़ा टाइपो एरर तो हो भी नहीं सकता.
सपा की सरकार बनने की सूरत में अखिलेश यादव का एक और वादा सामने आया है, कह रहे हैं, उनकी सरकार आयी तो हम भी बुलडोजर (Bulldozer) चलवाएंगे. चूंकि निशाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) हैं, मतलब, अगर कभी अखिलेश यादव की सरकार बनी तो बुलडोजर उन लोगों पर ही चलेगा जो बीजेपी से जुड़े होंगे. फिर तो ये भी लगता है कि योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर जिन पर चल रहा है उनको वो समाजवादी पार्टी का आदमी मान कर निशाना बनाया जा रहा है, ऐसा कुछ समझ रहे हैं.
सवाल ये है कि अखिलेश यादव बुलडोजर के खिलाफ हैं या फिर कुछ लोगों के खिलाफ बुलडोजर चलाये जाने के? अखिलेश यादव ये क्यों भूल रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर अतीक अहमद के खिलाफ भी चला है - अतीक अहमद के खिलाफ बुलडोजर चलने पर तो अखिलेश यादव को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये!
वैक्सीन जैसा यू-टर्न बुलडोजर पर तो नहीं लेने वाले?
जब कोरोना वायरस वैक्सीन लगवाने की बात चली तो अखिलेश यादव ने साफ तौर पर मना कर दिया था - हम तो नहीं लगवाने वाले... बीजेपी का वैक्सीन. दिक्कत, दरअसल, वैक्सीन से ज्यादा बीजेपी से रही, लिहाजा साफ भी कर दिया था - जब हमारी सरकार आएगी तब लगवाएंगे वैक्सीन!
अखिलेश यादव के ट्वीट को नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने अपनी टिप्पणी के साथ ट्वीट किया - हम तो लगवाएंगे वैक्सीन और जब बारी आएगी तो खुशी खुशी लगवाएंगे!
लेकिन ज्यादा देर नहीं लगी. अखिलेश यादव के सुर बदल भी गये - और नये पैंतरे दिखाने लगे. वो अब भी जारी है. कहते हैं, 'वैक्सीन से हमें शिकायत नहीं है. साइंटिस्ट से शिकायत नहीं है, लेकिन इधर जो तर्क आ रहा है उसपर हम सवाल उठा रहे हैं... क्यों मुख्यमंत्री और बाबा रामदेव कह रहे हैं कि हम सबसे बाद में लगवाएंगे.'
अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक विरोध अपनी जगह है, लेकिन जो राजनीतिक इशारे समझ में आ रहे हैं, ऐसा तो नहीं कि सूबे में बदले की राजनीति की नींव पड़ने लगी है?
खैर, वैक्सीन की छोड़िये, बुलडोजर की बात करते हैं. बुलडोजर तो कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे पर भी चला - और प्रयागराज के माफिया अतीक अहमद पर भी. विकास दुबे पर चले बुलडोजर और एनकाउंटर के बाद तो अखिलेश यादव भगवान परशुराम की मूर्ति बनवाने में मायावती से होड़ लगा रहे थे.
रही बात अतीक अहमद की तो, वो तो उनको भी नहीं पसंद रहे हैं - वरना, सरेआम मंच पर धक्का क्यों देते?
ये वाकया 28 मई, 2016 का है. तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव कौशांबी में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे. अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं से बात कर ही रहे थे, तभी अतीक अहमद को उनके करीब पहुंच कर उनके से कुछ कहने की कोशिश करते देखा गया - और फिर अखिलेश यादव के धक्के से वो पीछे हटते दिखायी पड़े. जिसे मुख्यमंत्री ने धक्का देकर पीछे कर दिया हो, उसे सुरक्षाकर्मी तो किनारे कर ही देंगे. अतीक अहमद भला क्या बताते. कहा था कि वो मजाक में कुछ बोल दिये थे, लेकिन उनको मौके विशेष पर वैसा कुछ नहीं करना चाहिये था. खुद अखिलेश यादव ने भी कभी स्वीकार नहीं किया कि अतीक अहमद को धक्का दिये थे.
तब इस घटना की खासी चर्चा रही और इसे अखिलेश यादव के माफिया, बाहुबली और दागी छवि के लोगों से परहेज और दूरी बनाये रखने के प्रयास के तौर पर देखा गया.
योगी सरकार में अतीक अहमद के खिलाफ भी बुलडोजर चला है. प्रयागराज में अतीक अहमद के कोल्ड स्टोरेज को जमींदोज कर दिया गया है. ये कोल्ड स्टोरेज झूंसी के अंदावा में पांच बीघे जमीन पर बना हुआ था. विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना रहा कि कोल्ड स्टोरेज बगैर नक्शा पास करवाये ही बनवाया गया था. ये संपत्ति अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता बेगम के नाम से थी. बताते हैं कि अतीक अहमद ने पत्नी के नाम से अंदावा में करोड़ों की प्रॉपर्टी एक बिल्डर से खरीदी थी और एक हिस्से में कोल्ड स्टोरेज भी बना हुआ था.
ऐसा तो नहीं लगता कि अखिलेश यादव को अतीक अहमद के खिलाफ योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्रवाई नागवार गुजरी होगी. फिर किस बात की नाराजगी? किस बात का बदला लेने की बात हो रही है.
क्या समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव यूपी में भी आने वाले दिनों में बदले की राजनीति की तरफ कोई इशारा कर रहे हैं? अतीक अहमद की ही तरह माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ भी योगी सरकार का बुलडोजर चला है - और ठीक वैसे ही भदोही वाले बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ.
विजय मिश्रा ने तो अपने खिलाफ एक्शन को ब्राह्मण-ठाकुर की लड़ाई का रंग भी देने की कोशिश की थी. विजय मिश्रा फिलहाल निषाद पार्टी में हैं - और जेल में हैं. विजय मिश्रा का पोता भी सामूहिक बलात्कार के एक केस में गिरफ्तार किया जा चुका है.
बीबीसी को दिये एक इंटरव्यू में विजय मिश्रा खुद को राजनीति में लाने का श्रेय अपने जमाने के दिग्गज कांग्रेसी कमलापति त्रिपाठी को देते हैं - और फिर समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव से भी अपनी नजदीकियों का बखान करते हैं. विजय मिश्रा की मानें तो मुलायम से नजदीकियों के चलते ही, मायावती सरकार में उनको झूठे मुकदमों में फंसा दिया गया.
बीबीसी से बातचीत में विजय मिश्रा बताते हैं, 'मेरे परिचित पंडित कमलापति जी ने कहा कि चुनाव लड़ो. उन्होंने ही टिकट दिलवाया और 1990 तक हम ब्लॉक प्रमुख हो गये. तब तक हमारे राजीव गांधी से बहुत अच्छे सम्बंध हो गये थे. उनके जाने के बाद कांग्रेस से नाता टूट गया. तभी हम नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के सम्पर्क में आये.'
विजय मिश्रा ने मायावती की नाराजगी की वजह भी बतायी है. बीबीसी से बातचीत में विजय मिश्रा दावा करते हैं, 'फरवरी, 2009 में भदोही में उपचुनाव होने थे, मैंने मायावती की मदद करने से इनकार किया तो वो नाराज हो गईं. मुझे पकड़ने के लिए पुलिस भेज दी. उसी वक्त नेता जी भदोही में सभा कर रहे थे. हमने स्टेज से जनता को अपनी पत्नी रामलली के सिंदूर का वास्ता देते हुए कहा कि अब रामलली का सुहाग उन्हीं के हाथों में है. नेताजी ने कहा कि जिसकी हिम्मत हो पकड़कर दिखा दे हमें - और फिर वो हमें हेलिकॉप्टर में लेकर उड़ गये.
बुलडोजर के बाद क्या प्रोग्राम है
बीजेपी और उससे पहले की सरकारों में यूपी में कानून व्यवस्था की तुलना करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कह रहे हैं - AK- 47 लेकर चलने वाले गुंडे-बदमाशों पर योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर चलता है.'
खबरों के मुताबिक, यूपी सरकार ने अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, खान मुबारक और भाटी गैंग के सदस्यों सहित 445 अपराधियों की संपत्ति जब्त की है. जब्द की गयी संपत्तियों में 75 करोड़ की मुख्तार अंसारी और 50 करोड़ की अतीक अहमद की बतायी जाती है. ऐसी कार्रवाई में जब्त की गयी संपत्तियों की जो कीमत बतायी जा रही है, वो है - गाजीपुर में 42 करोड़. गोरखपुर में 38 करोड़, जौनपुर में 29 करोड़ और गौतमबुद्ध नगर में 66 करोड़ रुपये की.
यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी के मुताबिक अपराधियों के खिलाफ अभियान के दौरान 758 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गयी है, जिसमें अकेले लखनऊ में ही 88 करोड़ की संपत्ति है.
प्रयागराज में वकीलों के एक कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि अपराधियों और माफिया तत्वों से जब्त जमीनों के इस्तेमाल की क्या योजना है.
यूपी सरकार ने राज्य के विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया है कि ऐसी जमीनों पर वो वकीलों, पत्रकारों, कारोबारियों और गरीबों के लिए बहुमंजिला इमारतें बनवाये और 'नो-प्रॉफिट-नो लॉस' पर लोगों को मुहैया करवायें. योगी आदित्यनाथ का मानना है कि इससे समाज में अच्छा संदेश भी जाएगा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी ऐसी जमीनों का करीब करीब ऐसा ही इस्तेमाल कर चुके हैं.
थोड़े हल्के-फुल्के अंदाज में योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'माफिया से मुक्त करवाई गई जमीनों पर फ्लैट बनाकर वकीलों को दिए जाने से माफिया उन पर दोबारा कब्जा करने की हिम्मत भी नहीं कर सकेंगे.'
स्वतंत्र देव सिंह की ही तरह, योगी आदित्यनाथ भी बोले, 'पहले प्रदेश में लोग अपराधियों से घबराते थे और अपराधियों को देखकर रास्ता बदल लेते थे... कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि जो अपराधी लोगों के घरों पर बुलडोर चलाया करते थे - उनकी छाती पर भी कभी बुलडोजर चल सकता है!'
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