सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को एक बार फिर सीबीआई चीफ के पद से हटा दिया गया है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने की प्रक्रिया को गलत बताते हुए उन्हें बहाल कर दिया था. और इस मामले में सेलेक्ट कमेटी को जल्द फैसला लेने को कहा. 77 दिन की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सीबीआई दफ्तर लौटे उसमें 36 घंटे भी नहीं बिता पाए. गुरुवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि जस्टिस एके सीकरी और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा के भविष्य पर फैसला दिया. ढाई घंटे चली बैठक का नतीजा ये हुआ कि वर्मा दोबारा सीबीआई चीफ पद से हटा दिए गए. और उनका ट्रांसफर डीजी फायर सर्विसेस के पद पर कर दिया गया. वर्मा पर लगे कई गंभीर आरोपों की जांच की सिफारिश सीवीसी ने की थी.
जिस तरह आलोक वर्मा का मामला सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस से गुजरा, वैसा ही कुछ तीन सदस्यीय सेलेक्ट कमेटी में भी हुआ:
- सीबीआई चीफ आलोक वर्मा की छुट्टी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद सेलेक्ट कमेटी की बैठक बुधवार को बुलाई गई, लेकिन वह नतीजे पर नहीं पहुंची. गुरुवार को फिर इस मामले में हाई-पावर कमेटी ने माथापच्ची की.
- मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि वर्मा के खिलाफ कोई निर्णय लेने से पहले उन्हें सुनवाई के लिए कमेटी के समक्ष बुलाया जाना चाहिए.
- लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे के तर्क के बाद जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि सीवीसी की रिपोर्ट में आलोक वर्मा के खिलाफ जांच की बात कही है. और जिस तरह के आरोप हैं, उन्हें लगता है कि इस मामले में जांच की जानी चाहिए.
- खड़गे की आपत्ति से अलग जस्टिस सीकरी ने कहा कि सीवीसी की रिपोर्ट में आलोक वर्मा के खिलाफ जांच की बात कही गई है, और उन्हें लगता है कि यह जांच जारी रहनी चाहिए. और तब तक वर्मा का सीबीआई चीफ के पद पर रहना ठीक नहीं...
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को एक बार फिर सीबीआई चीफ के पद से हटा दिया गया है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने की प्रक्रिया को गलत बताते हुए उन्हें बहाल कर दिया था. और इस मामले में सेलेक्ट कमेटी को जल्द फैसला लेने को कहा. 77 दिन की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सीबीआई दफ्तर लौटे उसमें 36 घंटे भी नहीं बिता पाए. गुरुवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि जस्टिस एके सीकरी और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा के भविष्य पर फैसला दिया. ढाई घंटे चली बैठक का नतीजा ये हुआ कि वर्मा दोबारा सीबीआई चीफ पद से हटा दिए गए. और उनका ट्रांसफर डीजी फायर सर्विसेस के पद पर कर दिया गया. वर्मा पर लगे कई गंभीर आरोपों की जांच की सिफारिश सीवीसी ने की थी.
जिस तरह आलोक वर्मा का मामला सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस से गुजरा, वैसा ही कुछ तीन सदस्यीय सेलेक्ट कमेटी में भी हुआ:
- सीबीआई चीफ आलोक वर्मा की छुट्टी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद सेलेक्ट कमेटी की बैठक बुधवार को बुलाई गई, लेकिन वह नतीजे पर नहीं पहुंची. गुरुवार को फिर इस मामले में हाई-पावर कमेटी ने माथापच्ची की.
- मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि वर्मा के खिलाफ कोई निर्णय लेने से पहले उन्हें सुनवाई के लिए कमेटी के समक्ष बुलाया जाना चाहिए.
- लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे के तर्क के बाद जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि सीवीसी की रिपोर्ट में आलोक वर्मा के खिलाफ जांच की बात कही है. और जिस तरह के आरोप हैं, उन्हें लगता है कि इस मामले में जांच की जानी चाहिए.
- खड़गे की आपत्ति से अलग जस्टिस सीकरी ने कहा कि सीवीसी की रिपोर्ट में आलोक वर्मा के खिलाफ जांच की बात कही गई है, और उन्हें लगता है कि यह जांच जारी रहनी चाहिए. और तब तक वर्मा का सीबीआई चीफ के पद पर रहना ठीक नहीं है.
- जस्टिस सीकरी के मत से सहमत होते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने वर्मा को पद से हटाए जाने का फैसला लिया, ताकि उनके खिलाफ निष्पक्ष जांच हो सके.
- इस तरह वर्मा को पद से हटाए जाने का फैसला तीन सदस्यीय समिति ने 2-1 के बहुमत से दिया. वर्मा इस महीने के आखिर में रिटायर हो रहे हैं. और तब तक उन्हें फायर सर्विसेस के डायरेक्टर जनरल पद पर सेवाएं देनी होंगी.
आलोक वर्मा के पास आगे रास्ता क्या है:
जब आलोक वर्मा केंद्र सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे गए थे, तब वह उसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाकर अपने पद पर लौट आए. लेकिन, जब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सेलेक्ट कमेटी ने फैसला लेकर वर्मा को हटाया है तो भी वर्मा के पास कानून का दरवाजा खटखटाने के रास्ते बंद नहीं हुए है. वे इस फैसले के खिलाफ ज्यूडिशियल रीव्यू की अपील सुप्रीम कोर्ट में दायर कर सकते हैं. वे सीवीसी की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. लेकिन कानूनी जानकार मान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस एके सीकरी मौजूद थे, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट सेलेक्ट कमेटी के फैसले को पलटकर आलोक वर्मा को नए सिरे से राहत नहीं देगी. हालांकि, वर्मा अपने वकीलों से इस फैसले को लेकर सलाह कर रहे हैं.
नागेश्वर राव फिर बनाए गए कार्यवाहक सीबीआई चीफ
सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को बहाल तो किया था, लेकिन उन्हें कोई नीतिगत फैसले लेने से भी मना कर दिया था. ऐसे में उन्होंने सबसे पहले कार्यवाहक सीबीआई चीफ नागेश्वर राव के सभी फैसलों को पलटते हुए, उन अफसरों के ट्रांसफर आदेश को रद्द कर दिया, जिन्हें केंद्र सरकार ने उनके साथ इधर-उधर भेजा था.
सेलेक्ट कमेटी का गुरुवार को फैसला आते ही DoPT विभाग ने नागेश्वर राव को दोबारा कार्यवाहक सीबीआई चीफ बना दिया. और उन्होंने पद संभालते ही आलोक वर्मा के सभी आदेशों को रद्द कर दिया.
खड़गे ने जस्टिस सीकरी को भी नहीं छोड़ा
आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि 'बैठक में ऐसा लगा, मानो दोनों लोग पहले से ही आलोक वर्मा को हटाने का फैसला करके बैठे थे.' कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता खड़गे का सियासी मजबूरी के चलते प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाना तो समझ में आता है, लेकिन उन्होंने अपने आरोप को ताकत देने के लिए जस्टिस सीकरी को भी विवाद में घसीट लिया. और अप्रत्यक्ष रूप से उन पर प्रधानमंत्री मोदी की हां में हां मिलाने का आरोप लगाया.
इससे पहले ही राहुल गांधी ने ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर दो सवाल दागे थे और उनका जवाब भी खुद ही दिया. उन्होंने पहला सवाल पूछा कि आखिर पीएम मोदी को सीबीआई चीफ को हटाने की इतनी जल्दी क्यों है? उन्होंने दूसरा सवाल पूछा कि आखिर क्यों सीबीआई चीफ को सेलेक्ट कमेटी के सामने मौजूद रहने की इजाजत नहीं है? इसका जवाब उन्होंने लिखा- राफेल.
दिलचस्प, ये है कि राफेल के बाद सीबीआई मामले में मोदी सरकार की जीत हुई है. कांग्रेस दोनों मामलों को राफेल डील से जुड़ा हुआ बताने की कोशिश कर रही है, जबकि पहला यानी राफेल डील का मामला खुद सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जबकि दूसरे यानी सीबीआई चीफ के मामले में भी अंतत: हुआ वही जो मोदी सरकार कहती आ रही थी.
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