अमर सिंह (Amar Singh) की राजनीति और दोस्ती दोनों ही एक दूसरे के पूरक रहे. दोस्ती के सहारे ही उनकी राजनीति चमकी और चलती रही. एक दौर ऐसा भी रहा जब अमर सिंह की राजनीतिक दोस्ती की दरकार बहुतों को रही. अब जबकि अमर सिंह नहीं रहे उनके अनगिनत दोस्त बहुत मिस कर रहे होंगे.
अमर सिंह की दोस्ती की सत्ता के गलियारों से लेकर ग्लैमर की दुनिया तक में मिसाल रही - और हर तरफ हनक भी. अमर सिंह ने दोस्ती निभायी भी और टूटने के बरसों बाद दुनिया को अलविदा कहने से पहले माफी भी मांग ली.
अमर सिंह के पारिवारिक रिश्ते तो राजनीतिक दल और विचारधाराओं की बाउंड्री के मोहताज कभी नहीं रहे, लेकिन मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और अमिताभ बच्चन के साथ बेहद करीबी रिश्ता रहा. अमर सिंह को मुलायम सिंह यादव तो शायद ही कभी भुला पायें, लेकिन बच्चन परिवार (Bachchan family) को भी अमर सिंह बहुत याद आएंगे.
दोस्ती की मिसाल
अमर सिंह दोस्तों के दोस्त तो थे ही दुश्मनों को भी दोस्त कह कर ही बुलाया करते थे. सच तो ये है कि अमर सिंह जिस तरीके की राजनीति किये उसमें दुश्मनी की कम ही गुंजाइश होती है. राजनीति में उनके दुश्मन तो सिर्फ एक ही नजर आये लेकिन उनको भी जवाब वो शेर-ओ-शायरी के जरिये ही दिया करते रहे - समाजवादी पार्टी नेता मोहम्मद आजम खां.
समाजवादी पार्टी में कभी महासचिव और नंबर दो का रुतबा रखने वाले अमर सिंह की आजम खां से दुश्मनी उनको बहुत महंगी पड़ी. 2010 में आजम खां के दबाव में मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह समाजवादी पार्टी से बाहर कर दिया. उसके बाद काफी दिनों तक अमर सिंह इधर उधर टाइम पास करते रहे, लेकिन 2016 में जब वो निर्दल प्रत्याशी के तौर पर राज्य सभा का चुनाव लड़े तो मुलायम सिंह ने पूरा सपोर्ट किया. ये वो दौर रहा जब यूपी में 2017 के विधानसभा चुनावों की तैयारी चल रही थी और अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
तभी समाजवादी पार्टी में भारी झगड़ा हुआ जो मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव के इर्द गिर्द घूमता नजर आया. अखिलेश यादव तब...
अमर सिंह (Amar Singh) की राजनीति और दोस्ती दोनों ही एक दूसरे के पूरक रहे. दोस्ती के सहारे ही उनकी राजनीति चमकी और चलती रही. एक दौर ऐसा भी रहा जब अमर सिंह की राजनीतिक दोस्ती की दरकार बहुतों को रही. अब जबकि अमर सिंह नहीं रहे उनके अनगिनत दोस्त बहुत मिस कर रहे होंगे.
अमर सिंह की दोस्ती की सत्ता के गलियारों से लेकर ग्लैमर की दुनिया तक में मिसाल रही - और हर तरफ हनक भी. अमर सिंह ने दोस्ती निभायी भी और टूटने के बरसों बाद दुनिया को अलविदा कहने से पहले माफी भी मांग ली.
अमर सिंह के पारिवारिक रिश्ते तो राजनीतिक दल और विचारधाराओं की बाउंड्री के मोहताज कभी नहीं रहे, लेकिन मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और अमिताभ बच्चन के साथ बेहद करीबी रिश्ता रहा. अमर सिंह को मुलायम सिंह यादव तो शायद ही कभी भुला पायें, लेकिन बच्चन परिवार (Bachchan family) को भी अमर सिंह बहुत याद आएंगे.
दोस्ती की मिसाल
अमर सिंह दोस्तों के दोस्त तो थे ही दुश्मनों को भी दोस्त कह कर ही बुलाया करते थे. सच तो ये है कि अमर सिंह जिस तरीके की राजनीति किये उसमें दुश्मनी की कम ही गुंजाइश होती है. राजनीति में उनके दुश्मन तो सिर्फ एक ही नजर आये लेकिन उनको भी जवाब वो शेर-ओ-शायरी के जरिये ही दिया करते रहे - समाजवादी पार्टी नेता मोहम्मद आजम खां.
समाजवादी पार्टी में कभी महासचिव और नंबर दो का रुतबा रखने वाले अमर सिंह की आजम खां से दुश्मनी उनको बहुत महंगी पड़ी. 2010 में आजम खां के दबाव में मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह समाजवादी पार्टी से बाहर कर दिया. उसके बाद काफी दिनों तक अमर सिंह इधर उधर टाइम पास करते रहे, लेकिन 2016 में जब वो निर्दल प्रत्याशी के तौर पर राज्य सभा का चुनाव लड़े तो मुलायम सिंह ने पूरा सपोर्ट किया. ये वो दौर रहा जब यूपी में 2017 के विधानसभा चुनावों की तैयारी चल रही थी और अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
तभी समाजवादी पार्टी में भारी झगड़ा हुआ जो मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव के इर्द गिर्द घूमता नजर आया. अखिलेश यादव तब अमर सिंह से बेहद खफा रहे और पार्टी के साथ साथ परिवार में झगड़े के लिए 'बाहरी व्यक्ति' को जिम्मेदार बताया. माना गया कि अखिलेश यादव का इशारा अमर सिंह की ही तरफ रहा. अमर सिंह पर ये भी आरोप लगा कि वो बीजेपी के इशारे पर समाजावादी पार्टी को तोड़ने का इंतजाम कर रहे हैं.
एक भरी सभा में मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह का विरोध करने वालों को डांटते हुए चुप कराने की कोशिश की. इस डांट के दायरे में मुलायम के बेटे और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी रहे. मुलायम सिंह की बात सुन कर हर कोई कुछ देर के लिए खामोश हो गया.
तब मुलायम सिंह ने कहा था - ‘अमर सिंह ने मुझे बचाया है. वो न बचाते तो मुझे सात साल की सजा हो जाती.’
हाल ही में अमर सिंह का एक वीडियो चर्चा में काफी रहा जिसमें वो खुद के जिंदा होने का सबूत भी अपने अंदाज में पेश किये थे - टाइगर अभी जिंदा है टाइप.
वीडियो में अमर सिंह ने कहा था - 'सिंगापुर से मैं अमर सिंह बोल रहा हूं. रुग्ण हूं, त्रस्त हूं व्याधि से लेकिन संत्रस्त नहीं. हिम्मत बाकी है, जोश बाकी है, होश भी बाकी है. हमारे शुभचिंतक और मित्रों ने ये अफवाह बहुत तेजी से फैलाई है कि यमराज ने मुझे अपने पास बुला लिया है. ऐसा बिल्कुल नहीं है. मेरा इलाज चल रहा है और मां भगवती की कृपा हुई तो अपनी शल्य चिकित्सा के उपरांत शीघ्र-अतिशीघ्र दोगुनी ताकत से वापस आऊंगा.'
अपनी मौत की अफवाह फैलाने वालों को भी दोस्त कह कर संबोधित करते हुए अमर सिंह बोले, 'बाकी हमारे मित्र जो हमारी मृत्यु की कामना कर रहे हैं, वह यह कामना छोड़ दें. हरदम मृत्यु हमारे द्वार को खटखटाती है. एकबार हवाई जहाज से गिर गया था तो भी यमराज ने स्वीकार नहीं किया, झांसी में. दस साल पहले भी गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ फिर भी लौटकर आ गया. 12-13 दिन तक मिडिल ईस्ट में वेंटिलेटर में रहकर मौत से लड़कर आ गया. उन तमाम अवसर के मुकाबले अबकी बार तो बिल्कुल स्वस्थ हूं, बिल्कुल सचेतन हूं.' मगर इस बार अमर सिंह मौत को नहीं हरा पाये. एक बार फिर उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था - और वो उनकी उम्र नहीं बढ़ा सका.
माफ करना दोस्त!
अगर अमर सिंह मुलायम सिंह की बदौलत राजनीति में आये तो ये भी सच है कि जया बच्चन को भी राजनीति में वही लाये. अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन फिलहाल समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं.
70 के दशक में अगर अमिताभ बच्चन कामयाबी की बुलंदियां चढ़ते चले जा रहे थे तो 90 का दशक आते आते बहुत ही बुरे दौर से गुजरने लगे थे, तभी ऐन वक्त उनकी सर्कल में अमर सिंह ने एंट्री मारी और अपने कनेक्शन का इस्तेमाल करते हुए सारी मुसीबतों से एक झटके में उबार दिया. मदद के ये हाथ बच्चन परिवार के लिए मसीहा बन कर आये और वो अमर सिंह का मुरीद बन गया. कहते हैं मिठास बढ़ जाने पर कीड़े भी पड़ जाते हैं. अमर सिंह और बच्चन परिवार के रिश्ते के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ.
अमर सिंह ने ही एक इंटरव्यू में बताया था कि 2012 में उद्योगपति अनिल अंबानी की एक पार्टी में उनकी जया बच्चन से बहस हुई और बात इतनी बिगड़ गयी कि रिश्ता तक टूट गया. अमर सिंह को उम्मीद नहीं थी, लेकिन स्वाभाविक तौर पर अमिताभ बच्चन ने पत्नी जया बच्चन का पक्ष लिया जो अमर सिंह को काफी बुरा लगा. बाद में अमर सिंह कई मौकों पर अमिताभ बच्चन को धोखेबाज के तौर पर पेश करते रहे और खूब बयानबाजी भी की, लेकिन अमिताभ बच्चन की तरफ से सिर्फ इतना ही रिएक्शन आया - दोस्त हैं कहने का अधिकार है. अमर सिंह की खबर आने के बाद ट्विटर पर अमिताभ बच्चन ने सिर्फ एक तस्वीर शेयर की है - कुछ भी लिखा नहीं हैं. निःशब्द.
90 के दशक में अमिताभ बच्चन अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे थे। एक के बाद एक लगातार फ्लॉप फिल्मों और अपनी कंपनी एबीसीएल के डूबने के चलते उन्हें लगातार आयकर विभाग के नोटिस मिल रहे थे। उस वक्त महज 4 करोड़ रुपये न चुका पाने के चलते उनके बंगले के बिकने और उनके दिवालिया होने की नौबत तक आ गई थी। तब अमर सिंह ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया और अमिताभ बच्चन को कर्जे से उबारा। फिर यह दोस्ती लंबी चली और बॉलिवुड से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में चर्चा का विषय रही।
जया बच्चन को भी राजनीति में लाने वाले अमर सिंह ही हैं और उनके चलते ही 2012 की अनिल अंबानी की पार्टी में बहस और रिश्ता टूट गया.
इसी साल 18 फरवरी को अमर सिंह ने ट्विटर पर अमिताभ बच्चन से माफी भी मांग ली - करीब आठ साल बाद. अमर सिंह ने लिखा कि अमिताभ बच्चन और उनके परिवार के खिलाफ जो भी गलत कदम उठाये, उसका उन्हें बेहद पछतावा है. ये ट्वीट अमर सिंह ने अपने पिता की पुण्यतिथि पर अमिताभ बच्चन का मैसेज मिलने के बाद किया था.
अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या रॉय की शादी में भी अमर सिंह को काफी सक्रिय देखा गया - तमाम विधि विधानों के साथ साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और फेरे के अलावा विंध्याचल पहुंच कर मंगल दोष दूर करने के लिए पेड़ से शादी भी कराये थे.
बीमार पड़ने से पहले पहले अमर सिंह लखनऊ में आयोजित एक बिजनेस सम्मेलन में भगवा वस्त्र में देखे गये थे, जिसे बीजेपी के साथ उनकी नजदीकियों से जोड़ कर देखा गया था. सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर तो निशाना साधा ही अमर सिंह पर भी चुटकी ली और पूरा हाल ठहाकों से गूंज उठा, 'हम वो लोग नहीं हैं जो उद्योगपतियों के साथ खड़े होने से डरते हैं. वरना कुछ लोगों को आप लोगों ने देखा होगा कि उनकी एक फोटो आप नहीं निकाल सकते, किसी उद्योगपति के साथ. लेकिन एक देश का उद्योगपति ऐसा नहीं होगा जिसने घरों में जाकर साष्टांग दंडवत न किया हो... अमर सिंह यहां बैठे हुए हैं वो सारा हिस्ट्री निकाल देंगे...'
इन्हें भी पढ़ें :
मुलायम की ‘अमर’ गाथा, राजनीति में भाईचारा!
...जब मणिशंकर अय्यर को पटक कर पीटा था अमर सिंह ने!
बीजेपी के प्रेम में जब खुद को इतिहासकार समझ बैठे अमर सिंह
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.