1988 के पटियाला रोड रेज मामले में पंजाब सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपने ही मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी बताया. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सिद्धू को दोषी ठहराया था. पंजाब सरकार ने उच्चतम न्यायालय में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय का समर्थन किया. पंजाब सरकार के वकील ने उच्चतम न्यायालय को बताया, कि इस मामले में शामिल नहीं होने का नवजोत सिंह सिद्धू का बयान, झूठा है. अतः पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से मिली तीन साल की सजा बरकरार रखी जाए.
ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई राज्य सरकार अपने ही मंत्री का न्यायालय में समर्थन न करे. पिछले एक साल में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से प्रदेश कांग्रेस और पंजाब सरकार को असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ा है. पंजाब विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद सिद्धू प्रदेश का उप-मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, परंतु अमरिंदर सिंह ने उनकी इच्छा को सिरे से खारिज़ कर दिया था. अमृतसर, जालंधर और पटियाला के महापौर चुनने के लिए सिद्धू की राय नहीं लिए जाने के विषय पर उन्होंने अपनी नाराज़गी सार्वजनिक कर दी थी. केवल माफ़िया पर नकेल कसने के विषय पर भी सिद्धू और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह में तनाव उत्पन्न हो गया था. कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में हिस्सा लेने के लिए भी प्रदेश सरकार को कई कठिन सवालों के उत्तर देने पड़े हैं.
पिछले कुछ समय से नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब सरकार के लिए समस्याएं पैदा करते रहे हैं. उच्चतम न्यायालय की घटना क्रम से ऐसा लगता है कि आखिरकार अमरिंदर सिंह को नवजोत सिंह सिद्धू पर भरोसा नहीं रहा है. एक महीने पहले सिद्धू ने कांग्रेस के अधिवेशन में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तारीफों के पुल बांध दिए थे. भाजपा में रहते समय...
1988 के पटियाला रोड रेज मामले में पंजाब सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपने ही मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी बताया. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सिद्धू को दोषी ठहराया था. पंजाब सरकार ने उच्चतम न्यायालय में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय का समर्थन किया. पंजाब सरकार के वकील ने उच्चतम न्यायालय को बताया, कि इस मामले में शामिल नहीं होने का नवजोत सिंह सिद्धू का बयान, झूठा है. अतः पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से मिली तीन साल की सजा बरकरार रखी जाए.
ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई राज्य सरकार अपने ही मंत्री का न्यायालय में समर्थन न करे. पिछले एक साल में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से प्रदेश कांग्रेस और पंजाब सरकार को असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ा है. पंजाब विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद सिद्धू प्रदेश का उप-मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, परंतु अमरिंदर सिंह ने उनकी इच्छा को सिरे से खारिज़ कर दिया था. अमृतसर, जालंधर और पटियाला के महापौर चुनने के लिए सिद्धू की राय नहीं लिए जाने के विषय पर उन्होंने अपनी नाराज़गी सार्वजनिक कर दी थी. केवल माफ़िया पर नकेल कसने के विषय पर भी सिद्धू और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह में तनाव उत्पन्न हो गया था. कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में हिस्सा लेने के लिए भी प्रदेश सरकार को कई कठिन सवालों के उत्तर देने पड़े हैं.
पिछले कुछ समय से नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब सरकार के लिए समस्याएं पैदा करते रहे हैं. उच्चतम न्यायालय की घटना क्रम से ऐसा लगता है कि आखिरकार अमरिंदर सिंह को नवजोत सिंह सिद्धू पर भरोसा नहीं रहा है. एक महीने पहले सिद्धू ने कांग्रेस के अधिवेशन में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तारीफों के पुल बांध दिए थे. भाजपा में रहते समय मनमोहन सिंह पर सिद्धू ने जो तंज़ कसे थे उनकी माफी भी कांग्रेस अधिवेशन में मांगी थी. ऐसा प्रतीत होता है कि इन सब कोशिशों का अमरिंदर सिंह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.
अभी नवजोत सिंह सिद्धू को उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखना है. यह क़ानूनी मामला सिद्धू के राजनीतिक भविष्य की दिशा तय कर सकता है. यदि सिद्धू की सज़ा बरकरार रही तो वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो जाएंगे.
सिद्धू ने सत्ता सुख के लिए भाजपा छोड़ी थी. वह पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे जो भाजपा में रह कर संभव नहीं था. सत्ता की लालसा ने उन्हें कांग्रेस के दरवाजे पर ला खड़ा कर दिया था. अब अगर वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो गये तो पता नहीं कितने समय कांग्रेस के साथ रहते हैं.
खेल के मैदान में सिद्धू ने कई छक्के मारे होंगे पर राजनीति के खेल में अमरिंदर सिंह ने उन्हेम 'क्लीन बोल्ड' कर दिया है.
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