लद्दाख (Ladakh) स्थित गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीन (China) द्वारा भारतीय सैनिकों के साथ हुई बर्बरता पर भारत ने कठोर कदम उठाए और चीन को बड़ा आर्थिक झटका देते हुए टिकटॉक (Tiktok) समेट 59 ऐप्स को बैन कर दिया. अर्थशास्त्र से जुड़े लोगों ने इसे एक जरूरी फैसला बताया और कहा कि इस निर्णय के बाद अपने को महाशक्ति समझने वाला चीन आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह विफल होगा. भारत ने जो दर्द चीन को दिया था वो अभी कम भी नहीं हुआ है. ऐसे में जो खबर अमेरिका से आ रही है उसने चीन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं और ड्रैगन के माथे पर चिंता के बल दे दिए हैं. खबर है कि भारत के बाद अब अमेरिका (America) ने भी चाइनीज ऐप बैन (America to Ban Chinese Apps) करने की रणनीति बना ली है. भविष्य में ऐसा ही सकता है इसके संकेत ख़ुद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (Mike Pompeo) ने दिए हैं. पोम्पियो ने बीते दिन दिए अपने एक इंटरव्यू में इस बात को स्वीकारा है कि अमेरिका टिकटॉक समेत चीन के सभी सोशल मीडिया ऐप को बैन करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहा है.
अमेरिका द्वारा ऐसा क्यों किया जा रहा है इसकी भी माकूल वजह पोम्पियो के पास है. अमेरिका का मानना है कि टिकटॉक जैसे चाइनीज ऐप से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. ध्यान रहे कि अमेरिका का शुमार विश्व के उन देशों में है जो अपने देश और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर हमेशा से ही खासा गंभीर रहा है. वहीं अमेरिका के इस फैसले की एक बड़ी वजह हॉन्ग कॉन्ग और कोरोना वायरस भी हैं. बता दें कि जहां एक तरफ हॉन्ग कॉन्ग को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव देखने को मिल रहा है.
तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका बार बार चीन पर यही आरोप लगा रहा है कि यदि आज...
लद्दाख (Ladakh) स्थित गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीन (China) द्वारा भारतीय सैनिकों के साथ हुई बर्बरता पर भारत ने कठोर कदम उठाए और चीन को बड़ा आर्थिक झटका देते हुए टिकटॉक (Tiktok) समेट 59 ऐप्स को बैन कर दिया. अर्थशास्त्र से जुड़े लोगों ने इसे एक जरूरी फैसला बताया और कहा कि इस निर्णय के बाद अपने को महाशक्ति समझने वाला चीन आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह विफल होगा. भारत ने जो दर्द चीन को दिया था वो अभी कम भी नहीं हुआ है. ऐसे में जो खबर अमेरिका से आ रही है उसने चीन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं और ड्रैगन के माथे पर चिंता के बल दे दिए हैं. खबर है कि भारत के बाद अब अमेरिका (America) ने भी चाइनीज ऐप बैन (America to Ban Chinese Apps) करने की रणनीति बना ली है. भविष्य में ऐसा ही सकता है इसके संकेत ख़ुद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (Mike Pompeo) ने दिए हैं. पोम्पियो ने बीते दिन दिए अपने एक इंटरव्यू में इस बात को स्वीकारा है कि अमेरिका टिकटॉक समेत चीन के सभी सोशल मीडिया ऐप को बैन करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहा है.
अमेरिका द्वारा ऐसा क्यों किया जा रहा है इसकी भी माकूल वजह पोम्पियो के पास है. अमेरिका का मानना है कि टिकटॉक जैसे चाइनीज ऐप से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. ध्यान रहे कि अमेरिका का शुमार विश्व के उन देशों में है जो अपने देश और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर हमेशा से ही खासा गंभीर रहा है. वहीं अमेरिका के इस फैसले की एक बड़ी वजह हॉन्ग कॉन्ग और कोरोना वायरस भी हैं. बता दें कि जहां एक तरफ हॉन्ग कॉन्ग को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव देखने को मिल रहा है.
तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका बार बार चीन पर यही आरोप लगा रहा है कि यदि आज दुनिया कोरोना वायरस का कोप भोग रही है और अपने अपने घरों पर रहने को मजबूर है तो इसका कारण सिर्फ और सिर्फ चीन है. गौरतलब है कि जिस वक़्त भारत ने आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर चीन पर नकेल कसते हुए टिक टॉक, शेयर इट, यूसी ब्राउज़र और हेलो जैसी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था तब अमेरिका ने भी भारत की तारीफ की थी और इसे एक महत्वपूर्ण फैसला बताया था.
कहा गया था कि चीन यूजर्स की जानकारियां हासिल कर रहा है जो आने वाले वक्त में किसी भी मुल्क को मुश्किलों में डाल सकती है. जिस वक्त भारत ने चीन की ऐप्स पर नकेल कसी, जैसी प्रतिक्रियाएं अमेरिका की तरफ से आईं साफ था कि अमेरिका भी भारत के बताए मार्ग पर चलेगा और चीन को उसकी हद समझाएगा. भारत के बाद अब यदि अमेरिका भी चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा देता है तो निश्चित तौर पर ये चीन के लिए एक बड़ी हार होगी.
यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो मिलता है कि भारत के बाद ऐप्स के मामले में अमेरिका चीन के लिए दूसरा बड़ा बाजार है. बात अगर टिक टॉक यूजर्स के मद्देनजर हो तो आज अमेरिका में टिकटॉक के 4.54 करोड़ यूजर हैं जबकि ये संख्या 2019 तक 3.96 करोड़ थी. वहीं प्रतिबंध से पहले तक भारत में भी टिकटॉक यूजर्स की संख्या में तेजी के साथ इजाफा देखने को मिला था. 2019 तक भारत में टिकटॉक के 11.93 करोड़ यूजर थे जोकि साल 2020 के जून माह तक 20 करोड़ के आस पास हो गए थे.
भारत और अमेरिका के बाद टिक टॉक को ख़तरा हॉन्गकॉन्ग से भी है. हॉन्गकॉन्ग में नया सुरक्षा कानून 1 जुलाई से लागू हो गया है. नए कानून में इस बात का प्रोविजन है कि कोई भी नागरिक यदि विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेता है तो उस कंपनी पर एक्शन लिया जाएगा. ऐसे में बात अगर टिक टॉक की हो तो अब तक हम टिक टॉक पर ऐसे तमाम वीडियो देख चुके हैं जिसमें कंटेंट विवादित है. साथ ही टिकटॉक पर चीन की सरकार का समर्थन करने के आरोप भी लगे हैं.
बहरहाल अब जबकि अमेरिका ने ये फैसला ले लिया है तो ये भी साफ़ हो जाता है कि पहल भारत ने की थी और अमेरिका बस इसका इंतेजार कर रहा था. पोम्पियो की बात यदि सच साबित होती है और यदि अमेरिका भारत की तरह अपने देश में भी चीनी ऐप्स को बैन कर देता है तो ये ड्रैगन पर एक बड़ा प्रहार होगा. पूरी दुनिया का यूं इस तरह चीन का बहिष्कार करना उसके लिए कितना घातक साबित होगा? नतीजे जल्द ही सामने आ जाएंगे. लेकिन जिस तरह एक के बाद एक मुल्क चीन के खिलाफ सामने आ रहे हैं खुद ब खुद साफ़ हो जाता है कि यदि चीन अपनी हद में नहीं आया तो इसका उसे भारी खामियाजा चुकाना होगा.
अमेरिका में टिक टॉक बैन की खबर के बाद चीन के लिए विश्व पटल पर बेइज्जती की शुरुआत हो चुकी है देखना दिलचस्प रहेगा कि चीन इस तिरस्कार और बहिष्कार से अपने को कैसे बाहर निकालता है.
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