अमित शाह (Amit Shah) का कर्नाटक चुनाव कैंपेन हैरान करने वाला है. भाषण सुन कर ये फर्क करना मुश्किल होता है कि वो मेघालय में हैं या कर्नाटक में बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं. भाषा के स्तर पर फर्क सिर्फ इतना होता है कि मेघालय में बीजेपी की सरकार बनने पर भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा करते हैं - और कर्नाटक में सत्ता में वापसी के बाद?
मेघालय को लेकर अमित शाह के बयान पर जो सवाल तृणमूल कांग्रेस की तरफ से उठाये जा रहे हैं, कर्नाटक पर भी वही बात लागू होती है. ये बात अलग है कि मेघालय को लेकर वो अपना पल्ला झाड़ने की स्थिति में हो गये हैं, जबकि कर्नाटक में बीजेपी की ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर देते हैं.
बीजेपी नेता अमित शाह ने मेघालय की एक चुनावी रैली में कहा था, 'मेघालय देश के सबसे भ्रष्ट राज्यों में से एक है... बीजेपी को यहां मजबूत बनाइये और हम भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे.'
ताज्जुब की बात ये है कि मेघालय में भी NPP के साथ सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा रही है, लेकिन ये चुनाव दोनों अलग अलग लड़ रहे हैं. अलग होकर चुनाव लड़ने की बात भी अमित शाह खुद ही बताते हैं, ‘हमने मेघालय में गठबंधन तोड़ा ताकि भारतीय जनता पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ सके - और एक मजबूत पार्टी के रूप में उभर सके.’
अमित शाह जो भी दावा करें, लेकिन ये चुनावों में खुद को आजमाने का नुस्खा लगता है. जैसी की राजनीतिक गलियारों में चर्चा है, माना यही जा रहा है कि चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी फिर से एनपीपी के साथ हो जाएगी - ऐसा करके ये बताने का अधिकार तो मिल ही जाता है कि अपनी सरकार है, गठबंधन की ही सही.
टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा और अभिषेक बनर्जी ने अमित शाह के भाषण पर सवाल उठाया है. महुआ मोइत्रा कहतीं हैं, ये वैसे ही है जैसे वो आईने के सामने खड़े होकर कह रहे...
अमित शाह (Amit Shah) का कर्नाटक चुनाव कैंपेन हैरान करने वाला है. भाषण सुन कर ये फर्क करना मुश्किल होता है कि वो मेघालय में हैं या कर्नाटक में बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं. भाषा के स्तर पर फर्क सिर्फ इतना होता है कि मेघालय में बीजेपी की सरकार बनने पर भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा करते हैं - और कर्नाटक में सत्ता में वापसी के बाद?
मेघालय को लेकर अमित शाह के बयान पर जो सवाल तृणमूल कांग्रेस की तरफ से उठाये जा रहे हैं, कर्नाटक पर भी वही बात लागू होती है. ये बात अलग है कि मेघालय को लेकर वो अपना पल्ला झाड़ने की स्थिति में हो गये हैं, जबकि कर्नाटक में बीजेपी की ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर देते हैं.
बीजेपी नेता अमित शाह ने मेघालय की एक चुनावी रैली में कहा था, 'मेघालय देश के सबसे भ्रष्ट राज्यों में से एक है... बीजेपी को यहां मजबूत बनाइये और हम भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे.'
ताज्जुब की बात ये है कि मेघालय में भी NPP के साथ सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा रही है, लेकिन ये चुनाव दोनों अलग अलग लड़ रहे हैं. अलग होकर चुनाव लड़ने की बात भी अमित शाह खुद ही बताते हैं, ‘हमने मेघालय में गठबंधन तोड़ा ताकि भारतीय जनता पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ सके - और एक मजबूत पार्टी के रूप में उभर सके.’
अमित शाह जो भी दावा करें, लेकिन ये चुनावों में खुद को आजमाने का नुस्खा लगता है. जैसी की राजनीतिक गलियारों में चर्चा है, माना यही जा रहा है कि चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी फिर से एनपीपी के साथ हो जाएगी - ऐसा करके ये बताने का अधिकार तो मिल ही जाता है कि अपनी सरकार है, गठबंधन की ही सही.
टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा और अभिषेक बनर्जी ने अमित शाह के भाषण पर सवाल उठाया है. महुआ मोइत्रा कहतीं हैं, ये वैसे ही है जैसे वो आईने के सामने खड़े होकर कह रहे हों कि मेघालय में करप्शन चरम पर है.
एक इंटरव्यू में तृणमूल कांग्रेस महासचिव अभिषेक बनर्जी तो बीजेपी को चुनौती भी दे डालते हैं, मैं अमित शाह को चुनौती देता हूं... वो मेघालय में भ्रष्टाचार की बात करते हैं... अगर उनमें हिम्मत है तो वो मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा पर कार्रवाई करके दिखाएं.'
अभिषेक बनर्जी कहते हैं, 'ये कितनी हैरान करने वाली बात है कि बीजेपी अब कह रही है कि वो पिछले पांच साल से सरकार चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, लेकिन वो तो सत्ता में थे... तब वे क्या कर रहे थे?
और फिर पूछते हैं, 'क्या अमित शाह अपने ही खिलाफ कार्रवाई करेंगे?'
कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल न होने से बीजेपी चूक गयी. शपथ लेकर भी बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) को इस्तीफा देकर भागना पड़ा. लेकिन तभी से वो तैयारी में जुट गये और अपने बेहद कामयाब ऑपरेशन लोटस पर काम करने लगे - और करीब सवा साल बीतते बीतरे जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में बनी कांग्रेस गठबंधन की सरकार को गिरा कर खुद मुख्यमंत्री बन गये.
येदियुरप्पा अपनी ताकत के बूते तब मुख्यमंत्री बने जब बीजेपी को लेकर एक आम धारणा है कि 75 साल की उम्र हो जाने पर मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया जाता है. तभी बीजेपी नेतृत्व ने उनकी कमजोर नस पकड़ ली. पुत्रमोह भारी पड़ा और कुर्सी छोड़नी पड़ी, लेकिन लिंगायतों के बड़े नेता होने के कारण येदियुरप्पा को बीजेपी के संसदीय बोर्ड में लाया गया - और अब तो हाल ये है कि कर्नाटक में यात्रा निकालने से लेकर सत्ता में वापसी के लिए वोट मांगने तक उनके नाम का ही सिक्का चलाने की कोशिश चल रही है.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह अब कर्नाटक के लोगों से कह रहे हैं कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीएस येदियुरप्पा पर भरोसा करते हुए बीजेपी को वोट दें - क्योंकि बीजेपी ऐसी सरकार देगी जो कर्नाटक को भ्रष्टाचार-मुक्त करेगी - और पांच साल में दक्षिण भारत का नंबर 1 राज्य बना देगी.
क्या अमित शाह का ये सब कहना कर्नाटक की बसवराज बोम्मई (BR Bommai) सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जैसा नहीं है?
ये कैसा चुनाव प्रचार है
बीजेपी के लिए वोट मांगने अमित शाह बेल्लारी के संदूर पहुंचे थे. ये इलाका कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. सोनिया गांधी भी एक बार बेल्लारी से लोक सभा का चुनाव जीत चुकी हैं - और कभी बीजेपी के लिए भरोसेमंद सहयोगी रहे रेड्डी बंधु अपनी नयी पार्टी बना कर चुनाव में बीजेपी के खिलाफ ही ताल ठोक रहे हैं.
मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बन जाने के बाद कर्नाटक चुनाव का महत्व अलग से बढ़ जाता है - और इलाके की इसी अहमियत को देखते हुए अमित शाह ने कांग्रेस के साथ साथ पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस पर भी जोरदार हमला बोला - ये वंशवादी दल हैं... आम जनता के लिए कुछ भी अच्छा नहीं कर सकते.
लगे हाथ अमित शाह ने कर्नाटक के लोगों को बीजेपी और कांग्रेस में अपने हिसाब से बुनियादी फर्क भी समझा डाला, 'एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा भारत को मजबूत कर रही है... दूसरी तरफ राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े गैंग से जुड़ी है.'
बाकी सब तो ठीक था, लेकिन फिर मेघालय की ही तरह अमित शाह कर्नाटक में भी शुरू हो गये, करीब करीब वैसे ही है जैसे पश्चिम बंगाल, राजस्थान या ऐसे ही गैर बीजेपी शासित राज्यों में अमित शाह का आक्रामक रूप देखा जाता है.
अमित शाह कर्नाटक के लोगों से कह रहे थे, 'प्रधानमंत्री मोदी और येदियुरप्पा पर एक बार भरोसा करें... हम ऐसी सरकार देंगे जो कर्नाटक को भ्रष्टाचार से मुक्त करेगी - और इसे दक्षिण भारत में नंबर 1 राज्य बनाएगी.'
अमित शाह की बातों से तो ऐसा लगता है जैसे वो भी मान कर चल रहे हों कि बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में बनी बीजेपी की सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के जो मामले उठाये गये, वे गलत नहीं भी हो सकते हैं.
मोदी तो ठीक हैं, लेकिन येदियुरप्पा?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कर्नाटक की रैलियों में बोम्मई सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं. राहुल गांधी को तो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी बीजेपी सरकार के खिलाफ काफी हमलावर देखा गया था.
अरविंद केजरीवाल भी अपनी रैलियों में कर्नाटक में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा कर चुके हैं. वो तो रैलियों में ये भी कहते फिर रहे थे कि मोदी सरकार की तरफ से उनको सबसे इमानदार मुख्यमंत्री का सर्टिफिकेट तक मिल चुका है. ये दावा करने के लिए अरविंद केजरीवाल अपने दफ्तर पर सीबीआई की जांच पड़ताल का हवाला देते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर तो वोट मांगना बनता भी है. ऐसा तो वो यूपी चुनाव में भी कर चुके हैं, और गुजरात चुनाव के दौरान भी - लेकिन येदियुरप्पा के नाम पर वोट मांगना और भ्रष्टाचार-मुक्त सरकार का वादा तो मजाक जैसा ही लगता है.
अव्वल तो येदियुरप्पा को अब भी किसी मामले में क्लीन चिट नहीं मिली है, लेकिन कर्नाटक के लोग ये भी नहीं भूले होंगे कि जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर येदियुरप्पा को जेल जाना पड़ा था तो आरोप भ्रष्टाचार के ही थे.
बोम्मई का नाम क्यों नहीं लिया जा रहा है?
ये बीजेपी ही कहती है कि जहां वो सत्ता में नहीं होती, मुख्यमंत्री का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं करती. लेकिन कर्नाटक में तो पहले से सरकार है. ये भी ठीक है कि बीजेपी ने तय किया है कि 2023 के सारे विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ेंगे.
इस हिसाब से प्रधानमंत्री मोदी के साथ तो मुख्यमंत्री बोम्मई का नाम लिया जाना चाहिये, आखिर येदियुरप्पा ने नाम पर वोट मांगने का क्या मतलब समझा जाएगा?
फिर तो सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी को बोम्मई सरकार के कामकाज पर भरोसा नहीं है?
और क्या कर्नाटक में डबल इंजन सरकार का फॉर्मूला नहीं चल पा रहा है - या फिर वो फेल हो गया है?
हिमाचल प्रदेश चुनाव में हार के बाद मोदी-शाह बीजेपी नेताओं से गुजरात मॉडल को आधार बना कर ही लड़ने की सलाह दे रहे हैं. गुजरात चुनाव के दौरान सवाल ये भी उठा था कि बीजेपी के सारे मुख्यमंत्री गुजरात में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, लेकिन भूपेंद्र पटेल नजर नहीं आ रहे हैं.
किसी को ये भी दिक्कत नहीं होनी चाहिये कि चुनाव के पहले से बीजेपी लोगों को ये गारंटी नहीं दे रही है कि जो मुख्यमंत्री है वही चुनाव बाद भी बना रहेगा. बीजेपी इस मामले में अलग अलग राज्यों में बिलकुल ही अलग तरीके अपनाती रही है.
हिमाचल प्रदेश में 2017 में अपने उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल के हार जाने पर बीजेपी मुख्यमंत्री किसी और को बना देती है, लेकिन उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार जाते हैं तो भी मुख्यमंत्री बन जाते हैं. और असम में सर्बानंद सोनवाल चुनाव जीत कर भी हटा दिये जाते हैं - और हिमंत बिस्वा सरमा अचानक से मुख्यमंत्री बन जाते हैं.
तो क्या बसबराज बोम्मई को चुनाव से पहले की जगह नतीजे आने के बाद हटाने का इरादा है?
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