10 सितम्बर को अहमदाबाद में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने युवा संगठनों के कार्यक्रम को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में गुजरात की 32 जगहों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी युवा जुड़े हुए थे. जिसमें युवा भाजपा अध्यक्ष से सवाल-जवाब करने को स्वतंत्र थे. यहां पर अमित शाह ने कई समसामयिक सवालों का जबाब दिया. उनके जवाबों में उनका चिरपरिचित आत्मविश्वास कमी दिखाई दी. इसमें बौखलाहट, झुंझलाहट एवं हतासा की मात्रा कहीं ज्यादा थी. गिरते विकास दर, नोटबंदी से लेकर सोशल मीडिया कैंपेन पर भी अमित शाह ने अपनी राय रखी. सवालों का जवाब देते हुए उनके पसीने छूट रहे थे. उनके खोखले दावों की पोल खुल रही थी. कमाल की बात तो यह भी रही कि सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाली भाजपा ही अब युवायों को इससे गुमराह ना होने की सलाह दे रहा है.
देश की आर्थिक विकास दर तीन साल के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2017) में जीडीपी में महज 5.7 फीसदी की वृद्धि हुई. एनएनएसओ के सर्वे में बार-बार कहा जाता रहा है कि तीन दशकों से बेरोजगारी की दर नीची और स्थिर बनी हुई है. लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के चलते लाखों लोग बेरोजगार हो गए. लेकिन अमित शाह ने युवाओं को कहा कि आंकड़े पर ध्यान न दें. अगर उनको देश में भाजपा के अंतर्गत हुए विकास को देखना है तो वे खुद देश में घूम कर देखे. यानी की शासक दल के अध्यक्ष ही सरकारी आंकड़ों को झूठा ठहरा रहे थे. वे खुद को सच्चा बता रहे थें, और लोगों से उनकी ही बात मानने की अपील कर रहे थे.
2. नोटबंदी को लेकर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी
अमित...
10 सितम्बर को अहमदाबाद में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने युवा संगठनों के कार्यक्रम को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में गुजरात की 32 जगहों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी युवा जुड़े हुए थे. जिसमें युवा भाजपा अध्यक्ष से सवाल-जवाब करने को स्वतंत्र थे. यहां पर अमित शाह ने कई समसामयिक सवालों का जबाब दिया. उनके जवाबों में उनका चिरपरिचित आत्मविश्वास कमी दिखाई दी. इसमें बौखलाहट, झुंझलाहट एवं हतासा की मात्रा कहीं ज्यादा थी. गिरते विकास दर, नोटबंदी से लेकर सोशल मीडिया कैंपेन पर भी अमित शाह ने अपनी राय रखी. सवालों का जवाब देते हुए उनके पसीने छूट रहे थे. उनके खोखले दावों की पोल खुल रही थी. कमाल की बात तो यह भी रही कि सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाली भाजपा ही अब युवायों को इससे गुमराह ना होने की सलाह दे रहा है.
देश की आर्थिक विकास दर तीन साल के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2017) में जीडीपी में महज 5.7 फीसदी की वृद्धि हुई. एनएनएसओ के सर्वे में बार-बार कहा जाता रहा है कि तीन दशकों से बेरोजगारी की दर नीची और स्थिर बनी हुई है. लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के चलते लाखों लोग बेरोजगार हो गए. लेकिन अमित शाह ने युवाओं को कहा कि आंकड़े पर ध्यान न दें. अगर उनको देश में भाजपा के अंतर्गत हुए विकास को देखना है तो वे खुद देश में घूम कर देखे. यानी की शासक दल के अध्यक्ष ही सरकारी आंकड़ों को झूठा ठहरा रहे थे. वे खुद को सच्चा बता रहे थें, और लोगों से उनकी ही बात मानने की अपील कर रहे थे.
2. नोटबंदी को लेकर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी
अमित शाह ने कहा कि लोगों को नोटबंदी के निर्णय के परिणामों के बारे में जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए. इस फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि आरबीआई ने कहा है कि 99 प्रतिशत से ज्यादा पुराने नोट बैंक में वापस आ गए हैं. लेकिन पहले 80 प्रतिशत से अधिक नोट चलन में नही था. उनके अनुसार बाकी 20 प्रतिशत भ्रष्ट लोगों के पास पड़ा रहता था. उनके अनुसार वो पैसा जो सर्कुलेशन में नहीं था वो भी सिस्टम में आ गया. इसका फायदा गिनाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या बढ़कर छह करोड़ 30 लाख हो गई है. अमित शाह ने बताया कि पहले यह संख्या केवल तीन करोड़ साठ लाख थी. विभिन्न अर्थशास्त्री भले ही नोटबंदी और जीएसटी को भारत की जीडीपी में आई गिरावट के लिए जिम्मेवार मान रहे हों. लेकिन अमित शाह ने इसके पीछे तकनीकी कारणों को जिम्मेदार ठहराया है.
3. सोशल मीडिया कैंपेन से युवा ना हों गुमराह
अमित शाह ने युवाओं को चेताया है कि वे सोशल मीडिया पर चल रहे भाजपा विरोधी कैंपेन से सावधान रहें और उसे देखकर गुमराह ना हों. उनके अनुसार गुजरात सरकार के विकास के दावे के खिलाफ सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया जा रहा है जो कि एक प्रोपेगेंडा है. भाजपा अध्यक्ष ने युवाओं को कहा कि वो इसपर विश्वास न करे और अपने दिमाग का इस्तेमाल करें. सोशल मीडिया के इस्तेमाल से अगर किसी पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है तो वो भाजपा है. लेकिन अब इसके जरीए बनते बीजेपी विरोधी माहौल के कारण वे सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर ही सवाल उठाने लगे हैं.
4. राहुल पर वार- नाना की योजना, पापा भी पूरी नहीं कर पाए
हाल में हे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अहमदाबाद गए थे. इस दौरे में राहुल ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि नोटबंदी के फैसले से गरीबों को नुकसान पहुंचा है. और विकास की गति रुकी है. इसके जबाब में अमित शाह ने राहुल से सवाल किया कि जिस योजना की आधारशिला आपके नाना (जवाहर लाल नेहरू) ने रखी थी, आपके पिता (राजीव गांधी) ने उसे पूरा क्यों नहीं किया? उन्होंने कहा कि जिस सरदार सरोवर योजना का शिलान्यास देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नहेरू ने किया था, उसको पूरा करने का काम नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. उन्होंने राहुल गांधी के सवाल का जवाब उनके पूरे खानदान पर ही आरोप मढ़ दिया.
5. पटेल आरक्षण आंदोलन ले रहा है राजनीतिक रंग
पटेल आरक्षण के बारे में जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदर्शनकारियों से कहा है कि वे 'कानूनी प्रक्रिया' का पालन करें. लेकिन आंदोलन की दिशा बदल चुकी है. कांग्रेस पार्टी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि बदलावों को देखने पर आप पाएंगे कि धीरे-धीरे यह एक ऐसा आंदोलन बन गया है, जिसे एक राजनीतिक दल का समर्थन हासिल है. अमित शाह ने कहा कि आयोजकों का रुझान एक राजनीतिक दल की ओर हो रहा है. उनके बातो से ऐसा लगता है कि वो मान चुके हैं कि पाटीदार समुदाय, जो भाजपा के साथ था, उनकी पार्टी से दूर चला गया है.
6. 15 अक्टूबर तक सुधर जाएगी सड़के
गुजरात में ट्विटर पर '#विकास_पगला_ गया_ है' ट्रेंड कर रहा है. गुजरात में लोग विकास के दावों एवं सड़को के खस्ताहाल स्थिति का मजाक उड़ा रहे हैं. अमित शाह ने भी स्वीकार किया के प्रदेश की सड़के जर्जर हैं. लेकिन उन्होंने वादा किया कि खड्डे भरने का काम 15 सितंबर से शुरू हो जाएगा. दावा तो यह भी है कि 22 अक्टूबर तक सभी खड्डे भरे लिए जाएंगे.
पूरे कार्यक्रम में अमित शाह का आक्रामक तेवर भी बचाव की मुद्रा में ज्यादा एवं उपलब्धियों को गिनवाते हुए कम दिख रहा था. वो राहुल गांधी और पटेल आंदोलनकारियों पर अपना भड़ास निकाला. साथ ही साथ लोगों को ये भी हिदयात दे रहे थे कि आंकड़ों पर विश्वास न करें. सोशल मीडिया पर विस्वास न करें. कहीं ये उनके गृह प्रदेश गुजरात में खिसकते हुए जनाधार का संकेत तो नहीं है?
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