केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सेहत (Amit Shah Health pdate) को लेकर अफवाह फैलाने के आरोप में चार लोगों को गुजरात में गिरफ्तार (4 Arrested for Rumour) किया गया है. दो अहमदाबाद से और दो को भावनगर से पकड़ा गया है. अमित शाह की सेहत को लेकर अफवाह फैलाने पर हुए एक्शन के बारे में क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी अजय तोमर ने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्री के नाम से एक फर्जी पोस्ट बनाई गई और उसे अलग-अलग ग्रुप में डाला गया. अजय तोमर के मुताबिक इस मामले में जिन लोगों की भूमिका सामने आई है उनमें अहमदाबाद से फिरोज खान पठान, सरफराज मेमन और भावनगर से सजाद अली और सहजाद हुसैन शामिल हैं.
इस बीच अमित शाह ने खुद अपने ट्विटर हैंडल से अपनी सेहत पर स्थिति स्पष्ट की है - 'मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ हूं और मुझे कोई बीमारी नहीं है.' अब सवाल ये है कि जब तमाम सरकारी गतिविधियों में अमित शाह शामिल नजर आ ही रहे थे तो ऐसी सफाई देने की जरूरत ही क्या थी?
चुस्त, दुरूस्त और तंदुरुस्त
ये सही है कि अमित शाह को लेकर काफी दिनों से सोशल मीडिया पर कई तरह के सवाल पूछे जा रहे थे. कोरोना वायरस की महामारी और लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही मोर्चे पर सामने नजर आ रहे थे - और चुनाव प्रचार से लेकर तमाम राजनीतिक गतिविधियों में दोनों को साथ साथ न देखे जाने से ऐसे तत्वों को मौका मिल रहा था. ऐसा पहली बार तो था नहीं. पहले भी ऐसे कई मौके देखने को मिले हैं जब दोनों में से कोई एक ही एक बार में मोर्चे पर विरोधियों को ललकारते नजर आता है. दिल्ली विधानसभा चुनावों की ही तो बात है - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलीला मैदान में रैली कर बीजेपी की चुनावी मुहिम का आगाज कर दिया और फिर अमित शाह सामने आ डटे. कई दिनों तक लगातार अमित शाह अकेले मैदान में विरोधियों को ललकारते रहे. आखिरी दौर में जरूर प्रधानमंत्री दोबारा आये और चुनाव प्रचार में तेजी आ गयी.
प्रधानमंत्री नरेेद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में अमित शाह
ताजा मिसाल तो लॉकडाउन ही है. पहले 21 दिनों के लॉकडाउन और फिर दो हफ्ते की मियाद बढ़ाने के बाद तीसरे चरण का ऐलान गृह मंत्रालय की तरफ से ही तो आया है. वैसे भी लॉकडाउन के दूसरे दौर के ऐलान के वक्त ही प्रधानमंत्री मोदी ने गाइडलाइन को लेकर बता दिया था कि उसे गृह मंत्रालय तैयार कर रहा है.
बाकी बातें अपनी जगह और महत्वपूर्ण ये है कि अमित शाह ने अपनी सेहत को लेकर खुद ही ट्विटर पर स्थिति स्पष्ट की है - 'पिछले कई दिनों से कुछ मित्रों ने सोशल मीडिया के माध्यम से मेरे स्वास्थ्य के बारे में कई मनगढ़ंत अफवाएं फैलाई हैं. यहां तक कि कई लोगों ने मेरी मृत्यु के लिए भी ट्वीट कर दुआ मांगी है.'
अमित शाह के ट्वीट के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उनके दीर्घायु की कामना की है. एक और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अमित शाह की सेहत को लेकर अफवाह फैलाने वालों को गंदी सोच के लोग बताया है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि किसी के स्वास्थ्य के बारे में इस तरह की भ्रामक बातें फैलाना ऐसे लोगों की मनोस्थिति को दर्शाता है.
सफाई की जरूरत तो थी नहीं
अमित शाह की सेहत पर सफाई ऐसे वक्त आई है जब तृणमूल कांग्रेस ममता बनर्जी को लिखे उनके पत्र को लेकर आक्रामक नजर आ रही है. अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली रेल गाड़ियों की अनुमति नहीं दे रही है जिससे मजदूरों के सामने और मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी का कहना है कि अमित शाह या तो झूठे आरोप साबित करें या माफी मांगें. अभिषेक बनर्जी ट्विटर पर लिखते हैं, 'संकट के समय अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में नाकाम रहे गृह मंत्री हफ्तों खामोश रहने के बाद लोगों को गुमराह करने के लिए झूठ बोलते हैं... विडंबना ये है कि वो ऐसे लोगों के बारे में बात कर रहे हैं जिन्हें सरकार ने उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया है.'
जब ऐसे तीखे वार-पलटवार हो रहे हों. पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों को लेकर राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच तकरार तेज हो चली हो - भला ऐसे भी में लगता है कि अमित शाह को अपनी सेहत को लेकर सफाई देने की जरूरत रही होगी.
लेकिन अमित शाह यूं ही कोई बयान तो देंगे नहीं. ऐसा बयान देने की कोई बड़ी राजनीतिक वजह समझ में आयी होगी और इस बयान के राजनीतिक मायने. राजनीतिक विरोधियों के लिए चेतावनी भरे संकेत भी तो हो सकते हैं.
2019 का चुनाव जीतने के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी तमाम मुद्दों पर सरकार का नजरिया सामने रखते देखे जाते और अमित शाह उस पर अमल करते. जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म करने से लेकर नागरिकता संशोधन कानून आने के बाद तो काफी दिनों तक हर तरफ अमित शाह ही नजर आते रहे.
कोरोना वायरस जैसी इमरजेंसी की स्थिति में जरूर अमित शाह को बार बार सामने न देखा जाना खटक रहा था क्योंकि लोगों को पहले से इसकी आदत नहीं थी. अगर प्रधानमंत्री मोदी के साथ कोई सामने नजर आ रहा था तो वो थे नोडल मंत्रालय से होने के नाते स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन और फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह क्योंकि वो लॉकडाउन पर बने मंत्री समूह की अगुवाई कर रहे थे.
कोरोना और लॉकडाउन वाले सीन से इतर देखें तो अमित शाह की सक्रियता की खबरें तो आती ही रहीं. तस्वीरों में भी मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की हालिया मीटिंग में अमित शाह को बैठे देखा ही गया. महाराष्ट्र के पालघर में हुई मॉब लिंचिंग की घटना पर अमित शाह और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की फोन पर हुई बातचीत की भी खबर आयी ही थी - और अभी अभी ममता बनर्जी को लिखे अमित शाह के पत्र पर मचा बवाल तो सबके सामने है ही.
ये भी सही है कि ट्विटर पर देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू होने के दो दिन बाद ही ट्विटर पर #WhereIsAmitShah और बाद में भी ऐसे ट्रेंड देखे गये. सोशल मीडिया फोरम कोरा पर भी इस बात को लेकर सवाल जवाब हुए हैं - मीडिया में भी मोदी-शाह की केमिस्ट्री से लेकर हाल फिलहाल फिर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के सक्रिय होने को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की गयी हैं - लेकिन अमित शाह के ट्वीट से उनके विरोधियों का हौसला नहीं बढ़ेगा और वे पूरी तरह खामोश हो जाएंगे - ऐसा नहीं लगता.
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