कुछ दिनों पहले सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं को ट्विटर पर फॉलो किया था. तब से विश्लेषक इस घटना के राजनीतिक मायने समझने में लगे हैं. ऐसा नहीं है कि अमिताभ बच्चन पहली बार किसी राजनेता को ट्विटर पर फॉलो कर रहे हैं. भ्रष्टाचार के मामले में जेल में सज़ा काट रहे राजनेता लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अमिताभ पहले से फॉलो कर रहे हैं. तो अब ऐसा क्या विशेष है कि ट्विटर पर फॉलो करने के बाद, कांग्रेस पार्टी के छुटभैया नेता अमिताभ से 'आ अब लौट चलें' का आग्रह कर रहे हैं?
इस विषय में दो बातें महत्वपूर्ण है, जो इसे सामान्य घटना से थोड़ा अलग बनाती हैं. पहली, एक समय था जब अमिताभ बच्चन नेहरू-गाँधी परिवार के बहुत करीब थे. वह राजीव गाँधी के काफ़ी घनिष्ट मित्र थे. 1984 में फिल्म जगत से कुछ दिन की छुट्टी लेकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया था. 8वीं लोक सभा के चुनावों में उन्होंने इलाहबाद से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. फिर समय ने ऐसी करवट ली कि उन्होंने 3 साल बाद अपनी सीट से इस्तीफ़ा दे दिया और राजनीति को अलविदा कह दिया और कांग्रेस से भी दूर हो गए. इस इतिहास के कारण अमिताभ की कांग्रेस में रूचि, चर्चा का विषय है.
दूसरा, कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गाँधी ने पार्टी नेताओं को आदेश दिया है कि वह कांग्रेस छोड़कर, दूसरे राजनीतिक दलों में गए नेताओं की कांग्रेस में घर वापसी का प्रयास करें. दिल्ली में अरविंदर सिंह लव्ली की कांग्रेस में वापसी और अजय मकान - शीला दीक्षित के बीच हुई सुलह इसी आदेश का परिणाम है.
वर्तमान काल खंड में, स्वयं अमिताभ बच्चन ने चाहे कोई राजनीतिक इच्छा या रूचि न दिखाई हो, परंतु कांग्रेस पार्टी इस घटना को मिर्च मसाला लगाकर प्रसारित करना चाहेगी. यह घटना,...
कुछ दिनों पहले सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं को ट्विटर पर फॉलो किया था. तब से विश्लेषक इस घटना के राजनीतिक मायने समझने में लगे हैं. ऐसा नहीं है कि अमिताभ बच्चन पहली बार किसी राजनेता को ट्विटर पर फॉलो कर रहे हैं. भ्रष्टाचार के मामले में जेल में सज़ा काट रहे राजनेता लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अमिताभ पहले से फॉलो कर रहे हैं. तो अब ऐसा क्या विशेष है कि ट्विटर पर फॉलो करने के बाद, कांग्रेस पार्टी के छुटभैया नेता अमिताभ से 'आ अब लौट चलें' का आग्रह कर रहे हैं?
इस विषय में दो बातें महत्वपूर्ण है, जो इसे सामान्य घटना से थोड़ा अलग बनाती हैं. पहली, एक समय था जब अमिताभ बच्चन नेहरू-गाँधी परिवार के बहुत करीब थे. वह राजीव गाँधी के काफ़ी घनिष्ट मित्र थे. 1984 में फिल्म जगत से कुछ दिन की छुट्टी लेकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया था. 8वीं लोक सभा के चुनावों में उन्होंने इलाहबाद से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. फिर समय ने ऐसी करवट ली कि उन्होंने 3 साल बाद अपनी सीट से इस्तीफ़ा दे दिया और राजनीति को अलविदा कह दिया और कांग्रेस से भी दूर हो गए. इस इतिहास के कारण अमिताभ की कांग्रेस में रूचि, चर्चा का विषय है.
दूसरा, कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गाँधी ने पार्टी नेताओं को आदेश दिया है कि वह कांग्रेस छोड़कर, दूसरे राजनीतिक दलों में गए नेताओं की कांग्रेस में घर वापसी का प्रयास करें. दिल्ली में अरविंदर सिंह लव्ली की कांग्रेस में वापसी और अजय मकान - शीला दीक्षित के बीच हुई सुलह इसी आदेश का परिणाम है.
वर्तमान काल खंड में, स्वयं अमिताभ बच्चन ने चाहे कोई राजनीतिक इच्छा या रूचि न दिखाई हो, परंतु कांग्रेस पार्टी इस घटना को मिर्च मसाला लगाकर प्रसारित करना चाहेगी. यह घटना, चाहे तर्क के लिए ही, कांग्रेस को कहने का मौका देती है कि वर्तमान में गुजरात सरकार के ब्रांड अम्बेसडर अब कांग्रेस में रूचि लेने लगे हैं. चाहें तर्क के लिए ही, 2019 की राहुल गाँधी बनाम नरेंद्र मोदी वाली लड़ाई में कांग्रेस इस घटना को भुनाना चाहेगी.
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