खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' का प्रमुख अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उसे पंजाब के मोगा जिले के रोडे गांव के एक गुरुद्वारे से पकड़ा गया है. इसके बाद पंजाब पुलिस उसे लेकर असम पहुंची जहां, डिब्रूगढ़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया. पिछले 36 दिनों से फरार चल रहे अमृतपाल की तलाश में पंजाब पुलिस के 80 हजार जवान लगे हुए थे. अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी के विरोध में अमृतसर के अजनाला थाने पर हुए हमले के बाद से ही उसकी तलाश की जा रही थी. इस हमले में उसके संगठन के लोगों ने बंदूकों, तलवारों और भालों से हमला किया था. इसके बाद अमृतपाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (किडनैपिंग), 379-बी2 (जोरजबरदस्ती के दौरान चोट लगना), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) सहित कई अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया था. इसके अलावा सभी आरोपियों के खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत भी कार्रवाही की जा रही है.
अमृतपाल सिंह भले ही खालिस्तान समर्थित संगठन चला रहा था, लेकिन उसकी आड़ में वो कई तरह के संगठित अपराध को भी अंजाम दे रहा था. इसमें गैर कानूनी ढंग से अवैध हथियारों का व्यापार, देश विरोधी विदेशी संस्थाओं से संबंध, मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी फंडिंग, आईएसआई जैसे आतंकी संगठनों के साथ संबंध के गंभीर आरोप हैं. एनआईए इन सभी आरोपों की जांच में लगी हुई है. पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के खिलाफ लुकआउट नोटिस और गैर जमानती वारंट भी जारी किया है. इस तरह पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद अमृतपाल के लिए बहुत मुश्किल है कि वो जीवित रहते जेल से बाहर आ सके, क्योंकि इसके खिलाफ इतने तरह के कानूनों के उल्लंघन का मामला बन रहा है कि वो एक में जमानत पाने के बाद दूसरे में फंस जाएगा. इस तरह अलग-अलग मामलों में वो जेल में सड़ता रहेगा. उसे उम्रकैद की सजा भी संभव है.
खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' का प्रमुख अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उसे पंजाब के मोगा जिले के रोडे गांव के एक गुरुद्वारे से पकड़ा गया है. इसके बाद पंजाब पुलिस उसे लेकर असम पहुंची जहां, डिब्रूगढ़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया. पिछले 36 दिनों से फरार चल रहे अमृतपाल की तलाश में पंजाब पुलिस के 80 हजार जवान लगे हुए थे. अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी के विरोध में अमृतसर के अजनाला थाने पर हुए हमले के बाद से ही उसकी तलाश की जा रही थी. इस हमले में उसके संगठन के लोगों ने बंदूकों, तलवारों और भालों से हमला किया था. इसके बाद अमृतपाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (किडनैपिंग), 379-बी2 (जोरजबरदस्ती के दौरान चोट लगना), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) सहित कई अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया था. इसके अलावा सभी आरोपियों के खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत भी कार्रवाही की जा रही है.
अमृतपाल सिंह भले ही खालिस्तान समर्थित संगठन चला रहा था, लेकिन उसकी आड़ में वो कई तरह के संगठित अपराध को भी अंजाम दे रहा था. इसमें गैर कानूनी ढंग से अवैध हथियारों का व्यापार, देश विरोधी विदेशी संस्थाओं से संबंध, मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी फंडिंग, आईएसआई जैसे आतंकी संगठनों के साथ संबंध के गंभीर आरोप हैं. एनआईए इन सभी आरोपों की जांच में लगी हुई है. पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के खिलाफ लुकआउट नोटिस और गैर जमानती वारंट भी जारी किया है. इस तरह पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद अमृतपाल के लिए बहुत मुश्किल है कि वो जीवित रहते जेल से बाहर आ सके, क्योंकि इसके खिलाफ इतने तरह के कानूनों के उल्लंघन का मामला बन रहा है कि वो एक में जमानत पाने के बाद दूसरे में फंस जाएगा. इस तरह अलग-अलग मामलों में वो जेल में सड़ता रहेगा. उसे उम्रकैद की सजा भी संभव है.
आइए जानते हैं कि अमृतपाल सिंह ने किन भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है...
1. क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी सेक्शन 120 (CCS)
भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 120 के तहत क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी यानी आपराधिक साजिश को पारिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि जब दो या दो से अधिक लोग आपस में मिलकर किसी आपराधिक साजिश को रचते हैं, तो उनके खिलाफ इस धारा के तहत कानूनी कार्रवाही की जाती है. अमृतपाल सिंह के केस में देखा जाए तो उसने सर्वप्रथम अपने देश के खिलाफ द्रोह की साजिश रची है. इसके अलावा अमृतसर के अजनाला थाने पर हुए हमले का मास्टरमाइंड भी वही है.
सजा- 2 साल से कम कारावास
2. नेशनल सिक्योरिटी एक्ट 180 (NSA)
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) ऐसा कानून है जिसके तहत किसी खास खतरे के चलते किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है. यदि प्रशासन को लगता है कि किसी शख्स की वजह से देश की सुरक्षा और सद्भाव को खतरा हो सकता है, तो उसे हिरासत में ले लिया जाता है. इस कानून को साल 1980 में देश की सुरक्षा के लिए सरकार को ज्यादा अधिकार देने के मकसद से बनाया गया था. इस कानून का इस्तेमाल पुलिस कमिश्नर, डीएम या राज्य सरकार कर सकती है. अमृतपाल सिंह सहित उसके पांच प्रमुख साथियों के खिलाफ पंजाब पुलिस रासुका के तहत कार्रवाही कर रही है. उसके साथियों को असम के सेंट्रल जेल भेज दिया गया है.
सजा- न्यूनतम 3 महीने और अधिकतम 12 महीने की हिरासत
3. प्रिवेंसन ऑफ एलिसिट ट्रैफिक इन नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1988 (PITNDPS)
नशीले पदार्थों के उत्पादन, व्यवसाय, तस्करी या खरीद-बिक्री में लगातार सक्रिय रहने वाले लोगों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ एलिसिट ट्रैफिक इन नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1988 के तहत कार्रवाई की जाती है. इस एक्ट के तहत अभियुक्त को एक साल तक जमानत नहीं मिलती है. अमृतपाल सिंह के खिलाफ आरोप है कि उसके पाकिस्तानी ड्रग्स माफिया के साथ संबंध हैं. उसके पंजाब आने के बाद ड्रग्स तस्करी की घटनाएं ज्यादा बढ़ी है, जबकि वो नशा छुड़ाने की बात कहा करता था. उसके व्हाट्सएप चैट से भी खुलासा हुआ है कि वो ड्रग्स रैकेट से जुड़ा हुआ था. इस तरह पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई होनी तय है.
सजा- 6 महीने से 1 साल तक कारावास (गैर-जमानती)
4. प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2022 (PMLA)
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2022 यानी पीएमएलए मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति को जब्त करने के लिए बनाया गया एक कानून है. ये कानून सरकार या सार्वजनिक प्राधिकरण को अवैध रूप से कमाए गए पैसों और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है. गैर-कानूनी तरीकों से कमाई गई ब्लैक मनी को कानूनी तरीके से कमाए गए धन के रूप में बदलना यानी व्हाइट मनी बनाने को मनी लॉन्ड्रिंग कहा जाता है. अमृतपाल पर आरोप है कि वो अपनी ब्रिटेन मूल की पत्नी किरणदीप कौर के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करता था. उसको संगठन को बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग हुआ करती थी, जिसके जरिए वो ऑपरेट करता था.
सजा- 3 से 7 साल तक कारावास, जुर्माने के साथ
5. नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 (NDPS)
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 यानी एनडीपीएस दो हिस्सों में बंटा है. एनडी और पीएस. एनडी का मतलब नार्कोटिक ड्रग. पीएस का मतलब साइकोट्रॉपिक सबस्टांस. नार्कोटिक ड्रग सीधे दिमाग़ पर असर करती है. इंसान के सोचने समझने की ताकत पर हमला करती है. इसमें कोका, गांजा, अफीम, डोडा, चूरा आदि आते हैं. साइकोट्रॉपिक सबस्टांस मसल्स पर असर करता है. इसके तहत वो ड्रग्स आती हैं, जिनमें केमिकल मिला होता है. जैसे एमडीएमए, एमडी, एक्सटैसी, एल्प्राज़ोलम आदि. इस एक्ट के तहत एनसीबी यानी नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ कस्टम, सेंट्रल एक्साइज़, सीबीएम, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आरपीएफ, पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं.
सजा- 1 से 10 साल तक कठोर कारावास
6. आर्म्स एक्ट 1959 (Arms Act)
आर्म्स एक्ट 1959 को 2016 में केंद्र सरकार ने संशोधित किया है. संशोधित आर्म्स एक्ट में हथियारों की अवैध सप्लाई, हथियारों और उनके उपकरणों की निर्माणकर्ता से उपयोगकर्ता तक की ट्रैकिंग, संगठित अपराध, संगठित अपराध सिंडिकेट और शादी समारोह में होने वाली हर्ष फायरिंग आदि को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है. इनके लिए सजा का प्रावधान रखा गया है. इसी एक्ट के तहत बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त को जेल की सजा हुई थी. पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के खिलाफ आर्म्स एक्ट लगाया है. पुलिस ने बताया जिस ब्रिजा गाड़ी से अमृतपाल भगा था, उसे जब्त कर लिया गया है, उसमें कई अवैध हथियार बरामद किए गए हैं.
सजा- 7 साल की जेल से आजीवन कारावास तक
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