भारत माता की ‘जय’, वन्दे मातरम् जैसे नारों को धारण किए हुए अकेले अपने दम पर किशन बाबूराव ‘अन्ना हजारे’ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ व जनलोकपाल बिल लाने जैसे मुद्दों पर पूरे देश में आंदोलन जैसा माहौल खड़ा कर दिया था. अपने गावं रालेगण सिद्धि से उन्होंने जो आंदोलन शुरू किया उसे दिल्ली के रामलीला मैदान पर आकर सबसे लंबे आमरण अनशन के बाद अंजाम दिया.
इस बीच का जो दौर चला वह एक गजब के माहौल दर्शा रहा था. ऐसा लग रहा था मानो पूरा देश अन्ना हजारे के पीछे खड़ा एक और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने को तैयार है. इसमें अन्ना का महत्वपूर्ण साथ रहे थे पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी, अरविन्द केजरीवाल, प्रशांत भूषण, स्वामी अग्निवेश, मेधा पाटेकर आदि. इन सबके अलावा कई मशहूर व्यक्तित्व का भी पूरा साथ मिला, जैसे अभिनेता आमिर खान, पूर्व क्रिकेटर कपिल देव, गायक कैलाश खेर, श्री श्री रविशंकर, योगगुरू बाबा रामदेव आदि.
इन सबके अलावा अलग-अलग राज्यों से आए युवा वर्ग अन्ना हजारे का साथ देने के लिए अपना सर्वस्व लुटाने को तत्पर नजर आए. इसी का नतीजा था कि जब अन्ना हजारे को पुलिस पकड़ कर कड़ी मशक्कत के बाद तिहाड़ जेल में डाल आई तो पूरी भीड़ जेल के चारो तरफ तब तक जमीं रही जब तक कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार अन्ना को जेल से बाहर निकालने के लिए मजबूर न हो गई. उसके बाद फिर अन्ना ने दोबारा अनशन शुरू किया था और मनमोहन सरकार से जब तक आश्वासन पत्र नहीं मिल गया तब तक अपने अनशन पर टिके रहे.
यह तो था अन्ना का अनशन और टोपी स्टाईल. लेकिन इन सबके बीच ऐसा लग रहा है मानों सारी पार्टियां अन्ना के अनशन और टोपी स्टाईल से कुछ सीख लेना चाह रही थी. क्योंकि उस समय का दिन था और एक आज का दिन है. अन्ना तो सुर्खियों में नही रहे लेकिन उनका अनशन स्टाइल आए दिन कहीं न कहीं देखने को मिल जाता है. यह बात अलग है कि अन्ना जैसा स्टेमिना न होने की वजह से आजतक कोई भी अन्ना की तरह 288 घंटे तक का आमरण अनशन नहीं कर पाया.
अगर देखा जाए तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने...
भारत माता की ‘जय’, वन्दे मातरम् जैसे नारों को धारण किए हुए अकेले अपने दम पर किशन बाबूराव ‘अन्ना हजारे’ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ व जनलोकपाल बिल लाने जैसे मुद्दों पर पूरे देश में आंदोलन जैसा माहौल खड़ा कर दिया था. अपने गावं रालेगण सिद्धि से उन्होंने जो आंदोलन शुरू किया उसे दिल्ली के रामलीला मैदान पर आकर सबसे लंबे आमरण अनशन के बाद अंजाम दिया.
इस बीच का जो दौर चला वह एक गजब के माहौल दर्शा रहा था. ऐसा लग रहा था मानो पूरा देश अन्ना हजारे के पीछे खड़ा एक और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने को तैयार है. इसमें अन्ना का महत्वपूर्ण साथ रहे थे पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी, अरविन्द केजरीवाल, प्रशांत भूषण, स्वामी अग्निवेश, मेधा पाटेकर आदि. इन सबके अलावा कई मशहूर व्यक्तित्व का भी पूरा साथ मिला, जैसे अभिनेता आमिर खान, पूर्व क्रिकेटर कपिल देव, गायक कैलाश खेर, श्री श्री रविशंकर, योगगुरू बाबा रामदेव आदि.
इन सबके अलावा अलग-अलग राज्यों से आए युवा वर्ग अन्ना हजारे का साथ देने के लिए अपना सर्वस्व लुटाने को तत्पर नजर आए. इसी का नतीजा था कि जब अन्ना हजारे को पुलिस पकड़ कर कड़ी मशक्कत के बाद तिहाड़ जेल में डाल आई तो पूरी भीड़ जेल के चारो तरफ तब तक जमीं रही जब तक कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार अन्ना को जेल से बाहर निकालने के लिए मजबूर न हो गई. उसके बाद फिर अन्ना ने दोबारा अनशन शुरू किया था और मनमोहन सरकार से जब तक आश्वासन पत्र नहीं मिल गया तब तक अपने अनशन पर टिके रहे.
यह तो था अन्ना का अनशन और टोपी स्टाईल. लेकिन इन सबके बीच ऐसा लग रहा है मानों सारी पार्टियां अन्ना के अनशन और टोपी स्टाईल से कुछ सीख लेना चाह रही थी. क्योंकि उस समय का दिन था और एक आज का दिन है. अन्ना तो सुर्खियों में नही रहे लेकिन उनका अनशन स्टाइल आए दिन कहीं न कहीं देखने को मिल जाता है. यह बात अलग है कि अन्ना जैसा स्टेमिना न होने की वजह से आजतक कोई भी अन्ना की तरह 288 घंटे तक का आमरण अनशन नहीं कर पाया.
अगर देखा जाए तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शायद ठान लिया है कि 2-2, 3-3 घंटे तक का भी अगर समय मिलता है अनशन करने का तो कर डालो. किसी भी तरह 288 घंटे पूरे करने हैं. आए दिन अनशन तो खूब दिख रहा है पर इन सब के बीच आज भी अगर कमी खल रही है तो बस एक अन्ना हजारे वाले आमरण अनशन की, जो शायद अब किसी से नहीं हो पाएगा.
बस यही कारण है कि ऐसा लग रहा है मानो ‘अन्ना पीछे छूट गए - स्टाइल ने पा ली प्रसिद्धि’.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.