भगवान राम के नाम पर भाजपा अगर टिकट दे. तो उसपर पहला दावा सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू अपर्णा यदाव का है. बात विचलित करने योग्य है मगर ये सत्य है. एक ऐसे समय में जब भारतीय राजनीति में राम का नाम लोगों को फर्श से अर्श पर ला रहा हो, मुलायम की पुत्र वधू अपर्णा भी अपने कल्याण के लिए श्री राम के नाम की क्षरण में चली गई हैं.
राम मंदिर मुद्दे पर मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने एक बड़ा बयान दिया है. मीडिया से हुई बातचीत में अपर्णा ने माना है कि उन्हें भी राम मंदिर बनने का इंतजार है. अपर्णा ने कहा है कि, 'मुझे सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है. मेरा विचार है कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए'. ज्ञात हो कि अपर्णा यादव बाराबंकी के देवा शरीफ में थी, जहां उन्होंने ये भी कहा कि, 'कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए हमें जनवरी तक मामले की सुनवाई शुरु होने का इंतजार करना चाहिए.
अपर्णा यादव राजनीतिक रूप से कितनी परिपक्व हैं. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, जब उनसे पूछा गया कि क्या मस्जिद नहीं बनना चाहिए? तो इसपर उन्होंने कहा कि, 'मैं तो मंदिर के पक्ष में हूं, क्योंकि रामायण में भी राम जन्मभूमि का उल्लेख आता है.' वहीं जब उनसे ये पूछा गया कि क्या भविष्य में वो बीजेपी के साथ जा सकती हैं तो इसपर बस इतना कहकर अपर्णा ने अपनी बात को विराम दिया कि, 'मैं राम के साथ हूं.' अपर्णा ने इस बात पर भी बल दिया कि 2019 के चुनाव में शिवपाल के अलग होने से असर पड़ेगा क्योंकि पार्टी को मजबूत करने में उनका...
भगवान राम के नाम पर भाजपा अगर टिकट दे. तो उसपर पहला दावा सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू अपर्णा यदाव का है. बात विचलित करने योग्य है मगर ये सत्य है. एक ऐसे समय में जब भारतीय राजनीति में राम का नाम लोगों को फर्श से अर्श पर ला रहा हो, मुलायम की पुत्र वधू अपर्णा भी अपने कल्याण के लिए श्री राम के नाम की क्षरण में चली गई हैं.
राम मंदिर मुद्दे पर मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने एक बड़ा बयान दिया है. मीडिया से हुई बातचीत में अपर्णा ने माना है कि उन्हें भी राम मंदिर बनने का इंतजार है. अपर्णा ने कहा है कि, 'मुझे सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है. मेरा विचार है कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए'. ज्ञात हो कि अपर्णा यादव बाराबंकी के देवा शरीफ में थी, जहां उन्होंने ये भी कहा कि, 'कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए हमें जनवरी तक मामले की सुनवाई शुरु होने का इंतजार करना चाहिए.
अपर्णा यादव राजनीतिक रूप से कितनी परिपक्व हैं. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, जब उनसे पूछा गया कि क्या मस्जिद नहीं बनना चाहिए? तो इसपर उन्होंने कहा कि, 'मैं तो मंदिर के पक्ष में हूं, क्योंकि रामायण में भी राम जन्मभूमि का उल्लेख आता है.' वहीं जब उनसे ये पूछा गया कि क्या भविष्य में वो बीजेपी के साथ जा सकती हैं तो इसपर बस इतना कहकर अपर्णा ने अपनी बात को विराम दिया कि, 'मैं राम के साथ हूं.' अपर्णा ने इस बात पर भी बल दिया कि 2019 के चुनाव में शिवपाल के अलग होने से असर पड़ेगा क्योंकि पार्टी को मजबूत करने में उनका भी अहम योगदान रहा है.
खैर ये कोई पहली बार नहीं है कि पार्टी की विचारधारा से इतर होकर अपर्णा ने कुछ कहा हो. इससे पहले नोटबंदी, तीन तलाक, मायावती का गेस्ट हाउस कांड, योगी से मुलाकात, पीएम मोदी संग सेल्फी ऐसे कई मौके आए हैं जब अपर्णा ने पार्टी और उसकी कार्यप्रणाली के खिलाफ बोला है और मुखर होकर बोला है.
नोटबंदी पर जहां अपर्णा ने हैशटैग 'डेमोविन्स' के साथ ट्वीट किया था और लिखा था कि, अभी इस कदम के लाभ-हानि पर फैसला सुनाना जल्दीबाजी होगी. तो वहीं तीन तलाक पर जब समाजवादी पार्टी बिल का विरोध कर रही थी अपर्णा ने कहा था 'यह स्वागत योग्य कदम है. यह महिलाओं, खासकर मुस्लिम महिलाओं को और मजबूती देगा. यह उन महिलाओं को बल देगा जो लंबे समय से अन्याय सहती आ रही हैं.'
वहीं जब मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड का मुद्दा उठा था इसपर अपर्णा का तर्क था कि इस तरह की घटना किसी भी महिला के साथ नहीं होनी चाहिए. ध्यान रहे कि जब 1993 में सपा के विधायकों और सांसदों की अगुवाई में पार्टी समर्थकों ने लखनऊ स्थित सरकारी गेस्ट हाउस कांड में मायावती और बसपा नेताओं पर हमला कर दिया था और मायावती ने खुद को कमरे में बंद करके अपनी जान बचाई थी.
इसके अलावा समाजवादी पार्टी और पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह उस वक़्त भी बहुत आहत हुए थे जब अपर्णा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ दिखी थीं. इसके बाद रही गई कसर तब पूरी हो गई थी जब अपर्णा यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सेल्फी ली और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था.
अपर्णा के तेवर देखकर ये बात खुद-ब-खुद साफ हो जाती है कि यादव परिवार की ये बहू ऐसा बहुत कुछ कर रही है जो उसके परिवार और परिवार की विचारधारा से मैच नहीं करता. ताजे मामले में भी जिस तरह अपर्णा ने चतुराई से जवाब दिए हैं, उससे स्पष्ट हो गया है कि वो राजनीति में बड़ी पारी खेलने के लिए वो पूरी तरह से तैयार हैं.
कहना गलत नहीं है कि अपर्णा को इस बात का पूरा आभास है कि उनके नाम के पीछे यादव परिवार की बहू का टैग लगा है जो अलग राजनीति करने में उनके लिए बड़ी बाधा साबित होगा. ऐसे में उनकी राजनीति का बेड़ा पार अगर कोई कर सकता है तो वो केवल और केवल भगवान श्री राम का नाम ही है.
अपर्णा का राजनीतिक भविष्य क्या होगा ये हमें आने वाला वक़्त बताएगा मगर उनका वर्तमान यही बता रहा है कि उत्तर प्रदेश को एक मुखर महिला नेता मिला है जो मुद्दों को भुनाना बखूबी जानता है.
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