चुनाव प्रचार के लिए निकले योगी आदित्यनाथ अयोध्या से मथुरा तक का सफर पूरा कर चुके हैं. योगी आदित्यनाथ का अयोध्या और मथुरा पर खास जोर है. ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं कि दोनों ही शहर हिंदुत्व के एजेंडे वाले पैरामीटर में फिट बैठते हैं, बल्कि दोनों नगर निगम योगी सरकार में ही बनाये गये हैं. जाहिर है योगी जताएंगे ही कि पहला हक तो उन्हीं का बनता है.
योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के दौरान पिछली सरकारों पर हमले और अपनी सरकार की उपलब्धियां बताना नहीं भूल रहे - और ये दोहराना भी कि बीजेपी के संकल्प पत्र के सारे वादे पूरे किये जाएंगे. दिलचस्प बात ये है कि लगे हाथ योगी 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए भी वोट अभी से मांगने लगे हैं.
साख का सवाल
न तो योगी की लोकप्रियता पर सवाल है और न ही उनके राजनीतिक अनुभव पर, लेकिन पहली बार उन पर कोई ऐसी जिम्मेदारी सौंपी गयी है जिसमें उन्हें खुद को साबित करना है. बरसों से सांसद रहने के बावजूद योगी को मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जगह नहीं मिली. एक वजह ये भी रही कि प्रशासनिक सहयोग के लिए उनकी मांग पर पार्टी आलाकमान ने दो दो डिप्टी सीएम दिये.
ये भी सही है कि पूर्वांचल की कई सीटें बीजेपी योगी के प्रभाव से जीती, लेकिन बड़ा सच ये भी है कि यूपी चुनाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाला हुआ था. निकाय चुनाव योगी के लिए फर्स्ट सेमेस्टर का इम्तिहान है.
चुनाव प्रचार के दौरान योगी उन सभी बातों पर ध्यान दे रहे हैं जो किसी भी चुनाव के लिए जरूरी हैं. हर चुनावी सभा में योगी दंगा मुक्त प्रदेश और कानूर के राज का वादा कर रहे हैं.
मिशन 2019
योगी ने साफ कर दिया है कि यूपी में अपराधी या तो जेल में रहेंगे या फिर एनकाउंटर...
चुनाव प्रचार के लिए निकले योगी आदित्यनाथ अयोध्या से मथुरा तक का सफर पूरा कर चुके हैं. योगी आदित्यनाथ का अयोध्या और मथुरा पर खास जोर है. ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं कि दोनों ही शहर हिंदुत्व के एजेंडे वाले पैरामीटर में फिट बैठते हैं, बल्कि दोनों नगर निगम योगी सरकार में ही बनाये गये हैं. जाहिर है योगी जताएंगे ही कि पहला हक तो उन्हीं का बनता है.
योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के दौरान पिछली सरकारों पर हमले और अपनी सरकार की उपलब्धियां बताना नहीं भूल रहे - और ये दोहराना भी कि बीजेपी के संकल्प पत्र के सारे वादे पूरे किये जाएंगे. दिलचस्प बात ये है कि लगे हाथ योगी 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए भी वोट अभी से मांगने लगे हैं.
साख का सवाल
न तो योगी की लोकप्रियता पर सवाल है और न ही उनके राजनीतिक अनुभव पर, लेकिन पहली बार उन पर कोई ऐसी जिम्मेदारी सौंपी गयी है जिसमें उन्हें खुद को साबित करना है. बरसों से सांसद रहने के बावजूद योगी को मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जगह नहीं मिली. एक वजह ये भी रही कि प्रशासनिक सहयोग के लिए उनकी मांग पर पार्टी आलाकमान ने दो दो डिप्टी सीएम दिये.
ये भी सही है कि पूर्वांचल की कई सीटें बीजेपी योगी के प्रभाव से जीती, लेकिन बड़ा सच ये भी है कि यूपी चुनाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाला हुआ था. निकाय चुनाव योगी के लिए फर्स्ट सेमेस्टर का इम्तिहान है.
चुनाव प्रचार के दौरान योगी उन सभी बातों पर ध्यान दे रहे हैं जो किसी भी चुनाव के लिए जरूरी हैं. हर चुनावी सभा में योगी दंगा मुक्त प्रदेश और कानूर के राज का वादा कर रहे हैं.
मिशन 2019
योगी ने साफ कर दिया है कि यूपी में अपराधी या तो जेल में रहेंगे या फिर एनकाउंटर में मारे जाएंगे और यमलोक पहुंच जाएंगे. अपने छह महीने के कार्यकाल पर योगी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के जो आंकड़े दिये थे उसमें बताया गया कि 431 मुठभेड़ हुई. 20 मार्च से 18 सितंबर के बीच हुई इन मुठभेड़ों में 17 अपराधियों के मारे जाने का दावा किया गया. पुलिस के मुताबिक इस दौरान एक हजार से ज्यादा अपराधी जेल भी भेजे गये. कानून का राज स्थापित करना राज्य की ड्यूटी है, लेकिन एनकाउंटर में मारकर, भला इसे कैसे सही ठहराया जा सकता है.
योगी प्रदेश में निवेश के माहौल की भी बात करते हैं और कहते हैं कि आज किसी की हिम्मत नहीं है कि किसी व्यापारी या उद्योगपति से कोई रंगदारी मांग ले.
कानून के राज के साथ ही योगी दंगे न होने देने की बात करते हैं और फिर मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र आता है. योगी याद दिलाते हैं कि चार साल पहले किस तरह मुजफ्फरनगर ने दंगों की त्रासदी झेली. फिर आते हैं असल मुद्दे पर - वोट देते रहना. आगे भी.
देखा जाये तो योगी को संघ की सलाह पर बीजेपी ने 2019 को देखते हुए ही कुर्सी पर बिठाया. मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि मेरठ और मुजफ्फरनगर की सभाओं में योगी ने 2019 के लिए भी वोट मांगे. योगी ने लोगों से अपील की कि 2014 की लोक सभा और इस साल विधानसभा की तरह निकाय चुनाव में भी बीजेपी को भारी बहुमत दें - और आगे चल कर 2019 में भी इसे बरकरार रखें.
चर्चा ये भी है कि योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से भी कह दिया कि वो निकाय चुनावों को 2019 का सेमीफाइनल समझें - और अभी से जंग के लिए जुट जाएं.
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